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"चट मंगनी पट ब्याह" इस कहावत को आपने सुना होगा | लेकिन यह एक भारत की सच्चाई है जहाँ आज भी चट मंगनी और पट ब्याह होता है | यह स्थान है भारत का सुप्रसिद्ध शहर बीकानेर |
आज बीकानेर में देश के पुष्करण ब्राहमण समाज का राष्ट्रीय सामूहिक विवाह का आयोजन किया गया है , जहाँ एक साथ 300 घरो में बज रही है शहनाईया | रंग - बिरंगी रौशनी , फूलों की खुशबू और खुशियों के बीच दो कमल संग संग एक होकर जीवन डोर में बंधने वाले है | आज पूरा शहर शादी की तैयारी में ऐसे जुटा है जैसे कि कोई त्यौहार या ख़ास उत्सव हो |
450 साल पुराना यह परम्परा आज भी कायम है | इस समाज में एक नियम बनाया गया था , जहाँ यह समाज एक साथ बच्चो की शादी एक हीं दिन करने की योजना बनाते थे | चारो तरफ शहनाइयों की आवाज से वातावरण तो खुशमय होता हीं था और पुलकित मन बड़ा हीं आनंद उठाया करता था |
आज भी बीकानेर का पूर्व राजघराना अपनी भूमिका बखूबी निभाते है |
परंपरा के अनुसार इस समाज के विद्वान पंडित आयोजन की स्वीकृति लेने वहां की राजमाता के पास पहुँचते है | स्वीकृति मिलने के बाद एक बढ़िया मुहूर्त निकाला जाता है जिस मुहूर्त में भगवान शिव और माता पार्वती का नाम अंकित होता है |
सबसे बढ़िया श्रेष्ठ दिन को मानकर समूह शादी का आयोजन किया जाता है | जहाँ दूर दूर से लोग कुछ दिन या सप्ताह पूर्व हीं अपने पुराने घर पहुँच जाते है | आज की तारीख में देखा जाए तो लोग भारत के हर राज्यों से होते हुए विदेश तक में पहुँच चुके है | मगर जिन लोगो का स्थाई घर बीकानेर में है उन्हें शादी का इन्तजार होता है और अपने बच्चो को लेकर चट मंगनी पट विवाह रश्म के लिए पहुँच जाते है |
इनके बच्चो को पता नहीं होता कि कब , कहाँ और किससे विवाह होना है | बड़ा अजब गजब है यह विवाह का रश्म , मगर है बहुत बढ़िया और अद्दभुत ,जहाँ लेनदेन का कोई रश्म अदा नहीं किया जाता | दहेज़ जैसी बात कोसों दूर है | इस विवाह में कीमती शूट बूट पहनने की इजाजत नहीं | पारंपरिक पीले रंग की बनियान और पीला धोती यह दुल्हे का लिवास होता है , कंधे पर पीताम्बर रखा जाता है , साथ हीं सर पर पगड़ी विशेष रूप से बांधने का चलन है | दुल्हे की ललाट पर चन्दन लगाया जाता है जो दिमाग को ठंढा रखने का प्रतिक है |
संस्कृति बचाओ अभियान का यह बहुत अनूठा सबक और सीख है | अपनी संस्कृति आधुनिकता की समुन्द्र में डूब न जाए इसलिए यहाँ हर रश्म ध्यान में रखकर पारंपरिक संस्कृति को जिन्दा रखा जाता है और लोग खूब आनंद उठाते है |
विवाह के दिन जो लड़का बारात लेकर चौक से भगवान विष्णु के रूप में निकलते है , उन्हें सम्मानित कर उपहार भी दिया जाता है |
आज
वर्तमान राजमाता सुशीला कुमारी इस विवाह की अनुमति दी है और विधायक सिद्धि
कुमारी इस आयोजन में शामिल हुई | विवाह कर रही हर लड़की को राजघराने से
उपहार भी मिला है | अब तो राज्य सरकार भी इस विवाह में अनुदान दे रही है
जिससे अक्षम परिवार भी एक जूट होकर रश्म अदा करने में कठिनाई महसूस न करे |
......... ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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