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जो सच है सामने आया है क्यूंकि झूठ के पाँव नहीं होते | दिल्ली में अंजलि की हुई भयावह मौत का जुर्माना कौन भरेगा ? क्या अंजलि को मिल पायेगा इन्साफ ? या फिर निर्भया की तरह वर्षो लग जायेंगे चक्कर काटते काटते |
अंजलि की इस दर्दनाक मौत के मुकादमा में धारा 304 दर्ज किया गया है जबकि परिवार वालो का कहना है कि - धारा 302 के तहत करवाई की जाए |
"अंजलि हम शर्मिंदा हैं तेरे कातिल जिन्दा है" इस कोटेशन को अपनी आवाज देते हुए अंजलि के शुभचिंतक समूह दिल्ली के सुल्तानपुरी स्टेशन पहुंचे थे और धारा 302 के तहत सभी अपराधी को फांसी देने की भी बात कही |
अंजलि करोड़ो लोगो के दिलों में उसी तरह इन्साफ के लिए हिलोरे मार रही है जैसे कि कुछ साल पहले निर्भया ने इन्साफ के लिए दस्तक दिया था |
अंजलि के भाई को अभी तक इस बात का एहसास नहीं कि उनकी बहन के साथ इतना बड़ा हादसा हो गया |
भयानक मौत में लिपटी अंजलि का वजन 15 kg का था | ब्रेन अभी तक लापाता है | लंग्स अपनी जगह से अलग हुआ | पीठ व टांग के सारे मांस जमीन में घसीटाते हुए समाप्त हुए | कंकाल बनी अंजलि का पोस्टमार्टम जब हुआ तो उनके फैमिली डॉक्टर वहां मौजूद थे | उन्होंने पोस्टमार्टम भी देखी और रिपोर्ट भी पढ़ी | अंजलि के बदन पर सीने का मांस मौजूद था मगर टांगो की हड्डियाँ खत्म थी | वैसे अंजलि का वजन 45kg था |
फ़िलहाल अंजलि का दाह संस्कार कर दिया गया मगर इन्साफ होना अभी बाकी है | बुझ न जाए यह दीपक लोगो की आवाज का यह दौड़ जारी रहना चाहिए तभी ऐसे दरिंदों के दिमाग पर काबू पाया जा सकेगा |
अंजलि की दोस्त निधि ने कहा है कि - आरोपी को पता था कि अंजलि उसके गाड़ी से कुचल गई है बावजूद वह घसीटता रहा | महज इसलिए की वह गाड़ी से निकल जाए और इसी क्रम में 13 किलोमीटर का चक्कर वह हैवान काटता रहा और तड़प तड़पकर अंजलि की मौत हुई |
अपनी गिरफ्तारी की डर से आरोपी चक्कर काटते रहे की अंजलि का शरीर किसी तरह गाड़ी से बाहर निकल जाए मगर अब छोटे अपराध को बड़ा मर्डर करार देकर क्या वे सभी फांसी से बच पायेंगे ? ............ ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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