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कल महाराष्ट्र के अमरावती में हुई हिंसा के बीच पथराव किया गया , जिसके विरोध व रोकथाम में दूसरे पक्ष की तरफ से आज शहर को बंद करने की योजना बनाई गई | सुबह 10 बजे से शहर के गाँधी चौक व राजकमल चौक पर हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतरकर अपना प्रदर्शन कर रहे थे , तभी प्रदर्शन स्थल पर तैनात पुलिसकर्मियों पर किसी ने पथराव करना आरम्भ किया | अचानक किये गए पथराव से उस भीड़ में अफरा तफरी मच गई | भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मजबूरन पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा , जिसमे कई लोगों को घायल होने की सूचना मिल रही है | साथ हीं एडिशनल एसपी , एक इन्स्पेक्टर सहित 7 पुलिसकर्मी भी घायल हुए है |
जारी पथराव के बीच पुलिसकर्मी अपनी शक्ति और बल के आधार पर उसे संतुलन में बनाने का प्रयास कर रही है | साथ हीं पास के ग्रामीण इलाके में भी पुलिस बल को तैनात किया गया है , ताकि वहां तक हिंसा की कड़ी न पहुँच पाए |
शुक्रवार को बंद का एलान मुस्लिम संगठन ने किया था | सूचना के आधार पर आपको बता दे कि - इस हिंसा में रजा एकेडमी संस्था की सक्रीय भूमिका कही जा सकती है | जिसमे अमरावती , मालेगांव और नांदेड में हिंसा देखा गया |
शुक्रवार को बंद की घोषणा की जाने के बाद जय स्तम्भ चौक से होते हुए कई जगहों पर प्रदर्शन करती हुई यह भीड़ जिलाधिकारी कार्यालय पर पहुंची | मगर चिंता इस बात की है कि भीड़ की रैलीगति शांतिपूर्ण नहीं रहा | बीच में भी दंगा भड़काती हुई यह रैली दुकानों में तोड़फोड़ करना आरम्भ किया | खासकर वो दुकानें इनकी निशाने पर रही , जो इनके बंद का समर्थन नहीं किया था | बहुत सारी गाड़ियाँ को क्षतिग्रस्त किया गया , व उत्पात मचाया गया |
पूर्व मंत्री जगदीश गुप्ता की दूकान पर भी पथराव किया गया | इनका दूकान भी पुराने कॉटन मार्केट चौक पर स्थित है |
आपको बता दे कि - रैली व धरना प्रदर्शन की स्वीकृति मांगने के बावजूद हिंसा भड़की | इस प्रदर्शन में 7 संगठन शामिल थे |सूचना के आधार पर - लिखित नोट में मोर्चे का जिक्र नहीं किया गया था , जिसकी वजह से जिलाधिकारी कार्यालय के पास 250 के करीब पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था | दोपहर जुम्मे के बाद वहां हजारों की संख्या में भीड़ इकठ्ठी हो गई , जिसके बाद अतिरिक्त पुलिस बल को बुलाना पड़ा | तब जाकर हिंसा पर काबू रख पाने में सफलता हाथ लगी |
NCP प्रवक्ता और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नवाब मलिक ने महाराष्ट्र में तोड़फोड़ व पथराव करने वालो की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि - आन्दोलन करना आपका अधिकार है | परन्तु अपनी बातें शांतिपूर्वक करनी व दर्शानी चाहिए , जिससे की किसी भी तरह की क्षति न पहुंचे |
वहीं बीजेपी विधायक नितेश राणे ने रजा एकेडमी को इसका जिम्मेदार ठहराते हुए इस संगठन को आतंकी करार दिया एवं हुई हिंसा पर आरोप की साजिश इसी संगठन पर मढ़ा है |
अभी कुछ इलाकों में 144 लागु किया गया है | महाराष्ट्र सरकार ने जिला के एसपी , कलेक्टर और प्रशासनिक अधिकारी को अलर्ट रहने को कहा है | इसके तहत चार से ज्यादा व्यक्ति को रहने व जमा होने पर पाबंदी लगाईं गई है |
महाराष्ट्र में हिंसा का यह रूप संगठन और इंसानियत को शर्मसार कर गया | CCTV फूटेज में किये गए दंगे का सारा कारनामा कैद हो चूका है और यह तोड़फोड़ वहां किया गया , जहाँ इनके समर्थन में लोगों ने अपने हाथों को ऊपर नहीं उठाया |
इसके पीछे का कारण हम आपको स्पस्ट कर दे कि - बीते 26 अक्टूबर को खबर आई थी कि त्रिपुरा में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ दंगा भड़का जिसमे एक मस्जिद को भी नष्ट किया गया | यह बातें सरासर अफवाह निकली , इसके स्पष्टीकरण में त्रिपुरा के एसपी ने ऐसी घटना को नकारते हुए 102 लोगों पर मामला दर्ज किया | त्रिपुरा पुलिस ने यह मुक़दमा UAPA के तहत दर्ज किया है | 102 लोगों पर Unlawful Activities Prevention के धारा के तहत मामला दर्ज किया , जिसमे पत्रकार और वकील भी शामिल है | यह ऐसी धारा है जिसमे काफी खतरनाक व कड़ी सजा का प्रावधान है | यह गैर क़ानूनी गतिविधियों के खिलाफ लगाया गया एक्ट होता है | त्रिपुरा में दंगा की वारदात की अफवाह फैलाने में इनका हाथ देखा गया | जिसमे इन्होने अफवाह फैलाई थी कि त्रिपुरा में ख़ास वर्ग के खिलाफ हिंसा हो रही है |
यह मामला सुप्रीमकोर्ट तक पहुँच चूका है , जिसपर सुनवाई होनी है |
इसी अफवाह की शोर में महाराष्ट्र में काफी क्षति पहुंचा | आखिरकार इस साजिश के पीछे किसका हाथ है ? बहुत जल्द उभरकर सामने स्पष्ट हो पायेगा | रैली की स्वीकृति लेने के बाद मुस्लिम धर्मगुरु और नेताओं ने भाषण दिए , बड़ी - बड़ी बातें कहीं और उसके बाद जब पद यात्रा रैली निकाली गई , तो इसे भयावह दंगा का रूप दे दिया गया |
इससे जुड़ा मामला भी हम स्पष्ट कर दे कि - 2012 के अगस्त में असम में हुई हिंसा और म्यामांर में रोहिया मुस्लिम के खिलाफ भड़के दंगे को मुंबई के आजाद मैदान में उनके खिलाफ रैली बुलाई गई थी | उस समय भी इसी तरह की भीड़ इकठ्ठी हुई और धीरे - धीरे हिंसा का रूप लिया जिसमे अमर ज्योति जवान को भी क्षतिग्रस्त किया गया | साथ हीं घटना के बाद मुंबई पुलिस कमिश्नर अरुण पटनायक का तबादला भी हुआ था |
मालेगांव में हिंसा के पीछे का हाथ त्रिपुरा हिंसा के विरोध में उठाया गया एक नादान कदम कहा जा सकता है , जिन्होंने अफवाहों पर महाराष्ट्र को क्षति पहुंचाया | सुनी - सुनाई बातों पर इस तरह का कदम किसी भी संगठन के लिए उचित नहीं था | प्रदर्शन हीं करना था , रैली हीं निकालनी थी , तो शांतिपूर्ण रैली निकाली जाती | आम नागरिक और वो पुलिस बल जो हमारी रक्षक है , उन्हें क्षति पहुँचाना शर्मसार करता है ऐसे संगठन को | संगठन को सदैव सोशल कहा गया है और सोशल का मतलब होता है किसी भी दुःख को कम कर देना | मगर ऐसा संगठन जो दंगा को भड़काए , इसे क्या नाम देना चाहिए ? राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता को गर्दिश में क्षति पहुंचाने की कोशिश की है इन संगठनों ने |
अभी कुछ एक पर मामला दर्ज किया है , जिसकी सुनवाई होगी , जिसमे सभी कुछ स्पष्ट हो पायेगा | आखिरी दौर में हम एक बात कहना चाहेंगे - एक बहुत पुरानी कहावत है जिसे लगभग सभी लोग जानते है | एक व्यक्ति से किसी ने कह दिया - अरे तुम्हारा कान तो वह कौआ खींचकर ले जा रहा है | उस व्यक्ति ने अपने कान को स्पर्श नहीं करते हुए कौए के पीछे दौड़ भगा | इसका अंजाम आप समझ सकते है , यहीं बात त्रिपुरा अफवाह के रूप ने महाराष्ट्र को क्षति पहुंचाई , जिसमे कई संगठनों ने वेगैर सोंचे समझे अपनी रोटी सेंकी | ...... ( न्यूज़ / फीचर :- आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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