Breaking News
राजनीति की बातें दिल तक नहीं पहुँच पाती और न दिल के इरादें राजनीति वाले को समझ में आती है और कटाक्ष कर दिए जाते हैं | सभी के लिए एक नियम कानून होता है , लेकिन ऐसे में अगर भूल से भी पलरा थोड़ा हिला तो लोगों की प्रतिक्रिया उभरकर सामने आ जाती है
पद्म पुरस्कार से सम्मानित करीमुल हक़ ने सोशल डिस्टेंसिंग की धजियाँ उड़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बागडोगरा एअरपोर्ट पर उतरते हीं गर्म जोशी से covid-19 की नाजुक घड़ी में गले लगा लिया | फिर ! प्रधानमंत्री ने भी उन्हें अपने हृदय में स्थान देते हुए तब बाहें फैला ली |
अब आप थोड़ा करीमुल हक़ के बारे में जान ले तो ये बंगाल में बाइक एम्बुलेंस दादा के नाम से जाने जाते हैं | बंगाल में इनकी काफी पैठ है और ये अपनी सोंच से सहायता करके लगभग 4000 लोगों के जान बचा चुके है और वह भी निःशुल्क सेवा देकर | ये अपनी बाइक से बीमार , गरीब व वंचित लोगों को अस्पताल पहुंचाते हैं | इनपर एक किताब भी लिखी जा चुकी है |
अब विस्तार से - पश्चिम बंगाल में चुनाव के चौथे चरण के बीच में प्रधानमंत्री प्रचार के लिए जलपाईगुड़ी पहुंचे | यहाँ बागडोगरा एअरपोर्ट पर पहुंचते हीं करीमुल हक़ ने प्रधानमंत्री को गले से लगा लिया , फिर एक पिता की भूमिका अदा कर PM ने उन्हें सम्मान देने के क्रम में उनकी भावना को स्वीकृति दी और यह फोटो शूट कर लिया गया | फिर क्या था सोशल मीडिया पर यूजर्स ने कोरोना वायरस के खतरे से लेकर सोशल डिस्टेंसिंग के PM के नारे तक पर सवाल उठा दिया |
ट्विटर यूजर्स सुनील विश्नोई ने कहा :- कल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कोरोना महामारी पर सभी मुख्यमंत्रियों को ज्ञान दे रहे थे और आज वहीं प्रधानमंत्री मोदी बंगाल में चुनावी रैली कर रहे हैं | @kewalajoshi ने कहा :- ऐसी क्या मज़बूरी है इस बन्दे की , कि मोदी जी के गले पड़ रहा है | कोरोना काल में दो गज दूरी बनाकर भी अपनी बात कह सकता था | आशीष नारायण सिंह नाम के यूजर्स लिखते हैं :- सोशल डिस्टेंसिंग ( दो गज की दूरी ) कहाँ है ? परम सिंह ने कहा :- BJP के द्वारा दिए गए पद्मश्री अवार्ड वालो को कोरोना नहीं होता क्या ... ? कैसे चिपक रहा है ! वहीँ यूजर्स आशीष कुमार ने लिखा :- Covid प्रोटोकाल का पालन तो कीजिये , दो गज की दूरी ... रखना बहुत जरुरी है |
अब ! सवाल है कि प्रधानमंत्री स्वयं अपने बनाये गए नियम पर चुक कर गए और पूरा विश्व इस बात को देखता रहा | किसी ने अपनी कुलबुलाते हुए मन से बात उगल दिया और कोई पी गया , दोनों हीं अपनी अपनी जगह सही है | लेकिन ! सभी मन यहीं सोंचेगा कि कथनी और करनी में फर्क नहीं होना चाहिए | बातें हल्की हो या भारी सामान्य लोगो पर मोहर नहीं लगता लेकिन वहीं ! कुर्सी गरिमामय हो तो लोगों का कलम उठ हीं जाता है | ...... ( न्यूज़ :- भव्याश्री डेस्क )
रिपोर्टर