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गर्मी की छुट्टी और घूमने का उमंग दोनों बहार बनकर पास खड़ा है | हील स्टेशन का ख्याल आते ही जहाँ हरीभरी हरियाली ,जगमगाती हुई झील झरने , पहाड़ व बर्फ की ठंढी हवाओं का स्पर्श आँखों के सामने छा जाता है |
कुछ लोग देश से बाहर तो कुछ लोग दूसरे राज्य या शहर में जाना पसंद करते है | मगर वहीं यह सभी के लिए संभव नहीं होता कि वे घूमने में अपना अतिरिक्त धन खर्च कर सके | तो मायुस न हो ! जितना चादर हो आपके पास उतना हीं पैर पसारिये और मन को उसी स्थान पर खड़ा कर दीजिये और इमेजिन कीजिये कि - हम कश्मीर की बर्फीली वादियों में सैर कर रहे हैं या फिर शिमला की हसीन वादियों के साथ या मनाली , नैनीताल , दार्जिलिंग , लोनावाला , गंगटोक , उटी , शिलॉंग , अंडमान निकोबार का वह समुन्द्र तल जहाँ आपको जन्नत महसूस होता है |
ऐसा माना गया है - मन के हारे हार है और मन के जीते जीत | तो क्यूँ नहीं मनाली जो बर्फ से ढकी हुई इसकी चोटियाँ है और पहाड़ो की रानी मसूरी का सैर मन में कर अपने हीं शहरों में कुछ ऐसी जगह जाए जहाँ हमें जीव - जंतु , पेड़ - पौधे , पहाड़ - झरने आदि सब कुछ का दीदार हो | वहां जाकर चंद घड़ी लुफ्त उठाकर हमें गर्मी का आनंद मिले | यहाँ घूमने का घूमना भी होता है और जानकारी भी भरपूर मिलती है |
ऐसे जगह का नाम है चिड़ियाघर जो आपको आपके शहर या आसपास के शहर में जरुर देखने को मिलेगा | यहाँ कई सारे पशु - पक्षी को देखने , उनसे बाते करने व उनके मन पसंदीदा आहार खिलाने का आपको मौका मिलता है | यहाँ इलेक्ट्रिक गाड़ी का सुविधा भी मौजूद होता है जिसमे बैठकर आप आराम से पुरे जू को अपने मन में उतारकर स्वयं को आनंद से भरपूर उस दौर की अनुभूति से परिपूर्ण कर सकते है |
आप अगर जीव - जंतु , पेड़ - पौधे से प्यार करने वाले है , तो इससे बेहतर जगह और भला क्या होगा आपके लिए |
हमारे देश में सफ़ेद बाघ बहुत कम देखने को मिलता है | बेजुबान के अद्दभुत कारनामे व दीदार को हर कोई देखना व करना चाहता है |
विडियो देखने के लिए इस टाइटल पर क्लिक करे :-
पिछले साल सूरत के चिड़ियाघर में एक सफ़ेद बाघ का जोड़ा देखने को मिला , तब इनकी उम्र थी 2 साल 4 महीने | हम बात कर रहे हैं 3 अगस्त 2021 की , तब ANI ने इस विडियो को अपने ट्विटर पर डाला था | इस विडियो को लोगो ने खूब पसंद किया ,तब से मेरी भी चाहत थी कि - इनसे मिलु , बाते करूँ और इनपर कविता गढ़ूं |
कुछ रोज पूर्व हम सूरत की धरती पर इसी चिड़ियाघर में इनके दीदार को गए | वहां की अधिकारी हीना पटेल से मेरी मुलाक़ात हुई , वे हमें इनके नजदीक लेकर गई |
मैंने बहुत पास से इस जोड़ी को देखा और आपके लिए भी इस दृश्य को अपने कैमरे में कैद कर लिया , जहाँ गौरव तालाब में जल स्नान का लुफ्त उठाते हुए मग्न थे , तो वहीं गरिमा इसी कैम्पस के चारो तरफ घुमती हुई नजर आई | इस अद्भुत दृश्य को देखकर हम आनंदित हो रहे थे | किसी भी जीव - जंतु को पास से देखने की बात हीं निराली है जिस अनुभूति को शब्दों में लिख पाना बड़ा हीं मुश्किल है |
देश विदेश में चिड़ियाघर स्थापित किये जाते है , ताकि लोग इन्हें बहुत पास से देख सके , जानकारी प्राप्त कर सके और इनकी रक्षा के लिए अपनी आत्मा में प्यार भर सके | क्यूंकि इस बेजुबान की रक्षक और भक्षक दोनों इंसान हीं होते है |
यह है बेजुबानों का आशियाना चिड़ियाघर जहाँ बहुत कम लोग इनकी भावना व इनकी भाषा को पढ़ पाते है | मगर वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते है जिनकी रूची इन्हें पढ़ने में शामिल है और इनके मन में ऐसे शब्दों के ढेर लगे हैं - जीए तो जीए कैसे बीन आपके , लगता नहीं दिल कहीं बीन आपके" |
पेड़ - पौधे , जीव - जंतु , पहाड़ - झरना के बीच स्वयं को समर्पित करने वाली सूरत के चिड़ियाघर की अधिकारी हीना पटेल आज किसी परिचय की मुहताज नहीं | अपने सपनों की दुनियां को सच साबित करती हुई इन बेजुबानो की सेवा में अपनी जिंदगी के अनमोल पलो को लगा दिया | वह अपना अधिकतम समय और अपनी भावना / प्यार को इनपर समर्पित कर आनंदित होती हैं |
बेजुबानो की जुबान बनी हीना , उनकी भावनाओ व चाहत को बरकरार रखने की हौसले से परिपूर्ण है | उनकी भाषा व प्रकृति की प्यार में स्वयं को समर्पित कर इस देश के लिए एक इतिहास रचने वाली महिलाओं की कड़ी में स्वयं के नाम को अंकित किया है , जो आने वाले कल के लिए एक इन्द्रधनुषी सावन बरसायेगा |
इनसे जब हमारी मुलाक़ात हुई तो ऐसा लगा जैसे अभी अभी फूलो के खिलने की आहट आई हो | आँखों में अद्भुत चमक व चेहरे पर गजब का निखार , शायद ! यह पेड़ - पौधे , जानवर , पहाड़ - झरने व पक्षियों की चहचआहट भरे उत्साह व उनके स्वस्थ रहने और उमंग भरे विचरण का असर हो | सुबह से लेकर शाम तक बेजुबानो की देखभाल , साफ़ सफाई और भ्रमण करने वाले के उत्साह को देखकर इनके मन व तन पर जरा सी भी थकावट का असर नहीं छोड़ती |
इनका दीदार ऐसा है जैसे कि ये कोई योगी हो और शायद ! सच भी है | बेजुबानो को अपनी भाषा समझा देना भी एक प्रकार का योग कहलाता है | हिना मैडम से हमारी मुलाकात दोपहर के ढलते वक्त हुई | स्काई , ब्लू प्रिंट की शूट धुप की चमक में उनके रौनक को और भी चमकीला बना दिया | बहुत दूर से स्कूटी पर आती हुई दिखाई पड़ी , अब वे हमारे बहुत पास खड़ी थी | परिचय को आगे बढ़ाते हुए हम आगे की तरफ बढ़ते चले गए | उन्होंने चिड़ियाघर का एरिया व बेजुबानो की भाषा समझाते हुए बड़े हीं प्यार से इसका विस्तार बताया |
आम के पेड़ में टिकोले ने फलो का राजा होने का सबूत पेश करती हुई अपने झुकाव को प्रस्तुत कर खुशबु व आगमन की निखार से सारा आलम महका रहा था |
ये है सूरत का चिड़ियाघर - पशु - पक्षी , जानवरों का बसेरा जहाँ ये सकूँ से जिंदगी जीते है | यहाँ इनकी सुरक्षा व सेहत का पूरा पूरा ख्याल रखा जाता है | प्रवेश द्वार से जैसे हीं आप अन्दर जायेंगे सामने एक बोर्ड लगा दिखेगा जिसपर लिखा है - बाएं तरफ चलो | इसी रोड से भ्रमण करते हुए आपको सारा आलम दिखाई पड़ता चला जाएगा |
चिड़ियाघर में देश - विदेश के पेड़ - पौधे , पक्षी , जानवर , झरने व पहाड़ आदि के दृश्य देखने को मिलता है | चिड़ियों की चहचहाने की आवाज मुग्ध करती है हर किसी को |
गुजरते हुए हमारी नजर शेर पर पड़ी , कितना खूबसूरती लिए था चेहरा इनका | इनके बदन पर गोल्डन बाल काफी आकर्षित करता नजर आ रहा था | इनकी जोड़ी अपने आप में मग्न दिखाई पड़ रही थी | हम इन्हें देख रहे थे और ये हमें , यहाँ हमें एक दूसरे से न डर लगता है और न भय |
81 एकड़ में फैला यह चिड़ियाघर काफी आकर्षक का केंद्र है | इस पक्षी को देखकर मुझे एक गीत याद आ गया - पंछी बनू उड़ती फिरू मस्त पवन में आज मै आजाद हूँ दुनियां के चमन में |
दोनों तरफ अनगिनत पेड़ - पौधे लगे है और हम बीच सड़क पर आगे बढ़ते जा रहे है | इनकी औषधि भरी हवाएं हमें छूकर गुजर रही है | यहाँ ऑक्सीजन भरपूर मात्रा में मिलता है , इसलिए तो मोर्निंग या इविनिंग वाक सेहत को दुरुस्त व स्वस्थ बनाए रखता है | इसलिए हरेक व्यक्ति को अपनी हिस्से की पेड़ लगानी चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी को ऑक्सीजन मिल सके | हरियालीमय जीवन बनाना है तो ठान लीजिये की औषधि भरे पेड़ को हमें लगाना होगा |
अपने नजदीकी चिड़ियाघर , पार्क या उस स्थान पर सप्ताह में एक बार जरुर पहुँचिये जहाँ पर आपको हर तरह के पेड़ - पौधे मौजूद मिले | मेरा दावा है आप आजीवन भरपूर स्वस्थ बने रहेंगे और ऐसे स्थानों पर जब भी जाइए तो दिल खोलकर हंसिये - हंसाइये , गाइए - गुनगुनाइए और कुछ बेहतर सन्देश भी छोड़िये अपनो के लिए |
इस चिड़ियाघर का नाम है सरथाना नेचर पार्क जिसका स्वामित्व और प्रबंधन सूरत नगर निगम के पास है | यह राज्य का सबसे बड़ा जूलौजिकल गार्डेन है और गुजरात का सबसे पुरानी प्राणी उद्यानों में से एक | इसके उत्तर की तरफ तापती नदी की निर्मल धाराएँ बहती है |
सोमवार को यह उद्यान बंद रहता है | मंगलवार से रविवार तक के समय में 10 बजे सुबह से लेकर शाम 5 बजे तक आप लुफ्त उठा सकते है | कई तरह की चिड़िया व मोर और गौरया कई रंगों में उपलब्ध है जो इस वन की खूबसूरती में चार चंद जड़ते है |
यहाँ लोगो के स्वस्थ भ्रमण हेतु जोखिम से बचने के लिए इंतजाम किये गए हैं |
अभी गर्मी का मौसम शुरू होते हीं इनके आहार में बदलाव के अलावा कूलर , स्प्रिंकलर व भरपूर पानी की सुविधाओं के साथ भोजन में मल्टी विटामिन व मौसमी फलो को शामिल किया गया है | इनके पिंजरे को ठंढा रखने के लिए स्प्रिंकलर की व्यवस्था की गई है |
हीना पटेल ने कहा है कि - अधिकतर पेड़ों को वजह से यहाँ के वातावरण में ज्यादा गर्मी नहीं है , बावजूद हम हर तीन चार घंटे में उन्हें ठंढे पानी उपलब्ध कराते है , क्यूंकि हमें हर हाल में उन्हें स्वस्थ बनाए रखना है |
अभी गर्मी की छुट्टी हो चुकी है तो कहीं - कहीं होने वाली है | ऐसे में बच्चो के कारण बड़े भी घूमने का लुफ्त उठा पाते है | इन बेजुबानो की अंगराइयां व रंग - बिरंगी तितलियाँ और कई गुणों से भरपूर पेड़ - पौधे से निकलता मस्त हवा का वह झोंका जो आपके मन को भी आनंदित करता है और कई रोग से भी मुक्त करने का जादू है इन आयुर्वेदिक हवाएं में जो मिल पाता है |
अभी यहाँ और भी बहुत कुछ निर्माण होना बाकी है जिससे की मन कुछ पल और ठहर जाने की बात करेगा , जैसा की यहाँ कि अधिकारी हीना पटेल ने बताया | साथ हीं कहा कि - प्रति सोमवार को चिड़ियाघर में साफ़ - सफाई व जानवरों को एलोन रखने के निर्देश दिए गए हैं | इसलिए आज के दिन चिड़ियाघर में भ्रमण करने वालो के लिए अंकुश है |
अब हमारा यह भ्रमण कार्यक्रम अंतिम पहुँच पर था , हम जहाँ से आरम्भ हुए थे वहीं पर गति ठहर गई | मैंने हीना पटेल को धन्यवाद देते हुए अपना रुख अपनी मंजिल की तरफ बढ़ाया और दिल एक बार फिर उन्हें धन्यवाद देते हुए बोल पड़ा - सच्ची सेवा बेजुबानो की सेवा है | लाख दुआएं आपको मिलती है हर रोज , काश ! सभी का दिल ऐसा हीं हो ताकि कोई बेजुबानो का भक्षक न बने |
हमने कदम बढ़ा दी है इनकी सुरक्षा में , आप ? ............ ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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