Breaking News
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से जब एक टीवी चैनल पर पूछा गया कि - भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नुपुर शर्मा , पैगम्बर मोहम्मद साहब के लिए आपत्तिजनक टिप्पणी नहीं करती तो पुरे देश में इस कदर का माहौल नहीं बनता |
जवाब में राज्यपाल मोहम्मद ने कहा कि - भारत का मतलब नुपुर शर्मा और आप , हम नहीं है | भारत की संस्कृति का इतिहास 5000 साल पुराना है | यहाँ विभिन्न तरह के लोग रहते है फिर भी सभी एक है | जहाँ तक बदलाव की बात है तो समय के साथ बदलाव जरुरी है |
अगर शरीयत की बात करते है तो जो इस देश का कानून नहीं है और उसके कारण आप किसी मासूम की गर्दन काट दे रहे है | आगे कहा - शरीयत की इस बात पर भी ध्यान दीजिये जिसमे लिखा गया है कि - जिस देश में शरीयत लागू नहीं है वहां पर मत रहिये |
राज्यपाल महोदय "सर तन से जुदा" के नारे पर दुखी होते हुए कहा कि - जो लोग शरीया कानून लागु करना चाहते है वो लोग उस देश में चले जाए जहाँ शरीया कानून लागु है | सोशल मीडिया पर इनकी प्रतिक्रिया वायरल हो रही है | यह सारी प्रतिक्रिया उदयपुर के टेलर कन्हैयालाल की हत्या करने के बाद सामने आई है जिसमे सर तन से जुदा वाले नारे पर कुंठित होते हुए उन्होंने बोला था |
इनकी प्रतिक्रिया पर अमीत प्रताप सिंह नामक यूजर ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा - इससे अच्छा सजेशन नहीं हो सकता | वहीं किसी ने लिखा - यह बाते किस किताब में है हमें बताइये ?
राज्यपाल महोदय की इन बातो को देवबंद के उलेमा मुफ़्ती कासमी स्वीकार न कर सके और उन्होंने पलटवार करते हुए लिखा - ऐसे शख्स को इतने बड़े ओहदे पर बिठाया गया है जिन्हें उलेमा और मदारिस का इतिहास भी नहीं पता है | मै राज्यपाल महोदय को बताना चाहता हूँ कि - ये वहीं उलेमा और मदारिस है जिनकी कुर्बानियों से ये मुल्क आजाद हुआ है |
मगर उलेमा मुफ़्ती कासमी जी राज्यपाल महोदय की भावना और कहने के अर्थ पर सीधा पलटवार कर दिया | आजादी के बाद तो दो हिस्से हुए जिसमे भारत और पाकिस्तान में अलग - अलग कानून बनाये गए | उन्होंने सिर्फ इतना कहा - जो लोग शरीया कानून लागु करना चाहते है वो उस देश में चले जाए जहाँ ये कानून लागु है |
राज्यपाल ने कहा - मदरसों में बच्चो को सिखाया जा रहा है कि ईश निंदा की सजा गला काटना है | उन्होंने स्पष्ट किया कि - मुस्लिम कानून कुरान से नहीं आया है |मुस्लिम शासको के दौर में इसे लोगो ने लिखा था जिसमे "सर कलम" करने का कानून है और यह कानून मदरसों के मासूम बच्चो को पढ़ाया जा रहा है | मासूम बच्चो को पढ़ाया जा रहा है नफरतो का बीज बोना जो निंदनीय है |
बाते जो भी उभरकर सामने आ रही है - कोई सुलझाना चाहता है तो कोई उलझाना | मगर लोग ये नहीं सोंचते कि इस धरती की बगिया में जो फूल लगे है , यह अगर टूटकर बिखर गया तो लोग कहाँ जायेंगे ? पिलर गिरा तो छत गिरा नुकसान सभी का है |
हमें भी उम्मीद न थी कि इस कदर छोटी मोटी बाते उछाल लेकर किसी की जिंदगी पर बन आएगी | हिन्दू , मुस्लिम , सिख , इसाई ये सभी चारो धर्म बराबर है और किसी धर्म को हम छोटा या कम नहीं कर सकते | इस बातो से सभी वाकिफ है कि - ईद मिलन में हिन्दुओं के घर ईद मनाई जाती है और मुस्लिम भाई भी होली मिलन और दीपावली का त्यौहार मानते है | वहीं 25 दिसंबर एक्समस डे की बात करे या फिर सिख समुदाय के त्यौहार की बात करे , हम भारतीय तो सभी त्यौहार मिलकर मनाते है और यहीं हमारी एकता और मजबूती का परिचय है |
कुछ साल पहले बॉलीवुड के हास्य अभिनेता एहसान कुरैशी ने एक साक्षात्कार के दौरान मुझसे कहा था - यहाँ चेहरे नहीं इंसान पढ़े जाते है , मजहब नहीं ईमान पढ़े जाते है और यह देश इसलिए महान है दोस्तों कि - यहाँ एक साथ गीता और कुरान पढ़े जाते है |
अब इससे आगे इस उलझन में और क्या तर्क दिया जा सकता है , सोंचना हमें होगा - भारत में शांति जरुरी है | ........ ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
रिपोर्टर