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सनातन धर्म में गाय को माता माना गया है |साथ हीं हमारा यह भी मानना है की हम जिस किसी का भी दूध पीकर पोषित होते है उन्हें माँ का दर्जा मिलना चाहिए | वहीं कुर्बानी शब्द से सभी वाकिफ है , ऐसे में किसी बेजुबान के दिल से आह ! निकल जाए तो लोगो के आँखों से आंसू छलक जाना भी शायद कम होगा |
कोई भी जीव हो , मरने पर दर्द तो सभी को एक जैसा हीं होता है और अपनो से जुदाई पर दिल आहत भी |
कुर्बानी शब्द पर चर्चा इसलिए कि अभी ईद का आगमन बहुत करीब है | कुर्बानी अक्सर बेजुबानो की दी जाती है , कई धर्म में ऐसा देखने / सुनने को मिलता है | अब बहुत जगह कई धर्म वाले कुर्बानी में नारियल और कोहरा आदि को शामिल कर लिया है और जीव के कुर्बानी पर रोक लगा दिया |
खैर ...... हम कुर्बानी पर बात कर रहे है तो मुस्लिम नेता "बदरुदीन अजमल" जो कि लोकसभा सांसद और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के प्रमुख है ने असम के मुसलमानों से हिन्दुओं की भावना को सम्मान करने की अपील की है | उन्होंने ईद - उल - अजहा के दौरान गायो की बलि नहीं देने की अपील करते हुए कहा कि - हमें हिन्दू और मुस्लिम की एकता को बनाए रखना होगा , तभी भारत में प्रेम व सदभाव कायम रहेगा |
अजमल असम राज्य के जमीयत उलमा के अध्यक्ष भी है जो कि देवबंदी स्कूल ऑफ़ थिंक से सम्बंधित इस्लामिक विद्वानों के प्रमुख संगठनो की टॉप बॉडी है | उन्होंने एक बहुत बड़ी बात और महत्वपूर्ण बाते कह दी जो अधिकांशतः लोग मानने को तैयार नहीं होते | कोई भी मजहब हो प्रमुख व्यक्ति की बातो का असर पड़ता है लोगो पर | उन्होंने कहा कि - हमारे सभी पूर्वज हिन्दू थे | वे इस्लाम में आये क्यूंकि उन्हें इसमे विशेष गुण लगा जिसमे अन्य धर्मो की भावनाओं का सम्मान करना भी शामिल है | आगे कहा - हिन्दुओं का सनातन धर्म गाय को माता मानता है और उनकी पूजा करता है | हमें उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं करनी चाहिए |
इस बात पर भी प्रकाश डाला - 2008 में इस्लामी मदरसों से दारुल उलूम देवबंद ने सार्वजनिक अपील की थी कि - बकरीद पर गाय की कुर्बानी न दी जाए |
इनकी बातो को सुनकर बहुत लोगो के दिलो पर राहत का शबनम बरसा होगा | ऐसे लोगो को कहा जाता है - अमन , चैन कायम करनेवाला इंसान | एक बात उन्होंने और भी बढ़िया कहा जो जिंदगी में उतारने लायक है - पूर्व भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा द्वारा पैगमबर मोहम्मद साहब पर किये गए टिप्पणी पर मुसलमानों को कोई प्रतिक्रिया नहीं करनी चाहिए| इसके अतिरिक्त उन्हें प्रार्थना करनी चाहिए कि भगवान नुपुर शर्मा जैसे लोगो को दिमाग दे | सिर काटने की बातो को बेवकूफी से भरा वाक्या कहा |
हम तो कहेंगे कि - यह बाते सिर्फ मुस्लिम धर्मवाले नहीं सभी धर्मवाले को जिंदगी में उतारनी चाहिए
जिनके मन में ऐसी बातो का उपज है वैसे लोगो को सिर्फ आज धर्म को आड़े रखकर अपनी रोटी सेक धर्म को बदनाम करके अपनी उंचाई नापना कहा जाए तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगा | शायद लोग भूल गए भारत की आजदी के पहले के उस दर्द को , क्यूंकि इस दर्द को सिर्फ लोगो ने सूना है | जिसने जीया है वे तो इस दुनियां में सिर्फ 15 अगस्त और 26 जनवरी को याद किये जाते है या फिर अपने जन्मदिवस या पुण्यतिथि पर |
आजाद भारत हमें मिला है जिसे पूर्वज ने हमारे नाम किया तो इस धरोहर को संभालकर रखिये जहाँ हर धर्म का सम्मान हो और हर धर्म वाले लोगो का भी सम्मान हो | ......... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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