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आज शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि है | आश्विन महीने की आमवस्या तक यह दिन अपने पितरों को याद करने , उन्हें जल अर्पण करने , श्राद्ध कर्म व दान आदि करने का दिन है | माना गया है कि - अपने सामर्थ्य के अनुसार आज के दिन अपने पूर्वजों के लिए दान करे | साल में यह दिन कुछ समय के लिए आता है | इसलिए मरे हुए वे लोग , जिनसे आपकी मोहब्बत रही हो या फिर जिस जगह आप रहे हैं , उस स्थान पर मरे हुए व्यक्ति का भी अधिकार होता है | तो उनके हिस्से का सारा धन आप स्वयं पर , परिवार पर खर्च न करे | साल में उनके नाम से दान करे , कुछ अच्छा करे और भूखे को भोजन कराये |
आज के दिन पितरगण धरती पर आते हैं | ऐसे में अगर उनका श्राद्ध विधि पूर्वक न किया जाए , तो वे अतृप्त होकर , नाराज होकर वापस लौट जाते है | यह उनका घोर अपमान माना जाता है | वहीं अगर आप उनके लिए कुछ भी अच्छा करते है , तो उनकी आत्मा तृप्त होकर आपको भरपूर आशीर्वाद भी देकर जाती है |
याद रहे आज से लेकर 16 दिन उनके लिए है | इस सोलह दिन में आप उनके लिए क्या कर सकते है ? यह आपको सोंचना पड़ेगा ! अगर जीवन में कुछ अच्छा करना है , पाना है और आगे बढ़ना है तो , इस सोलह दिन को आप ठीक उस तरह खर्च करे , जिस तरह की आप अपने लिए किसी समारोह उत्सव या पिकनिक पर खर्च करते है | उनका आशीर्वाद आपको कई गुना ज्यादा बढ़ोतरी देकर जायेगी |
देहांत की तिथि भी होती है | वह तिथि अगर इन सोलह दिन में आ रहा हो , तो उस तिथि पर या वह दिन जिस दिन आपके अपने गुजर गए हो , हर संभव प्रयास करे बहुत कुछ अच्छा करने का | उनके नाम से उस मंदिर में कुछ अच्छा मीठा चढ़ाए और ईश्वर से प्रार्थना करे कि - यह जो आपने अर्पण किया है , यह मेरे अपने पूर्वज तक पहुंचा दिये जाए |
पीपल के वृक्ष पर भगवान विष्णु , माँ लक्ष्मी और श्रीकृष्ण का निवास स्थान कहा गया है | साथ हीं पीपल के वृक्ष पर पितरों का भी निवास स्थान होता है | इसलिए इस वृक्ष के पास एक दीपक जरुर जलाए | उनका स्मरण करके यह ज्योति उनको अर्पण करे | इस सोलह दिन में कोई भी आपके दरवाजे पर दस्तक दे सकता है , वह इंसान हो या फिर कोई भी जानवर , जीव | तो ऐसे में किसी भी इंसान के लिए सख्त शब्दों का इस्तेमाल न करे | अगर कोई जीव , जानवर आपके दरवाजे पर आ रहा हो , बैठा हो , तो उसे लात या डंडा मारकर न भगाए | खासकर कुत्ते को कभी डंडा या लात नहीं मारिये |
पांच जीव के विषय में हम आपको बता दे कि - जिसमे एक मनुष्य रूप भी होगा | उन्हें इस 16 दिन में खाना जरुर खिलाये | वैसे विधि तो अनगिनत है , जिसमे बड़े - बड़े धनी लोग हीं इस विधि को कर या करा सकते है | परन्तु सामान्य लोगों के लिए हम इतना जरुर कहेंगे कि - 5 जीव में आप अपने घर में केले के पत्ते पर कुछ भी बना हुआ और मीठा अन्न परोसे , उनको ध्यान करे और उसपर थोड़ा जल चढ़ाए | यह सीधा उनतक पहुंचेगा , जिसमे - गाय , कुत्ता . कौआ , छोटी कन्या और चिट्टी , ये बहुत महत्वपूर्ण रूप में नज़रों के सामने होते हैं | इनका अपमान बिलकुल न करे , प्रेम पूर्वक इनके आगे खाने की वास्तु को डाले , जिसमे कुछ मीठा होना चाहिए |
16 दिनों के विषय में हम आपको बता दे कि - आज 20 सितम्बर है जिसे श्राद्ध पूर्णिमा कहा जाता है | यह आरंभिक दिन है , इसके बाद 21 तारीख को प्रतिपदा श्राद्ध , 22 सितम्बर को द्वितीया श्राद्ध , इस तरह आप हर अंक आंकते हुए - नवमी श्राद्ध 30 सितम्बर को पड़ रहा है | 30 सितम्बर के बाद 1 अक्टूबर को दशमी श्राद्ध , उसके बाद द्वादशी , त्रयोदशी , चतुर्दशी श्राद्ध और 6 अक्टूबर को आमवस्या श्राद्ध यह सोलहवां दिन है | इसके बाद पितृपक्ष का समापन हो जाता है |
फिर 1 साल के लिए आप फ्री है | वैसे तो याद करने के लिए हर दिन है , सालो भर आप इन्हें याद करे | परन्तु पितरों की आत्मा को तृप्त करने का यह बहुत हीं महत्वपूर्ण समय है |
एक जानकारी हम आपको और देना चाहते है - बहुत सारे घर को संपन्न देखा गया , परन्तु उसका धीरे - धीरे नीचे की अवस्था में गिरना आरम्भ होता हीं चला गया | लोग समझ नहीं पाते कि - हमारे नीचे गिरने का कारण क्या है ? सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि - जिस धरती को आपके पूर्वजों ने ख़रीदा , बनाया , संवारा आप उनके अंश है | ऐसे में अगर आप उनके लिए कुछ धन दान में नहीं निकालते हैं , तो उनका अपमान ठीक वैसे हीं होता है | जैसे कि आपके घर में चार मेहमान आये और उनमे से किसी एक को आप नज़रों के सामने खाना न खिलाएं या सम्मान न दें , तो वे अगले तीन के सामने खुद का अपमान समझते हैं |
यहीं चीज मृत आत्माओं के साथ भी होता है , क्यूंकि मरने के बाद उनकी एक अपनी दुनियां बनती है | जिसके बाद साल में एकबार ये आत्मा सोलह दिन के लिए धरती पर भ्रमण करती है और देखती है कि - उनका परिवार उन्हें कितना मान - सम्मान दे रही है और याद कर रही है | उसी तरह वे भी अपने आशीर्वाद खर्च करके उस दुनियां में लौट जाते है और नहीं तो श्राप देकर लौटते है | लौटने के बाद उस दुनियां में उनके मित्र मंडली उनसे पूछते है कि - धरती पर तुम्हरे परिवार ने तुम्हें क्या दिया , तुम्हें कितना याद किया ? इस तरह या तो मरी हुई आत्मा सम्मानित होती है या फिर अपमानित और यह सौ फीसदी सही बातें है , इसे मजाक में न ले | 16 दिन काफी सयंम रखे , घर का वातावर्ण शुद्ध और शांत रखे , शरीर पर तेल का इस्तेमाल न करे और न हीं कोई परफ्यूम या इत्र का इस्तेमाल करे | हो सके तो इस दिन किसी भी वृक्ष का जैसे - आम , बरगद , पीपल या ये न संभव हो तो तुलसी का वृक्ष जरुर उनकी याद में लगा दें और उन्हें याद करके उसपर श्रद्धा पूर्वक जल चढ़ाये | ...... ( अध्यात्म फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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