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बॉलीवुड फिल्म मेकर राज कौशल के निधन से लोग सदमे में है , ये 49 वर्ष के थे | उनकी पत्नी अभिनेत्री मंदिरा बेदी फूट-फूटकर रो रही है | राज कौशल के साथ उनकी हर खुशियां बिखर गई | अपने उजरे संसार की अंतिम विदाई में , उन्होंने अपने पति की अर्थी को कंधा भी दिया है |
राज कौशल और मंदिरा बेदी का विवाह 14 फरवरी 1999 को हुआ था | इन दोनों ने अपनी पसंद से विवाह किया | इन दोनों की पहली मुलाकात 1996 में , मुकुल आनंद के घर पर हुई थी | मंदिरा बेदी वहां ऑडिशन के लिए पहुंची थी , उस वक्त राज कौशल मुकुल आनंद के साथ उनके सहयोगी बनकर काम कर रहे थे | फिर इन दोनों ने अपने बढ़ते हुए रिश्तो को विवाह जैसा पवित्र बंधन का नाम दे दिया | इनके दो बच्चे हैं - एक लड़की , एक लड़का | पिछले वर्ष ही बेटी तारा को इन्होंने गोद लिया है |
राज कौशल का निधन , हार्ट अटैक के आने से हुआ | सुबह करीब 4:30 बजे इन्हें हार्ट अटैक आया , जिसके बाद उन्हें अस्पताल पहुँचाया गया | परन्तु अफसोस की वहां से फिर इनकी सांसे वापस नहीं लौट पायी |
कल 11:00 बजे उनके आवास से , उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई | यह वह पल था , जब लोग उनसे और वह लोगों से बिछड़ रहे थे , इस जन्म में फिर कभी नहीं लौटने के लिए | अंतिम यात्रा की विदाई , जुदाई बनकर बहुत रुलाती है , जिसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है और धरती से विदाई के बाद वे किस दुनिया में पहुंच जाते हैं , यह समझ से परे है | जहां आवागमन का कोई साधन ही नहीं |
मोह - माया को नजरअंदाज कर , राज कौशल का सफर अंतिम यात्रा के लिए , घर से निकला | मंदिरा बेदी , अपने पति की इस आखरी दर्शन पर बिलख - बिलख कर रोति दिखाई दी | राज कौशल की मृत्यु की खबर सुनकर , उनके चाहने वाले , उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं |
रोहित रॉय ने , उनके निधन पर शोक जताते हुए लिखा - मेरा सबसे पुराना करीबी दोस्त , आज मुझे छोड़ कर चला गया और देखों मै उनकी अंतिम यात्रा का भी हिस्सा नहीं बन सका | मैं उसे देख तक नहीं सका , यह भी नहीं देख पाया की वह ठीक है या नहीं ! उसको जाकर छू भी नहीं पाया और लोग सोंचते है कि एक्टर की जिंदगी काफी अच्छी और मजेदार होती है | कई बार यह प्रोफेसन , हमारे लिए ऐसी स्थिति पैदा करता है , जिसका मलाल हमें जीवन भर रहता है | राज कौशल , भगवान आपकी आत्मा को शांति दे |
इन्स्टाग्राम पर राज कौशल संग , रोहित रॉय ने फोटो शेयर की थी , जिसके साथ लिखा था - एक सबसे शानदार इंसान , जिससे आप मिलकर खुश हो सके और अगर आप खुशनसीब है तो खुद को आप उनका दोस्त भी बता सकते है और ऐसे हीं वह हम सभी को छोड़ कर चला गया , बिना गुड बॉय बोले | मै सदमे में हूँ और रिएक्ट नहीं कर पा रहा हूँ | यह बिल्कुल भी सही नहीं हुआ राज , मेरे दोस्त मेरे भाई , वहां भी तुम इसी तरह खुशियाँ फैलाना | मैं जानता हूँ कि , तुम वहां खुद के लिए बहुत अच्छा कुछ ढूँढ रहे हो ! हम सभी तुमसे बहुत प्यार करते है और तुम जानते हो कि हम अगले हफ्ते , अगले हफ्ते करते रहे और वह हफ्ता कभी नहीं आया | जिसमे हम मिल रहे होते , तुमसे अब दूसरे छोड़ पर मुलाकात होगी |
राज कौशल ने अभिनेता के तौर पर बॉलीवुड में कदम बढ़ाया था , फिर फिल्म "प्यार में कभी कभी , शादी का लड्डू , एंथनी कौन" आदि फिल्म में डायरेक्शन दिया | जीवन का यह दुर्भाग्य है कि , लोगों को एक दूसरे से हर हाल में जुदा होना ही पड़ता है और यह सत्य भी है | यहां कोई रिश्वत नहीं चलता रुक जाने के लिए , यहां मृत्यु की तारीख को बढ़ाना संभव नहीं होता |
राज को पहले से कोई समस्या नहीं थी , बुधवार को अचानक दिल का दौड़ा परने के बाद उनकी मृत्यु हुई | बीते रविवार को उन्होंने अपने दोस्त के साथ पार्टी की थी और इन्स्टाग्राम पर पार्टी की तस्वीर भी शेयर किया था | उसमें उनकी मित्र नेहा धूपिया , अंगद बेदी आदि नजर आ रहे थे | राज कौशल , हर पार्टी या विशेष तस्वीर को इंस्टाग्राम पर पोस्ट करते थे |
फिल्ममेकर ओनिर ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा - इस सुबह , हमने एक फिल्ममेकर को खो दिया , बहुत दुखद है | वे मेरी फिल्म "माय ब्रदर निखिल" के प्रोडूसर थे | वे , उन चंद लोगों में से थे , जो हमारा विजन समझते थे और सपोर्ट करते थे |
आज मंदिरा बेदी का पिछला पन्ना पलटा जाए तो , 1994 में DD1 से प्रसारित टीवी सीरियल "शांति" जिसमें मंदिरा बेदी हर घर में दस्तक देती हुई लोगों का दिल जीता था | सीरियल हर दिन एक इंतजार छोड़ता है , हर कल आने के लिए और लोग उसी कल का इंतजार करते थे कि मंदिरा का आज क्या रुख होगा ? मंदिरा बेदी , धीरे-धीरे अपने व्यक्तित्व को निखारने लगी और जीवन का एक सुखद पल भी 1999 से कल तक जिया | लेकिन आज फिर भी बहुत कुछ अधूरा सा रह गया , उनके पति के जाने के बाद | अधूरे सफर में , पति ने छोड़ दिया हाथ , क्या यहीं साथ है ? यह आदमी की जीत है या हार , कैसे कहा जा सकता है ? जिसे पाने के लिए लोग तमाम उम्र लगा देते है , उसे ऐसे छोड़ना पड़ जाता है कि सामने कोई उपाय , सोंच , कोशिश सब फीकी पड़ जाती है और अपने दिल को समझाते हुए यह स्वीकार करना पड़ता है कि - हम अकेले हीं आये थे और जाना भी होगा अकेले हीं | यहाँ कोई साथी नहीं और न मिलेगा साथ चलने वाला कोई हमसफ़र | ....... ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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