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इंडिगो विमान 180 यात्रियों को लेकर हवा में चक्कर काटती रही | करीबन सवा घंटे तक यात्रियों को इसी दौर से गुजरना पड़ा |
कल्पना कीजिये - विमान को लैंडिंग करने के लिए जगह नहीं मिले और वह सवा घंटे तक आसमान में बादलो के बीच मंडराता रहे तो विमान में बैठे यात्रियों का क्या हाल होगा ? यह महसूस किया जा सकता है | परन्तु वहीं जब विमान के अन्दर यह घोषणा की जाए कि विमान बहुत जल्द लैंडिंग करने वाला है , ऐसे में किसी भी यात्रियों के मन में दो से चार मिनट का हीं समय मन को केन्द्रित करेगा फिर हलचल मचाने से वो चुकेगा नहीं और कई सवाल उसके मन को कुरेदना आरम्भ कर देगा कि - आखिरकार लैंडिंग में इतना वक्त क्यूँ लग रहा है ?
मगर सवा घंटे तक विमान के अन्दर यात्रियों को हवा में सफ़र करना पड़ा यह कल्पना नही हकीकत है | बीते शनिवार शाम 4 बजे कानपुर के चेकरी एयरपोर्ट से मुंबई एयरपोर्ट के लिए उड़ान भरी इंडिगो की फ्लाइट के साथ ऐसा हीं हुआ जिसमे 180 यात्री सवार थे , यानि सभी सीटें भरी हुई थी | इस फ्लाइट को 7 बजे के बाद सूरत एयरपोर्ट पर लैंडिंग कराना पड़ा और विमान इंधन भरवाकर फिर मुंबई के लिए उड़ान भरी | यात्रियों को इस गति से थोड़ा समझ में आया कि मुंबई की जगह सूरत में क्यूँ लैंडिंग कराया गया ? मगर फिर भी वे अनभिज्ञ रहे |
हालाकि इंडिगो के अन्दर उन्हें देरी के लिए सात्वना भरे शब्दों से राहत पहुँचाया जा रहा था | वहीं एयर ट्राफिक कण्ट्रोलर व पायलट के बीच की बात से यात्री पूर्णरूप से वाकिफ नहीं थे |
मामला यह था कि -
लैंडिंग के लिए इंडिगो एयरपोर्ट पर निर्धारित समय पर पहुंची थी , मगर वहां लैंडिंग के लिए व्यवथा नहीं थी और ऐसे में सवा घंटे तक विमान हवा में चक्कर काटती रही जिससे विमान में इंधन कम पड़ गया | परिस्थिति को देखते हुए विमान कंट्रोलर ने पायलट को आधार दिया और विमान को सूरत में इंधन के लिए लैंडिंग करना पड़ा |
अगर ऐसा नहीं होता तो विमान आसमान में वगैर फ्यूल कब तक सफ़र कर पाती ? 180 यात्री की जिंदगी कंट्रोलर व पायलट की सुझबुझ पर निर्भर करता है कि - वो कैसे अपने यात्री को सुरक्षित बचाकर लैंडिंग कराये | गंतव्य तक पहुँचने से ज्यादा फ्यूल भरा जाता है , मगर इतना भी ज्यादा नहीं कि विमान घंटो आसमान में प्रतीक्षा करता रहे और यात्रियों को विमान के अन्दर सुरक्षा दिया जा सके | क्यूंकि यह आसमान है जमीन नहीं |
यात्रिगण जब विमान से उतरे तो कुछ यात्रियों ने अपने दिल का हाल बताया | कहा कि - एयरपोर्ट अथॉरिटी को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि जब लैंडिंग की व्यवस्था नहीं तो वो लैंडिंग का समय कैसे निर्धारित कर देते हैं ?
हमें याद आ रहा है - चलती हुई ट्रेन का क्रोसिंग में रुक जाना | कभी - कभी ट्रेन अपने गंतव्य से कुछ दूर पहले कई घंटे तक रुक जाती है , क्यूंकि उन्हें क्लियर लाइन नहीं मिल पाता और इस बीच यात्री अपना पेसेंस खोकर गाड़ी से उतर जाते है | कुछ लोग पैदल हीं स्टेशन पर पहुँचते है , वहीं कुछ लोग अन्य वाहन पर सफ़र तय करते है |
मगर सवाल ये है कि - धरती पर तो दिमाग दौड़ाया जा सकता है , मगर विमान में बैठे यात्री खुला आसमान और बादलो के बीच अपनी दिमाग को किस गति में बदले |खैर ......... ऐसा पहली बार नहीं हुआ है और शायद आखिरी भी नहीं कहा जा सकता ! मगर सबसे बड़ी बात यह है कि - देर उतरे मगर दुरुस्त उतरे और लैंडिंग सुरक्षित हो गया | ........... ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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