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भारत रत्न से सम्मानित स्वर कोकिला "लता मंगेशकर" का आज निधन हो गया | काफी दिनों से वे मुंबई के अस्पताल में भर्ती थी | 5 फ़रवरी को उनकी स्थिति बिगड़ गई जिससे देश में एक भूचाल आ गया |
वहीं इनकी बहन आशा भोसले का बयान जब सामने आया कि - दीदी अच्छी हो रही है तब जाकर लोगो को राहत मिली | मगर शक की सुई कहीं न कहीं उन्हें बेचैन और विचलित कर रहा था और ऊपर वाले से वे लता दीदी के स्वस्थ हो जाने की कामना कर रहे थे | मगर 6 फ़रवरी की सुबह एक दुःख भरा सन्देश पूरी दुनियां को मिला और रुला गया कि स्वर कोकिला लता मंगेशकर अब इस दुनियां में नहीं रही |
अपनी सुरीली आवाज से पूरी दुनियां को दीवाना बना देने का रहस्य उनके साथ हीं चला गया |
उन्होंने मुंबई की ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम साँस लिया , वे 92 वर्ष की थी |
13 साल की उम्र में इन्होने अपनी कैरियर की शुरुआत की और कई भाषाओं की फिल्मो में अपनी सुर को सम्मलित किया | उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न से नवाजा जा चूका है | वहीं पद्मभूषण , पद्मविभूषण और दादा साहेब फालके पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चूका है | लता दीदी कई भाषाओँ की फिल्म में लगभग 30 हजार से अधिक गाने को सुर दिया |
5 दशक तक फिल्म इंडस्ट्री पर राज करने वाली लता दीदी ने एक इतिहास लिखा और इतिहास बन गई जिसे सदियों सदी लोग याद करते रहेंगे और आने वाली पीढ़ी उनका अनुकरण कर पदचिन्हों पर चलना पसंद करेगी |
बीते जनवरी में उन्हें कोरोना हुआ था जिससे उन्हें मुंबई के कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया | फिर वे निमोनिया की चपेट से भी ग्रसित हुई , तब उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था | हालत में सुधार होने के बाद फिर उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट से हटा दिया गया | लेकिन 5 फ़रवरी को फिर उनकी हालत बिगड़ी और उन्हें फिर से वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया | परन्तु अफ़सोस उनका उपचार बेअसर रहा और 6 फ़रवरी को स्वर कोकिला ने इस दुनियां को अलविदा कह दिया |
लता मंगेशकर के निधन पर पूरा देश शोकाकुल है और दीदी के चाहने वाले उन्हें श्रधांजलि अर्पित कर रहे हैं |
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लता दीदी के तस्वीरों को पोस्ट करते हुए लिखा - दयालु और सबका ध्यान रखने वाली लता दीदी हमें छोड़ गई हैं | वह हमारे देश में ऐसी शुन्यता छोड़ गई है जो कभी भर नहीं सकेगी |
केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लिखा - सब देशवासियों की तरह मेरे लिए भी उनका संगीत बहुत हीं प्रिय रहा है | मुझे जब भी समय मिलता है मै उनके द्वारा गाये गए नगमे जरुर सुनता हूँ | ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे और परिजनों को संबल दे | ॐ शान्ति |
वैसे तो लता दीदी के सभी गाने यादगार है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता | पर इन सभी गानों में एक लोकप्रिय गाना "ऐ मेरे वतन के लोगो" आज भी दिल को झकझोर कर रख देता है | इस गीत को प्रदीप ने लिखा है और इसकी प्रस्तुति 1963 में गणतंत्र दिवस के के समारोह पर हुई थी | इस गाने के लिए पहले लता दीदी इंकार कर चुकी थी क्यूंकि उनके पास रिहर्सल के लिए समय नहीं था | परन्तु फिर बाद में प्रदीप द्वारा मनाने के बाद वो मान गई और अपनी बहन आशा भोसले के साथ गाने के लिए तैयार हो गई और दोनों ने प्रेक्टिस भी किया | परन्तु अचानक दिल्ली जाने के दिन आशा भोसले ने जाने से इंकार कर दिया जिसके बाद लता मंगेशकर को अकेले हीं इस गाने को गाना पड़ा और आज यह गीत एक यादगार गीत में शामिल है |
आज वह हमारे बीच नहीं | यह एक सच्चाई है - जो आया है उसे तो एक न एक दिन जाना हीं होता है | मगर किसी ने सोंचा हीं नहीं था कि - हमारे देश की धरोहर स्वर कोकिला हमें यूँ छोड़कर दुनियां को अलविदा कह देंगी | आज फिर हमें याद आ गया अमर हुई एक गीत के बोल "खुश रहना देश के प्यारे अब हम तो सफ़र करते है" और वाकई में वे दुनियां से सफ़र कर लोगो को सोंचने पर मजबूर किया - शायद ! जिंदगी इसी का नाम है |
इनकी मृत्यु की खबर से मानो पैरो तले धरती फिसल गया हो और लोग बेचैन हुए यह सोंचकर कि वो आज हमारे बीच नहीं | मगर दीदी अमर हुई | इतना मान - सम्मान और शोहरत बहुत कम लोगों को मिलता है | दीदी ने दुनियां वालो का जितना प्यार पाया वो बहुत कम के नसीब में लिखा जाता है | अब उनकी विदाई के बाद कोई ऐसा पल नहीं होगा जब लोग उन्हें याद नहीं करेंगे और कोई ऐसा कल भी नहीं गुजरेगा जब लोग उन्हें याद नहीं करेंगे | हर दिन उनके द्वारा गाये गए गीत उनकी धरती पर मौजूद होने का दस्तक देगा और सुनाई पड़ेगी उनकी आवाज जो सदैव जिन्दा रहेगा |
आपको भव्याश्री परिवार की तरफ से श्रधांजलि | आप जिस दुनियां में भी जाए उस दुनियां में आपको इतना हीं प्यार मिले इसी विश्वास के साथ | ....... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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