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आज 14 अप्रैल है , संविधान निर्माता व दलितों के मसीहा भारत रत्न "डॉ० बाबासाहब भीमराव अम्बेडकर" की जयंती |
आज भारत में सार्वजनिक अवकाश का दिन है | जिंदगी में इनकी नीति को स्वयं में अर्पित करने का दिन है | देश आज इनकी 131 वीं जयंती मना रही है | जहाँ एक तरफ इन्हें संविधान के पितामह की उपाधि दी गई , वहीं दूसरी तरफ इन्हें संविधान का शिल्पी भी कहा गया है |
इनका जन्म मध्यप्रदेश के महू जिले में 14 अप्रैल 1891 को हुआ था | आज सशरीर वो हमारे पास नहीं , परन्तु उनके विचार , उनकी भावना , उनकी सोंच , उनकी उंचाई हमारे बीच मौजूद है | आज भी लोगो ने अपने मन , अपने दिल में उन्हें बसाकर रखा है | क्यूंकि ऐसे महान आत्मा कभी मरते नहीं न रुखसत होते है , ये तो सदैव प्रेरणा के रूप में मार्गदर्शक बनकर इतिहास में हमारे साथ मौजूद रहते है |
अम्बेडकर की नीति सदैव हमें आहट देती है - सच्चाई को गले लगाकर एकता में सम्मलित होकर जाति भाव से कहीं ऊपर उठकर कदम बढ़ाने की | इन्हें प्रेरणा मानकर हम संकल्प लेते है और लेते रहें तो इनके पदचिन्हों पर चलकर देश समृद्धि की तरफ आगे बढ़ता हीं रहेगा |क्यूंकि एक रंग , एक मन में हीं बल शामिल है |
देश में इनकी विचारो को जानने / समझने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते है | इसलिए की इन्होने संविधान का मौसदा तैयार करने वाली समिति का नेतृत्व किया | भारत के प्रथम कानून मंत्री बने अम्बेडकर की सोंच बच्चो में शिक्षा को जागृत करने की थी | बच्चो की उड़ान को वे सदैव अपनी चाहत मानते रहे |
संसद परिसर में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गाँधी सहित अन्य नेतागण शामिल होकर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए अपने मन में इनके भाव को उतारा |
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने ट्विटर पर संवेदनशील बाते लिखते हुए विडियो भी जारी किया | साथ कहा है कि - उनके सपनों को पूरा करने की हमारी प्रतिबद्धता को आज दोहराने का दिन है | उनका सपना था कि - हमारा देश समृद्ध व बच्चे शिक्षित बने |
सामाजिक समता , सामाजिक न्याय और जाति से ऊपर उठने व समृद्धि हेतु उनकी इस सोंच को पूरा करने का दिन है , इसलिए शिक्षित बनकर इनकी सोंच को एकसाथ संगठित होते हुए आगे बढ़ाने के लिए संकल्प लेने का दिन है | वैसे आज का दिन समानता दिवस व ज्ञान दिवस के रूप में भी मनाया जाता है |
अम्बेडकर ने हीं जाति के अँधेरे को चीरकर दलितों को भी सामान अधिकार दिलवाने की कोशिश की थी | आज उनकी नीति आगे की तरफ बढ़ती हुई लागू होती चली गई | जहाँ देश के महत्वपूर्ण परिसर में इनकी तस्वीर लगी होती है , वहीं दलितों का कोई ऐसा घर खाली नहीं जहाँ इनकी तस्वीर न लगी हो | क्यूंकि दलित समुदाय इन्हें अपना मसीहा / भगवान मानते है |
आज देश के हर प्रदेश में इनकी विचारो को लोगो ने एक बार फिर से उतारा और इनकी सोंच को आगे बढ़ाने का संकल्प लेते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की |
महू के बैरक में इनका स्मारक बनाया गया है | वैसे स्मारक की आधारशिला 1991 में इनकी 100 वीं जयंती के मौके पर तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा ने रखी थी |
आज दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने "डॉ० भीमराव अम्बेडकर स्कूल ऑफ़ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस" की शुरुआत कर अपने कर कमलो से उद्घाटन करते हुए कहा कि - अब दिल्ली के 30 सबसे शानदार स्कूलों का नाम बदलकर "डॉ० भीमराव अम्बेडकर स्कूल ऑफ़ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस" कर दिया गया है |आज से ये सभी स्कूल इसी नाम से जाने जायेंगे | साथ हीं कहा कि - हमें उम्मीद है कि हमारे इस कदम से बाबासाहब हमें खूब आशीर्वाद देंगे |
हमारे परिवार की तरफ से डॉ० बाबासाहब भीमराव अम्बेडकर को श्रद्धा सुमन अर्पित , आप सदैव याद रहेंगे |......... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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