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संजय लीला भंसाली की फिल्म गंगुबाई काठियावाड़ी गुजरात की रहने वाली शालीन , भोली - भाली एक कम उम्र की लड़की की सच्ची घटना पर आधारित फिल्म है |
4 फ़रवरी को इसका ट्रेलर लॉन्च किया गया जिसमे आलिया भट्ट सफ़ेद साड़ी में बड़ी सी लाल बिंदी लगाईं नजर आ रही है | इस फिल्म को बैन करने की मांग भी उठी और मामला कोर्ट तक पहुँच गया | डायलॉग था - "क्या पुरे मुंह में चाइना ठूंस दोगे" ? मगर भारी विवाद के बाद मुंबई हाई कोर्ट ने रिलीज करने की स्वीकृति पर मोहर लगा दिया |
जारी किया गया ट्रेलर और आलिया भट्ट का दमदार डायलॉग व आकर्षित पोस्टर अभी से दर्शको के सामने फिल्म की लागत और तौल को महसूस करा रही है |
संजय लीला भंसाली की फिल्म ट्रेलर से पूर्व या बाद दर्शको के दिलो पर जोरदार धमाका देती रही है , जिससे की उनके फिल्मो में लगाईं गई लागत हीं वापस नहीं होता बल्कि हरेक किरदार का कीमत भी बढ़ा देता है |
आलिया भट्ट का यह फिल्म एक यादगार फिल्म बना है जिसकी तोर फिलहाल अभी संभव नहीं और कभी न बुझने वाला यह नाम "गंगुबाई काठियावाड़ी" तब तक याद किया जाएगा जबतक की मुंबई का मशहूर रेड लाइट एरिया "कमठीपुरा" का नाम लिया जाएगा |
इसी कमठीपुरा के एक कोठे पर इनके उम्रदराज पति ने 16 वर्ष की मासूम बालिका से विवाह कर उनके सपने को पूरा करने के लिए वफ़ा का सपना दिखाकर बेवफाई की आग में जलाते हुए मात्र 500 रूपये में मुंबई के इसी कोठे पर बेच दिया था और यह सीधी साधी बेटी जिसका नाम "गंगा हरजीवन दास" था वह गंगुबाई बनने पर मजबूर हुई | इनका जन्म 1939 को गुजरात के काठियावाड़ी में हुआ था और इनके पति जो इनके उम्र से कहीं ज्यादा बड़े थे वे इन्हीं के यहाँ एकाउंटेंट का काम किया करते थे जिससे गंगा ने प्यार कर लिया अपने सपनों को पूरा करने के लिए | इनका सपना था फिल्म में अभिनय करना और यहीं सपना जो जानकारी के आधार पर हम लिख रहे है ने इन्हें इस कोठे पर लाकर खड़ा कर दिया |
पत्रकार हुसैन जयदी ने "माफिया क्वीनस ऑफ़ मुंबई" नाम से एक किताब भी लिखा है जिसमे इनके जीवन का हर पन्ना दर्द से भरा हुआ दीखता है |
24 फ़रवरी 2021 की शाम संजय लीला भंसाली ने "गंगुबाई काठियावाड़ी" पर एक प्रोमो विडियो लॉन्च कर फिल्म जगत में तहलका मचा दिया था | यह दिन था संजय लीला भंसाली के जन्मदिन का मौका |
25 फ़रवरी को यह फिल्म पर्दे पर अपना जलवा दिखाने आ रही है |अभी से सिनेमाघरों के पर्दे पर आलिया भट्ट के आदाकारी का पोस्टर नजर आने लगा है | इस फिल्म की कहानी अभी बताना उचित नहीं क्यूंकि इस फिल्म से संजय लीला भंसाली की भावनाएं जुड़ी है और कहानी पता हो जाए तो शायद दर्शक इस कहानी को अभी से अपनी आँखों में उतार लेंगे जिससे छलनी हो जाएगा दिल प्रोडक्शन के हर सदस्य का |
चलते चलते हम इनके विषय में यह भी बता दे - गंगुबाई की मृत्यु एक साधारण तरीके से हुई थी मगर पुरे भारत के कोठे पर मातम छा गया था | इसलिए कि पुरे वेश्यालय के कोठे पर लोग इन्हें भगवान के रूप में मानते है और अधिकांशतः घरों के दीवारों पर इनकी तस्वीर लगी मिलेगी|
एक अहम् बात कि - इनके जलवे को देखकर पार्टी ने इन्हें राजनीति में भी उतारना चाहा | 1960 में अखबारों का फ्रंट पेज इनकी तस्वीर और भाषण से भर गया था जब इन्होने आजाद मैदान में भाषण दिया | इस भाषण से पूरा मुंबई थर्रा उठा था |
इस फिल्म में आलिया भट्ट के साथ अजय देवगन और इमरान हासमी नजर आने वाले है | अजय देवगन करीम लाला की भूमिका में नजर आने वाले है , यह किरदार गंगुबाई को अपनी मुंहबोली बहन बनाया था |
नोट :- गंगुबाई काठियावाड़ी फिल्म जिसमे इनके बेटे बाबूजी रावजी शाह ने 20 दिसम्बर 2021 को फिल्म की शूटिंग रोकने का मामला मुंबई सिविल कोर्ट में दर्ज किया था और कहा था - पत्रकार हुसैन जैदी की लिखी किताब पेज नंबर 50 से लेकर 69 के बीच जो लिखा गया है वो उनके प्राइवेट मामलों में दखल अन्दाजी है | साथ हीं कांग्रेस के नेता ने फिल्म के नाम में काठियावाड़ी को हटाने की मांग रख दी | इसलिए कि काठियावाड़ी नाम से उस गाँव में रहने वाले लोगो की भावना को छलनी करते हुए उस बेटी के दर्द से न गुजरना पड़े |
इस
कहानी को पढ़कर जो अनुभव हुआ इसमे गंगुबाई की निर्मल सोंच ने कोठे की क्वीन
डॉन बनने के बाद किसी भी लड़की को गंगुबाई बनने पर मजबूर नहीं किया | उनके
दर्द का हर एक पन्ना उनके सुन्दर मन में लिपटा हुआ कांटे के ऊपर एक रेशमी
चादर का ढंकना कहा जा सकता है | काश बेटियों की जिंदगी को नरक बनाने से
पहले कोई जान पाता तो कोई गंगुबाई यूँ हीं नहीं बनती और न कोई पैदा होती |
यह
फिल्म सिर्फ एक फिल्म नहीं | आज की युवा पीढ़ी खासकर बेटियों के लिए एक सबक ,
सीख और प्रशिक्षण केंद्र माना जा सकता है | अपने सपनों को ऐसी उड़ान मत
दीजिये जिसकी डोर की गति आपके हाथ में न हो | सपनों का काम है उड़ना मगर उन
सपनों को आप बेलगाम होने मत दीजिये | ठहरिये , सोंचिये और स्वयं में
योग्यता भरकर कदम उठाइये | ऐसे हीं कई बेटियां कोठे पर पहुंचा दी जाती है ,
जो सपना ठीक नहीं | .......... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम०
नूपुर की कलम से )
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