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5 राज्यों में हुए चुनाव के नतीजे को देखकर कांग्रेस परेशान | बहुत जल्द चिंतन शिविर का आरम्भ करने के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रस्ताव डाला |
रविवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 5 राज्य में हुए चुनाव के नतीजे को देखते हुए अपने कार्य समीति की बैठक में कहा कि - हम पार्टी के हित में किसी भी त्याग के लिए तैयार है | अगर पार्टी को ऐसा लगता है कि - कांग्रेस की इस हालत के लिए गांधी परिवार जिम्मेदार है तो मै किसी भी त्याग के लिए तैयार हूँ | मै , राहुल और प्रियंका अपने अपने पद से इस्तीफा दे देंग |
CWC में शामिल व उपस्थिति नेताओं ने सोनिया गाँधी की बातो की सुनते हुए कहा कि - वह कांग्रेस को मजबूत बनाने के लिए जरुरी बदलाव करे | कुछ ऐसा बदलाव जरुरी है जिससे कांग्रेस एकबार फिर ताकत के रूप में उभरकर सामने आये |
CWC के मुताबिक - पंजाब राज्य में नेतृत्व बदलाव के बाद सिमित समय के कारण विरोधी लहर भारी पड़ा जिसके कारण काबू नहीं पाया जा सका और परिणाम अन्य पार्टी की तरफ गिरा |
यह बैठक करीब साढ़े चार घंटे तक चली जिसमे फैसला लिया गया कि - संसद बजट सत्र के संपन्न होने के बाद एक चिंतन शिविर का आयोजन किया जाएगा जिसमे रणनीति तय की जायेगी | वहीं राहुल गाँधी ने पार्टी को मजबूत बनाने पर जोर देते हुए कुछ अहम् मुद्दा को उठाया |
इसबार के चुनाव में कांग्रेस का हाथ खाली रह गया | 4 राज्य बीजेपी की झोली में गिरा वहीं पंजाब को आम आदमी पार्टी ने अपने दामन में समेट लिया | इस करारी शिकस्त के मिलने के बाद कांग्रेस नेता DK शिवकुमार ने कहा कि - राहुल गांधी को शीघ्र पूर्णकालीन भूमिका में कांग्रेस अध्यक्ष पद ग्रहण करना चाहिए | आगे कहा - मेरे जैसे करोड़ो कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भी यहीं कामना है |
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने G-23 सदस्यों द्वारा 2 साल पहले लिखे एक पत्र को साझा किया जिस पत्र में उन्होंने संगठन बदलाव की मांग की थी | साथ हीं कहा था कि - कांग्रेस देश का सबसे विश्वसनीय विपक्षी दल है , ऐसे में सुधार की बहुत जरुरत है |
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि - चुनाव में हार - जीत तो होती रहती है | राहुल गांधी हीं एक अकेले ऐसे व्यक्ति है जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पुरे दमखम से मुकाबला कर रहे हैं | अब वो समय आ गया है जब पार्टी को एक जुट होना पड़ेगा और इसके लिए अब राहुल गांधी को अध्यक्ष बनना बहुत जरुरी है |
राज्य में हार के बाद हुई बैठक में इसी मुद्दे को लेकर महामंथन किया गया |अब देखना है कि - राहुल गांधी अध्यक्ष पद के लिए तैयार होते है या नहीं और चिंतन शिविर से कांग्रेस की मजबूती में कितना असर पड़ने वाला है ? ......... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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