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भारत में मेडिकल की शिक्षा इतनी महँगी क्यूँ ? निजी कॉलेज में छात्रों की फीस सवा करोड़ है जबकि विदेश में इसी पढ़ाई की फीस 25 लाख रुपया ऐसा अंतर क्यूँ ?
यह सवाल अखिल भारतीय बेरोजगार मजदूर किसान संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष "मनोज दुबे" का है | इसी सन्दर्भ में इन्होने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक ज्ञापन भेजकर बच्चो की हीत में खड़े होकर सवाल दागा है और मेडिकल की पढ़ाई की फीस को कम करने की मांग रखते हुए बच्चो के सपने को साकार करने हेतु कदम बढ़ाया है |
निजी मेडिकल कॉलेज की फीस कम हो | लगातार मेडिकल फीस में हो रही बढ़ोतरी , बच्चो के सपने को तोड़ता हुआ नजर आ रहा है | मनोज दुबे की यह मांग मेडिकल फीस में बढ़ोतरी हेतु तीव्र विरोध का प्रदर्शन भी कर रही है , साथ हीं मेडिकल की पढ़ाई करने वालो की आर्थिक स्थिति पर एक सहानुभूति का लेप चढ़ाते हुए उनके सर पर अपने अभिभावक होने का हाथ रखते हुए हर कदम पर साथ देने की गति को भी दर्शा रहा है |
मनोज दुबे ने ज्ञापन में बच्चो के बढ़ते हुए फीस और उनकी आवाज के दर्द को सहलाते हुए कहा है कि - विदेश में मेडिकल शिक्षा की फीस 25 लाख है तो फिर अपने भारत में सवा करोड़ क्यूँ ? उन्होंने कहा है कि - भारत की कुल आबादी 140 करोड़ से ज्यादा है जबकि युक्रेन जैसे छोटे देश की आबादी भारत से बहुत कम है , ऐसे में देश में आम जनता को चिकित्सा सुविधा सही से मिले इसके लिए आवश्यक है कि देश में निजी मेडिकल कॉलेजों में शिक्षा की फीस कम हो ताकि मेडिकल शिक्षा के लिए अपने देश के बच्चो को मजबूरन बाहर न जाना पड़े |
उन्होंने कहा है कि - इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि ग्रामीण इलाके में आज भी लोगो के बीच समुचित चिकित्सा व्यवस्था नहीं है जिससे लोग परेशानी से जूझ रहे है | इस बात का अंदाजा VIP सुविधा ले रहे दिल्ली के राजनेताओं को नहीं है |
कोरोना काल की बात कि जाए तो - जिस प्रकार चिकित्सा सुविधा के लिए लोग अभावग्रस्त हुए और उन्हें परेशानी से जूझने पर मजबूर होना पड़ा , यह बाते किसी से छुपी नहीं है | हम अपने देश के ऐसे बच्चो के सपने को साकार करने के लिए उनकी आवाज बनकर सदैव खड़े रहेंगे जिनका सपना एक डॉक्टर बनकर देश पर समर्पित होना है |
मनोज
दुबे ने ऐसे बच्चे के सपने को बरक़रार रखने के लिए प्रधानमंत्री को ज्ञापन
भेजा है जिसमे कहा है कि - महँगी शिक्षा होने से गरीब किसान व आम नागरिकों
के बेटे और बेटियों के सपनों पर पानी फिरता जा रहा है , ऐसे में बच्चे अपने
सपनों को कैसे पूरा कर पायेंगे ? इनका सपना , सपना बनकर हीं रह जाता है |
कमजोर वर्ग के बच्चो का सपना अधुरा न रहकर पूरा हो सके इसलिए देश के हर
निजी मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई में लिए जाने वाली फीस कम हो , तभी बच्चे अपनी
उड़ान भर पायेंगे | ......... ( न्यूज़ :- भव्याश्री डेस्क )
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