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लिखने वाले ने क्या खूब लिखा है - "दिल , जिगर , नजर क्या है मै तो तेरे लिए जां भी दे दूँ" | बड़ा अच्छा लगता है यह लाइन या गीत सुनने में मगर विवाह के बाद यह मीठी बातें पता नहीं कहाँ विलुप्त हो जाती है | मिठास , खटास में बदलते देर नहीं लगता , इतना तक तो ठीक है | विचारधारा एक समान न हो तो लड़ने से बेहतर है अलग होना मगर किसी का मर्डर कर देना जघन्य अपराध से भी खतरनाक है |
एक घटना मेरी आँखों से होकर गुजरा तो रूह काँप सा गया और हम सोंचने पर हुए मजबूर ! क्या प्यार इसी का नाम है ? प्यार को आजकल के युवा पीढ़ी ने बदनाम कर दिया और प्यार / मुहब्बत / उल्फत ये सभी शब्द बदनामी का चोला पहनकर बर्बादी का मोहर लगा दिया |
यह घटना मुंबई की है | मुंबई के तिलक नगर इलाके में एक प्रेमी शौहर ने अपनी प्रेमिका पत्नी को अपने घर से बाहर खींचकर सड़क पर बेरहमी से गला काट दिया जिसके बाद उसकी मौत हो गई |
इकबाल मोहम्मद शेख ने एक हिन्दू लड़की रुपाली चंदन शिवे से प्रेम विवाह किया था | विवाह से पूर्व 3 साल तक दोनों एक दूसरे के साथ रिश्ते में बंधे रहे | निकाह के बाद रुपाली का नाम "जारा" रख दिया गया |
हत्या करने का कारण - बुर्का नहीं पहनना और इस्लामी परम्पराओं का पालन करने से इंकार था |
वाह रे शोहर ! इंसानियत का गला घोटकर शैतानो वालो बात कर दी और प्यार / वफ़ा / विश्वास करने वाली पत्नी की हत्या करके जेल पहुँच गए | अब जेल के सारे धर्म को अपनाकर वहीं सलाखों के अन्दर अपनी दबी हुई इंसानियत को जगाने की चाहत रखकर भी खुद को माफ़ नहीं कर पायेंगे क्यूंकि आपने पत्नी की हत्या नहीं की , आपने प्यार करने वाले के लिए एक बहुत हीं गलत सन्देश समाज / देश / दुनियाभर में परोसा है | लोग आपको माफ़ नहीं करेंगे |
पुलिस निरीक्षक "विलास राठौड़" के हाथ में यह केस सौंपा गया है | अब देखना है वे इस बेरहम शौहर की क्या इलाज करते हैं ?
मेरा तो मानना है कि - मुस्लिम लड़की से भी मुहब्बत कर निकाह करते या परिवारिक सहमती से | अगर वो भी बुर्का पहनने से इंकार करती तो भी आपको इस तरह जघन्य अपराध करने का हक़ आपके धर्म और ग्रन्थ नहीं देता |
लिखने वाले ने शायद इसलिए लिखा है - कसमे , वादे , प्यार , वफ़ा सब बातें हैं बातो का क्या ?
चलते - चलते एक बात और आने वाले दौर में कोई ऐसा न करे | हर घटना से सीख और सबक लेना इंसान को अच्छे रास्ते की तरफ ले जाता है जहाँ एक खुबसूरत भोर है और इसी दौर को हर किसी को अपनाने चाहिए | .......... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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