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मराठा योद्धा शिवाजी महाराज की प्रतिमा कैसे गिरी ? यह एक गहरा सवाल है ! इस प्रतिमा को स्थापित हुए लगभग 9 माह हीं हुए है और इतने कम समय में प्रतिमा का गिरना कई सवाल खड़ा करता है |
यह प्रतिमा 26 अगस्त सोमवार की दोपहर को अचानक गिर गया जिसके बाद हलचल मचा | भारतीय नौसेना द्वारा निर्मित 35 फूट ऊँची इस प्रतिमा का अनावरण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कर कमलो द्वारा पिछले वर्ष 4 दिसंबर को हुआ था |
प्रतिमा स्थापित का उदेश्य - छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत का सम्मान करना था |
कहा जा सकता है कि वर्तमान व आनेवाली पीढ़ी के लिए यह एक सन्देश है | छत्रपति शिवाजी महाराज के हाथ से कभी तलवार नहीं गिरा | आज की तारीख में बच्चो के हाथ से कलम न छूटे देखकर ऐसा सन्देश भी महसूस होता है | यह एक इतिहास है जिस कहानी को जीवित रखने के लिए निशानी के तौर पर निर्माण किया गया | जो दिखता है वहीं दिमाग में जिन्दा भी रहता है , यहीं किसी कर्मठ योद्धा को सदैव सम्मान देते हुए जिन्दा रखने के लिए एक आधार माना जा सकता है |
यह प्रतिमा महाराष्ट्र के कोल्हापुर सिंधुदुर्ग में स्थापित किया गया | आखिर यह गिरा कैसे ? अब इसपर सभी का सोंच दौड़ रहा है |
इंजीनियर अमरेश कुमार जो एक कंसल्टेंसी कंपनी से जुड़े हुए हैं , उन्होंने कहा कि प्रतिमा के टखने पर ध्यान देना जरुरी था जो प्रतिमा संरचना के समय ध्यान नहीं दिया गया | ( टखना - प्रतिमा का वह स्थान जो पुरे ढाँचे का वजन संभालता है , इसी पर जोर पड़ता है जो सबसे महत्वपूर्ण स्थान है )
अधिकारियो ने दावा किया है कि 45 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार से हवाओं का चलाना प्रतिमा पर प्रभाव छोड़ा जिससे प्रतिमा ढह गया जबकि भारतीय मानक ब्यूरो के अनुसार किसी प्रतिमा की संरचना को डिजाईन करते समय इनसे लगभग 3 गुना अधिक हवा की वेग को सहने की क्षमता ध्यान में रखकर किया जाता है | जबकि अमरेश कुमार का कहना है कि भार या जलवायु परिस्थिति जैसे बाहरी कारको ने परेशानी उत्पन्न नहीं किया |
PWD रिपोर्ट में कहा गया कि नट और वोल्ट में जंग लगने से प्रतिमा के अन्दर फ्रेम वाली स्टील की सामग्री नाजुक हो सकता है इसलिए ऐसा हुआ |
20 अगस्त को PWD के एक सहायक अभियंता ने नौसेना कमांडर से जुड़े टीम अधिकारी को पत्र लिखकर बताया कि प्रतिमा को लगाने में इस्तेमाल किये गए नट और वोल्ट में समुंद्री हवाओं व बारिश के कारण हवा में नमी और लवण होता है जिससे जंग लगना स्वाभाविक है | फ्रेम में स्टील मेम्बर्स के साथ नट वोल्ट में पेंटिंग करके संरक्षित करने की जरुरत है ऐसे में जंग नहीं लगेगा |
शिवाजी महाराज की प्रतिमा संरचना करनेवाले इंजीनियर चेतन पाटिल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था |
कोल्हापुर सिंधुदुर्ग पुलिस ने ठीकेदार चेतन पाटिल को गुरुवार उनके एक रिश्तेदार के घर से गिरफ्तार किया है | चेतन पाटिल 2010 से कोल्हापुर में एक एज्युकेशनल इंस्टीट्यूट में प्रोफ़ेसर भी रहें | चेतन पाटिल को आज सिंधुदुर्ग लाया जायेगा |
चेतन पाटिल ने दावा किया था कि वे प्रोजेक्ट के स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट नहीं थे | मूर्ति का काम पुणे की कंपनी को दिया गया था |
अब मूर्ति गिरने का कारण सामने आया जब राजीव मिश्रा ने खोले पोल :-
महाराष्ट्र कला निदेशालय के डायरेक्टर राजीव मिश्रा का कहना है कि हमने सिर्फ 6 फीट के लिए परमिशन दिया था , नौसेना ने बिना बताये 35 फीट ऊँची कर दी | 26 अगस्त को अचानक जब प्रतिमा गिरा तो सिंधुदुर्ग पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज किया गया था जिसके बाद मूर्तिकार जयदीप आपटे जो थाणे में रहते हैं , इनका नाम भी अंकित हुआ |
राजीव मिश्रा ने कहा - मूर्तिकार ने मिट्टी का मोडल दिखाया था | मैंने 6 फीट की मूर्ति लगाने की स्वीकृति दी थी | मंजूरी मिलने के बाद नौसेना ने निदेशालय को यह नहीं बताया कि मूर्ति 35 फीट ऊँची होगी जिसमे स्टील प्लेटो का इस्तेमाल किया जायेगा | इसके लिए नौसेना को स्टेट PWD ने 2.44 करोड़ रुपये ट्रांसफर किये थे | नौसेना ने मूर्तिकार और सलाहकार नियुक्त किये और मंजूरी के बाद उंचाई बढ़ा ली |
मूर्ति गिरना भावनाओं की क्षति है मगर संशोधन होना उससे भी बड़ा क्षतिपूर्ति कहा जा सकता है क्यूंकि माफ़ी से बड़ा कुछ भी नहीं | मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति के साथ ऐसा जानबूझकर कोई नहीं कर सकता , अनजाने में ऐसा हुआ | इसमें नेताओं की तो कोई गलती थी नहीं बावजूद कल 30 अगस्त को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पालघर के सिडको ग्राउंड में 76 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट का उद्घाटन करने पहुंचे थे तो उद्घाटन के बाद उन्होंने माफ़ी मांगी , यह माफ़ी छत्रपति शिवाजी महाराज से भी मांगी है | उन्होंने कहा है कि छत्रपति महाराज मेरे और मेरे दोस्तों के लिए सिर्फ एक नाम नहीं है , वे पूज्यनीय है , आज मै उनके सामने नतमस्तक हूँ उनसे क्षमा मांगता हूँ |
निदेशक राजिव मिश्रा ने कहा है - मंजूरी लेने के बाद मूर्तिकार को प्रतिमा स्थापित होने से पूर्व निदेशालय से अंतिम मंजूरी लेने के लिए कहा जाना चाहिए न कि केवल मिट्टी के मोडल के आधार पर | मंजूरी के लिए ऐसी शर्ते बहुत जरुरी है तभी तो भविष्य में लोग कम फीट दिखाकर बड़ा प्रतिमा निर्माण करने की भूल नहीं करेंगे |............. ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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