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उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ में टीवी पत्रकार ABP गंगा के संवादाता "सुलभ श्रीवास्तव" की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई | कटरा रोड पर घायल अवस्था में उन्हें देखकर , अस्पताल पहुँचाया गया | जहाँ चिकित्सक ने उन्हें मृत घोषित कर दिया |
सूचना के आधार पर एक - दो दिन पूर्व हीं पत्रकार सुलभ ने , अपनी हत्या की आशंका जताते हुए सुरक्षा की मांग की थी | जिसे नजरअंदाज कर दिया गया | हत्या के बाद अब पुलिस का कहना है कि - पत्रकार सुलभ का एक्सीडेंट हुआ है | जबकि 13 जून को सुलभ , कोतवाली के कटरा रोड पर ईंट - भठ्ठे के पास अर्धनग्न अवस्था में मिले | उनके सर पर गहरे चोट के निशान थे |
वे असलाह फैक्ट्री ( बंदूक , गोली , बम , शराब आदि निर्माण ) पर करवाई की खबर करके लौट रहे थे , तभी उनके साथ यह घटना घटी | घटना की सूचना मिलते हीं उनके साथी पत्रकार मनीष ओझा वहां पहुंचे और एम्बुलेंस की मदद से उन्हें जिला अस्पताल ले गए , जहाँ डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया |
सुलभ श्रीवास्तव शराब माफियाओं के खिलाफ एक खबर उजागर किया था , जिससे उनके ऊपर खतरा मंडरा रहा था | सुलभ को एहसास था कि उनके साथ कुछ न कुछ असहज हो जाएगा , तो 12 जून को उन्होंने ADG और SP को पत्र लिखा था | जिसमे उन्होंने अपनी जान की , सुरक्षा की मांग की थी | पत्र में लिखा था - जान को खतरा है | फिर भी एक पत्रकार , जिसे देश का चौथा स्तम्भ कहा जाता है , उनपर लापरवाही बरतते हुए , उनके द्वारा दिए गए अहम् सूचना को नजरअंदाज किया गया | जो देश के लिए बहुत हीं निंदनीय और दुखद है |
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने निशाना साधते हुए ट्विट किया - ABP न्यूज़ के पत्रकार , सुलभ श्रीवास्तव की निर्मम हत्या | शराब माफियाओं के खिलाफ खबर चलाने के कारण यूपी में एक पत्रकार की हत्या हो जाती है , जबकि एक दिन पहले सुलभ जी ने ADG को पत्र लिखकर हत्या की आशंका जताई थी , लेकिन सब सोते रहे |
वहीं प्रियंका गांधी वाड्रा ने योगी सरकार पर , अपने ट्विटर के माध्यम से हमला बोला और लिखा - शराब माफिया अलीगढ से प्रतापगढ़ तक पुरे प्रदेश में मौत का तांडव करे , यूपी सरकार चुप | पत्रकार सच्चाई उजागर करे , प्रशासन को खतरे के प्रति अगाह करे , सरकार सोई है | क्या जंगल राज को पालने - पोसने वाली यूपी सरकार के पास पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव जी के परिजनों के आंसू का कोई जवाब है |
यह सिर्फ एक घटना नहीं , भारत में चौथा स्तम्भ की स्वतंत्रता पर एक धब्बा कहा जा सकता है | जहाँ देश में कोई कुछ भी करे , मना करना , उनपर आर्टिकल लिखना , बोलना , जनता तक उस बात को पहुँचाना सख्त मना है | इसीलिए देश ने कुछ मीडिया का नाम गोदी मीडिया रख दिया है , जो शब्द चौथे स्तम्भ के लिए निंदनीय है | पत्रकार सुलभ की पत्नी का बुरा हाल , दो बच्चों के सर से पिता का साया उठ गया | पुलिस जो भी इस घटना दुर्घटना को रूप दे दें , लोग शायद हीं उसपर विश्वास कर सके !
शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और मामले की जाँच में जुटी है पुलिस |
आजादी के इतने वर्ष बाद , जहाँ हम श्रीराम की बात कर रहे हैं , राम मंदिर की निर्माण की बात कर रहे हैं और दूसरी तरफ एक सच बोलने / लिखने वालों पर प्रहार होते देख रहे हैं | क्या ये श्रीराम को मंजूर होगा ? स्वतंत्रता के बाद से हीं देखा जा रहा है कि - पार्टियों का एक दुसरे पर कटाक्ष | विपक्षी पार्टी सरेआम भंडा फोड़े तो कोई बात नहीं | मगर पत्रकार की कलम चले , तो सीधा उनको निशाने पर उतारा जाता है | आखिर कब तक कलम आजाद होकर भी गुलामी का जामा ओढ़कर चलता रहेगा |
इसपर राज्य सरकार व केंद्र सरकार को गौर करना होगा कि पत्रकार की रक्षा कैसे की जाए और उसे पूर्ण रूप से लिखने / बोलने की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए | तभी स्वतंत्र भारत का मायने सही रूप में समझा जा सकता है |
पार्टी चाहे जिसकी भी हो , पत्रकार तो देश का वह स्तम्भ है , जिसकी कलम सबके व्यक्तित्व को भी निखारने का काम करता रहा है और देश में उनकी गति को पहुंचाकर उजागर करता है | गर ! कलम रुका तो क्या देश की गति नहीं थम जायेगी ? ....... ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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