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हमने घर छोड़ा है , रिश्तों को तोड़ा है , दूर कहीं जायेंगे , नई दुनियां बसायेंगे |
लिखने वालों ने तो लिख दिया कि - प्यार में सबकुछ जायज है | परन्तु यह कितना उचित है , यह खाना शब्दों से रिक्त रह गया है | जहाँ कुछ लोगों ने भारतीय संस्कृति के रिश्तों की धज्जियां उड़ा दी है | प्यार के कई रूप और मायने है , जिसमे स्वार्थ होते हुए भी , कुछ रिश्तों को निःस्वार्थ होने का रूप दिया जा सकता है | वैसे भी कहीं न कहीं हर व्यक्ति स्वार्थी है और यह दावे के साथ कहा जा सकता है कि - इंसानी रिश्तों की गहराइयों से लेकर ईश्वर की भक्ति करने तक , स्वार्थ का एक भरा समुन्द्र , मन के अन्दर हिलोरे भरता हुआ हमें और दूर तक ले जाता है |
प्रतीकात्मक फोटो
परन्तु बिहार के जमुई में तो हद तब पार हो गया , जब एक मामी अपने भांजे के प्यार में इस कदर शामिल हो गई , कि उन्हें रिश्तों का छोर हीं नजर नहीं आया और वो ढूंढते - ढूंढते बहुत दूर निकल गई | माना जाता है कि - मामी पर भगना का आधा अधिकार होता है | मगर ये कभी सुना नहीं गया कि - ये आधा अधिकार का मतलब क्या है ? और यह आधा अधिकार पुरे अधिकार में बदलकर , अपने हीं मामा की जिंदगी बिखेर दे , यह किस काम का अधिकार ?
जमुई में एक मामी और भगने ने शादी रचा लिया | मामी ने अपने पति को धोखा दिया और भांजे ने दो सम्पूर्ण परिवार को | इन दोनों ने भाग कर शादी कर ली और सोशल मीडिया के द्वारा इस बात की जानकारी घर वालों को दे दिया | आज जो कार्य या बातें मौखिक कह देने की हिम्मत नहीं हो पाती , लोग खाने का हौसला नहीं जुटा पाते , वह सोशल मीडिया आसानी से कर देता है |
इस तस्वीर में देखा जा सकता है कि - भांजा अपनी मामी के मांग भरता हुआ दिख रहा है और दोनों बहुत खुश नजर आ रहे हैं | मांग भरने के बाद का दृश्य हम आपको बता दे कि - मामी अपनी भारतीय संस्कृति को नहीं छोड़ती , वो दूसरी बार अपनी मांग में लगी सिंदूर के ऊपर , एक और सिंदूर की परत भर देने का अधिकार अपने भांजा को देती हुई , पति बने भांजा के पैर छूकर आशीर्वाद मांगती है | लेकिन मामी ने उस संस्कृति को क्यूँ भुला दिया ? या फिर उन रश्मों / रिवाजों और सात फेरों के बंधन को | वह सारी कसमें जो मंडप पर अग्नि को साक्षी रखकर लिया था , इस संस्कृति को दर किनार कर , उस संस्कृति को अपना लिया जो रिश्तों को कहीं न कहीं शर्मसार करता है |
बिहार की यह शादी - जमुई जिले के गिद्धौर प्रखंड क्षेत्र के रतनपुर शाह टोला से जुड़ा हुआ है | लेकिन हम इन्हें कुछ भी नहीं कहेंगे , हो सकता ये ऊपर से लिखाकर हीं आया हो ! और कलयुग में तो रिश्तें ऐसे हीं असर छोड़ रहे है | एक वो भी इतिहास था , एक ये भी इतिहास है |
बिहार में कुछ पहले , ऐसा तो न था , जिसमे अपनी संस्कृति धूमिल कर दिया जाए | परन्तु यह असर कैसे घर कर गया ? जहाँ बिहार की पूर्ण सम्मानजनक रिश्तों के बीच , एक ऐसे होल का जन्म ले लेना , जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती | इसका सीधा कारण बेरोजगारी से भी जुड़ा हुआ है , जहाँ लोग दूर निकल जाते है , रोजगार की तलाश में और वहीं की संस्कृति को अपनाकर , अपने घर के वातावरण में शामिल कर लेते है | यह रिश्ता एक मिश्रण भरा रिश्ता है , जहाँ पर कोई धरातल नहीं |
पति बने पूर्व भांजा चन्दन कुमार , मुंबई में ऑटो चलाने का काम करते है | लखीसराय जिले के चानन प्रखंड मननपुर गाँव के यह रहने वाले है | इनकी शादी झांझा थाने की डूमरो गाँव की रहने वाली इनकी सगी मामी के साथ हुई , आज यह चर्चा का विषय है | विवाह के बाद दोनों मुंबई आ गए और रहना आरम्भ किया | पूर्व में भी ये मुंबई में हीं रहते थे |
मामा अपनी शादी के बाद पत्नी को लेकर मुंबई आ गए | भगना भी साथ हीं रहता था और ऑटो रिक्शा चलता था | मामी और भगना में कब प्यार हो गया , यह मामा को पता हीं नहीं चला | एक कहावत है - ऐसा काम करो जिससे दीवारों को भी खबर न लगे | तो यह कहावत इस रिश्तें को भी उजागर करता है की , मामा घर में हो और भांजे का इस कदर अपनी जिंदगी पर वार कर देना पता हीं नहीं चला |
लॉकडाउन लगने के कारण सभी लोगों को गाँव लौटना पड़ गया और यहीं विचलित कर गया रिश्तों का अलगाव | हो सकता , लॉकडाउन न लगता तो दोनों शादी भी न करते और रिश्तें आगे चलकर वहीँ ठहर जाता , जब भांजा का विवाह कहीं और हो जाता | परत्नु मुंबई से सभी को बिहार लौटना पड़ा | मामी और भांजा दोनों अलग हो गए | एक साथ जीने वाला दो मन , अगर अलग हो जाए तो विचलित होना स्वाभाविक है |
प्रतीकात्मक फोटो
भांजा चंदन कुमार , जिसकी उम्र मात्र 22 वर्ष है और इस उम्र के लोग ऐसे पड़ाव पर खड़े होते है , जहाँ इन्हें संभालना बड़ा हीं मुश्किल हो जाता है | इसीलिए कहा जाता है कि - दिल लगे दिवार से तो हुर क्या चीज है ? और भांजे का दिल मामी से हीं लग गया और यह सच है कि - जिसके साथ इंसान रहता , प्यार उसी से हो जाता है और यहाँ तो सुबह की चाय से लेकर रात के खाना तक में मामी का साथ एक भांजे को अद्दभुत लगा और मामी के इस प्यार को देखकर , भांजे को लगा की इससे अच्छा जीवन साथी तो कोई हो हीं नहीं सकता और वे बिहार लौटने के बाद अपनी मामा के घर अक्सर आने - जाने लगा | लेकिन उसकी जिंदगी वहां पूर्ण नहीं हुई , क्यूंकि वहां स्वतंत्रता नहीं थी | एक दिन मामा घर से बाहर क्या गए की ? भांजा ने मामी को ससुराल से भगाकर शादी हीं कर लिया और दोनों मुंबई आ गए |
प्रतीकात्मक फोटो
आज भांजा और मामी , दोनों पति - पत्नी बन , अपनी गृहस्थी का आरम्भ कर चूके हैं | इस तर्ज पर कि - पर्दा नहीं जब कोई खुदा से , बन्दों से पर्दा करना क्या ? और ये दोनों अपनी जिंदगी जी रहे है | न समाज का भय और न परिवार का डर | क्यूंकि सोशल मीडिया ने तो पूरी दुनियां को खबर पहुंचा चुकी है कि ये दोनों लीगल है | अब इस लीगल प्यार को जुदाई का नाम नहीं दिया जा सकता | लेकिन उस मामा का क्या होगा ? दूसरी बात कि - उन्होंने तो तलाक लिया नहीं , तो फिर मामी के लगाए गए पहले सिंदूर का असर आगे क्या रंग दिखायेगा , यह तो कहना अभी बहुत मुश्किल है | फिलहाल लोग - जैसा देश , वैसा भेष की तर्ज पर जिंदगी जी रहे है , जो कहीं न कहनी घातक है | ....... ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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