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गुजरात के वलसाड़ में बाल प्रतिभा शोध कार्यक्रम के तहत एक प्रतियोगिता आयोजित की गई थी जिसमे कक्षा 5 से 8 तक के बच्चो ने भाग लिया था | इस प्रतियोगिता में आयोजक ने 3 विषय रखे थे जिसमे बच्चो को किसी एक विषय पर अपने विचार रखने थे |
पहला विषय - माई आइडियल नाथूराम गोड्से , दूसरा - मुझे आकाश में उड़ते पक्षी पसंद है और तीसरा - वैज्ञानिक बनने के बाद अमेरिका न जाऊं |
जिसमे माई आइडियल नाथूराम गोड्से पर अपनी प्रतिक्रिया देने वाले बच्चे को प्रथम पुरस्कार दिया गया | इस बच्चे ने महात्मा गाँधी की बुराई करते हुए गोड्से को आदर्श हीरो बताया था |
इस विषय का चयन करने वाले सरकारी अधिकारी थे और नाथूराम गोड्से को आदर्श हीरो का सम्मान भरते हुए बापू को अपनी सोंच से नीचे गिराते हुए नफ़रत का बीज भरने वाले बच्चे को प्रथम प्राइज देने के पीछे की मंशा क्या थी ?
फिलहाल जिला खेल अधिकारी को सस्पेंड कर दिया गया है |
यह प्रतियोगिता वलसाड़ के एक निजी स्कूल में आयोजित किया गया था | गांधी जी का अपमान करने वाले और सोंच रखने वाले बच्चो को उत्साहित कर प्रथम प्राइज दिलवाने वाली जिला खेल अधिकारी "मीताबेन गउली" सस्पेंड कर दी गई है |
वहीं आयोजन स्थल कुसुम विद्यालय की संचालिका "अर्चनाबेन देसाई" ने कहा है कि - यह आयोजन बाल प्रतिभा शोध कार्यक्रम के तहत कराया गया था | प्रतिभा आरम्भ होने से पूर्व इस विषय की हमें कोई जानकारी नहीं थी | हमने सिर्फ प्रतियोगिता के लिए स्कूल में जगह उपलब्ध कराई थी |
अपने बचाव में अर्चनाबेन देसाई ने इतना भी कह दिया कि - प्रतियोगिता शुरू होने के 24 घंटे पूर्व आयोजक ने मुझे इसकी जानकारी दी थी |
यह मामला जब जिलाधिकारी के पास गया तो उन्होंने कहा - यह मामला हमारे अधिकार क्षेत्र से बाहर का है | इस मामले में खेल विभाग हीं निर्णय लेकर लोगो के खिलाफ कोई करवाई कर सकता है | क्यूंकि यह मामला खेल विभाग के तहत आता है |
अपने बचाव में आयोजक अब क्या पक्ष रखेंगे और आयोजन स्थल की संचालिका अर्चनाबेन देसाई ने अपना हाथ ऊपर करके बचाव कर लिया | परन्तु क्या यह बचाव उचित है ! पहली बात कि - इनके स्कूल में जिस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया , उस विषय में 24 घंटा पूर्व हीं जानकारी मिला तो स्वीकृति के हस्ताक्षर और मोहर तो इनके स्कूल ने हीं लगाया और गुजरात जहाँ महात्मा गांधी की जन्म स्थली है और जिन महान आत्मा ने भारत को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने का बिगुल बजाया , उनके विषय में फिजूल बाते सुनना भी एक अपराध है |
बच्चे हीरो किसी को भी बनाए या फिर देश में मुठ्ठीभर मानसिकता की सोंच कुछ भी हो , मगर बापू का अपमान भारत कभी बर्दाश्त नहीं करेगा | तो ऐसे में अपमान करने वाला और कराने वाला दोनों की हिस्सेदारी बराबर है | अब इस विषय पर देश का क्या रुख होगा ? यह तो अब आगे पता चलेगा | क्यूंकि विवाद गहराता जा रहा है और यह क्या रुख लेगा कुछ कहा नहीं जा सकता |
राज्य गृहमंत्री हर्ष सिंधवी ने कहा है कि - इस मामले में जांच कर जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ कड़ी करवाई की जायेगी |
इस तरह का विषय जहाँ बच्चो के मासूम मन में महात्मा गाँधी के लिए अभी से नफ़रत भरा जा रहा है , इसकी तैयारी आखिरकार कौन , कब और कैसे कर लिया ? यह सिर्फ गौर करने का नहीं , शोध करने का भी विषय है | आखिरकार इतने छोटे बच्चे वगैर जाने , पढ़े और सुने इतनी बड़ी बात की जानकारी किससे और कहाँ से ली ? यह प्रशिक्षण केंद्र कहाँ है जहाँ देश को तोड़ने का काम किया जा रहा है ? इस क्षेत्र की जानकारी देश को हर हाल में चाहिए |
महात्मा
गाँधी इस देश के लिए क्या महत्व रखते है ? यह बताने वाली बात नहीं है |
इनकी तौल में कोई भी भार डालना सूरज को रौशनी दिखाने जैसा बुद्धिहीन बाते
हैं | आश्चर्य इस बात का है कि जिला खेल कार्यालय द्वारा सरकारी स्तर पर
इसकी तैयारी की गई थी और निजी स्कूल में इस प्रतियोगिता का आयोजन हुआ जिसमे
महात्मा गाँधी को अपमान करने वाले बच्चो को प्रथम पुरस्कार से नवाजा गया ,
यह भारत के लिए एक निंदनीय और आश्चर्य भरा सोंच कहा जा सकता है |
........( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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