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ताजमहल किसने बनवाया ? शाहजहाँ ने या फिर यह पूर्व निर्मित था ! कहीं शाहजहाँ ने इसे रिमोडलिंग करके अपनी मुहब्बत की मोहर तो नहीं लगा दी |
मोहब्बत का प्रतिक बना ताजमहल देखने देश - विदेश के लोग हर साल पहुँचते है और ऐसी मुहब्बत को सर आँखों पर बिठाकर ताजमहल के रूप को अपने घर भी खरीदकर ले जाते है |
लेखन का क्या कहिये ? जो लिख दिया वो इतिहास बन जाता है और सच को अंकित कर मोहर लगा देता है | कहीं ऐसा तो नहीं कि इस ताजमहल में कुछ ऐसी सच्चाई भी छुपी है जिसे अभी तक उजागर नहीं किया गया |
इतिहासकार पुरुषोत्तम ओक ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि - शाहजहाँ ने अपनी लूटी हुई दौलत को इसी जगह छुपाया करते थे , जिसे कोई उजागर न कर सके | इसलिए उन्होंने दुनिया के सामने इस महल को प्रेम का प्रतिक बना दिया |
अगर मुमताज महल की याद में प्रेम का प्रतिक "ताजमहल" का निर्माण कराया गया , तो यह बुराहनपुर में निर्माण कराया जाता | क्यूंकि मुमताज की मृत्यु बुरहानपुर में हुई थी और उन्हें वहीं पर दफनाया गया था |
इतिहास के पन्नो में ऐसी बाते अंकित है कि - मुमताज ने अपने पति शाहजहाँ से अंतिम क्षणों में कहा था कि - वे अपने सपनों में एक बहुत हीं खुबसूरत महल और बाग़ देखा है जैसा कि इस दुनियां में कहीं नहीं | शाहजहाँ भी उनकी याद में एक ऐसा हीं महल और बाग़ का निर्माण करा दे |
मुमताज की मृत्यु 17 जून 1631 में बुरहानपुर में हुआ , जिस शव को तापी नदी के किनारे एक बाग़ में दफनाया गया | आज भी कई पन्नो में ऐसा अंकित है कि - शाहजहाँ के लिए मुमताज के मायने क्या थे ? जहाँ एक राजा के लिए हजारों सुन्दर स्त्रियों की लाइन लगी हो , वहां मुमताज के मुहब्बत की मायने किस रंग में अंकित किया जाए !
13 वीं शताब्दी में एक वैद्धिक मंदिर का निर्माण हुआ था | इसे अमेरिका के मशहूर इतिहासकार स्टीफन नैप ने इस बात का जिक्र अपने पुस्तक में की है | गौर करने की बात है - जब मुमताज का कब्र बुरहानपुर में दफनाया गया तो फिर महल का निर्माण आगरा में कैसे ? आज भी बुरहानपुर का वह स्थान जस का तस पड़ा है |
इतिहास के कई किताबो में भगवान शिव का मंदिर होने का सबूत उस जगह होने का पेश करती है जहाँ ताजमहल बनाई गई | तो क्या शिव मंदिर तोड़कर ताजमहल का निर्माण कराया गया ?
आज भी ताजमहल में स्थित 22 कमरे क्यूँ बंद पड़े है ? जहाँ प्राचीन शिवलिंग होने का दावा किया जा रहा है |
सोंचने की बात है कि - गंगा या नदियों की स्वच्छ धाराओं के पास शिव मंदिर का निर्माण होता रहा है | ताजमहल भी यमुना नदी के तट पर स्थित है जहाँ 1212 में राजा परमर्दी देव ने भगवान शिव के मंदिर का निर्माण कराया था , आखिरकार वह मंदिर और महल कहाँ है ?
ताजमहल का निर्माण कई सौ साल बाद हुआ | इसके दीवारों में आज भी कई ऐसी आकृति व चित्रकारी देखने को मिलता है , जहाँ नारियल , कलश , कमल का फूल व शिव की त्रिशूल का वास्तुकला मौजूद है | ताजमहल के गुम्बद पर भी ऐसे दृश्य दिखाई पड़ते है | यह दृश्य हिन्दुओं की वास्तुकला की आकृति को दर्शाता है |
इस महल में शिव मंदिर हीं मौजूद था तभी गुम्बद की खूबसूरती को तोड़ा नहीं गया और इसके 22 कमरे को बंद कर दिया गया , जहाँ मंदिर के विशेष रूप का ढांचा है | आज वह अपने खोले जाने का दस्तक दे रही है |
मुमताज के प्रेम को लोगो ने बढ़ा चढ़ाकर लिखा | जैसे कि - लैला मजनू , हीर रांझा , रोमियो जूलियट सोनी महिवाल के प्रेम को बढ़ा चढ़ाकर लिखा गया और इसपर कई फिल्मे बनी और इन फिल्मो में कई सारे अंतर दिखाई पड़े |
यह जिक्र आज सोंचने पर मजबूर करता है कि - जीवित मुमताज के लिए हीं जब शाहजहाँ के पास उतना समय नहीं था और उनके लिए कोई महल नहीं बनाए गए , तो फिर उनके मरने के बाद भव्य महल का निर्माण कैसे हुआ ? जाहिर सी बात है कि - शाहजहाँ ने राजा जयसिंह पर दबाव डालकर उनके महल पर कब्ज़ा किया और अपने लूटे गए सामान को वहीं पर दफनाया |
शाहजहाँ के कई विवाह हुए जिसमे एक मुमताज ही नहीं थी | बादशाह के बनने के कुछ साल बाद हीं मुमताज की मृत्यु हुई थी , मगर इस दौरान इन दोनों के प्रेम प्रसंग का चरम का कहीं जिक्र नहीं मिलता | यह एक कल्पना मात्र है जिसे भारतीय इतिहासकारो ने विस्तार दिया | एक राजा जो अपने विरोधियों की हत्या करने के बाद गद्दी पर बैठा था , यह कैसे संभव है कि - वह सिर्फ अपनी एक रानी के लिए इस महल का निर्माण करा दे !
ऊपर गुम्बद पर नजर डाली जाए तो चन्द्रमा एवं कलश की नोक मिलकर एक त्रिशूल का आकार बनाती है जो भगवान शिव का चिन्ह है |
हाल
हीं में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता डॉ० रजनीश ने एक याचिका हाई
कोर्ट में दायर की है जिसकी सुनवाई आज होनी है | डॉ रजनीश ने ताजमहल के
अन्दर शिव मंदिर होने का दावा पेश किया है | डॉ० रजनीश का यह तर्क पार्टी
से सम्बंधित नहीं बल्कि यह उनका व्यक्तिगत विचार की याचिका है जहाँ सैकड़ो
साल से बंद 22 दरवाजो को खोलने का जिक्र किया गया है जिसकी सुनवाई आज लखनऊ
बेंच करने वाली है | ......... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम०
नूपुर की कलम से )
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