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एक बार फिर दो देश अलग मजहब , अलग भाषा ने प्यार की कहानी को विश्व पटल पर लाकर खड़ा कर दिया | मगर यह कहानी बहुत हीं अद्दभुत , रोमांचक और प्रेरणादायक साबित हुआ | यह कहानी शायद जीवन में पहली बार हमारी नजरो से गुजरा है | ऐसा हमने पहली बार पढ़ा , सुना और जाना है |
यह कहानी अफ़्रीकी देश मोरक्को की एक मुस्लिम लड़की "फादवा लैमाली" और भारत के ग्वालियर शहर के रहने वाले "अविनाश दोहरे" की है और यह कहानी बीते बुधवार को एक पवित्र रिश्ते में बंधने की है | जहाँ कोई भी अरचन दीवार बनकर आड़े नहीं आया | बड़े हीं सरलता से दो परिवार ही नहीं दो देश के प्रशासनिक व्यवस्था ने भी सहयोग कर अपनी स्वीकृति दे डाली | यह शादी एक मिशाल बना और सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है |
वैसे संक्षिप्त में हम बता दे कि - यह प्यार की कहानी की शुरुआत भी सोशल मीडिया से हीं हुई है |
प्यार तो बस प्यार है | प्यार में न उम्र की सीमा न जन्म का बंधन दिखाई पड़ता है | प्यार में तो केवल मन से मन का सम्बन्ध और भाव प्रकट होता है | यहीं सच्चे प्रेम की निशानी व कहानी है | कभी - कभी प्यार को जुदाई मिलती है और कभी - कभी मिलन का वह सुखद दौर भी करीब आ जाता है एक अद्दभुत चमत्कार बनकर | बात सिर्फ इतनी है कि - सामने वाले के सामने आप अपनी प्रस्तुति कैसे प्रगट करते है ? जिससे प्रभावित होकर आपके प्रस्ताव को कोई इंकार नहीं कर सकता |
भारत का एक बेटा जो ग्वालियर के रहने वाले है और वे हिन्दू समाज से सम्बन्ध रखते है | उन्हें सोशल मीडिया के जरिये 3 वर्ष पूर्व मोरक्को की रहने वाली एक लड़की जिनकी उम्र 24 साल है दोस्ती हुई | यह दोस्ती कब प्यार में बदल गया दोनों को पता नहीं | दोनों की सोंच तमाम उम्र एक साथ जीने के लिए तत्पर हो गया | मगर दोनों के बीच मजहब का विशाल दीवार खड़ा था | लड़की मुस्लिम परिवार से सम्बन्ध रखती है और इनका नाम है फादावा लैमाली | इस बात को भी हम स्पष्ट कर दे कि - अफ़्रीकी देश मोरक्को एक मुस्लिम देश है , जहाँ की भाषा अरबी है | मोरक्को की राजधानी रबात है और यहाँ 99% मुस्लिम समुदाय के लोग हीं रहते है |
दोनों का मजहब बहुत अलग - अलग था , मगर यह दिल के रास्ते में बैरियर बनकर नहीं आया | आरंभिक दौर में दोनों ने अपने - अपने घर वाले को इसकी जानकारी दी | यहाँ तक की अविनाश दो बार शादी का प्रस्ताव लेकर मोरक्को गए | मगर लड़की के पिता ने शादी से साफ़ इंकार कर दिया | हर पिता को अलग मजहब में शादी करने से डर लगता है और यहाँ तो मजहब के साथ देश भी अलग हीं था | स्वाभाविक है एक पिता आसानी से इस रिश्ते को कैसे स्वीकार कर लेते ? दूसरी बार फिर अविनाश जिद्द पर अड़े होकर उनके पिता के पास पहुंचे और फिर शादी का प्रस्ताव सामने रख दिया | लड़की के पिता लड़की के जिद्द से भी वाकिफ थे और वे अपनी बच्ची का दिल तोड़ना भी नहीं चाह रहे थे | इसलिए उन्होंने अविनाश से भारत और हिन्दू धर्म छोड़कर मोरक्को में बसने का ऑफर दे डाला , जो अविनाश को पसंद नहीं आया |
अविनाश चाहते तो इस बात को स्वीकार कर सिर्फ अपनी खुशियों को बुन सकते थे | मगर उन्होंने ऐसा नहीं कर एक मिशाल कायम कर लोगो के लिए एक प्रेरणा बन गए और ऐसे लड़के - लड़कियों के लिए भी जो आने वाले कल में इनके पदचिन्हों पर चलकर अपनी विवाह को भी एक खुबसूरत पारिवारिक रूप में बांधना पसंद कर जीना कबुल करेंगे |
अविनाश ने लड़की के पिता के ऑफर को ठुकराते हुए कहा कि - मै अपना देश नहीं छोडूंगा और न हीं अपना धर्म परिवर्तन कराऊंगा | साथ हीं यह भी कहा कि - मै आपकी बेटी का भी धर्म परिवर्तन नहीं कराऊंगा |अविनाश की यहीं बाते परिवार को भा गया और उन्होंने अपनी बेटी से अविनाश को शादी करने की मंजूरी दे दी |
यह सच है कि - सदियों से मजहब , मुल्क और भाषा प्यार से कोसो दूर रहा है | एक बार फिर दूसरे देश की लड़की अपने मुल्क से 8 हजार किलोमीटर दूर ग्वालियर के एक हिन्दू लड़के से प्यार कर विवाह करने के लिए अपने देश को छोड़ दिया | वैसे भी देखा जाए तो - बेटियों को अपने उस घर को छोड़ना हीं होता है जहाँ उन्होंने जन्म लिया है | यह रित तो सदियों से चलता रहा है और मुठ्ठीभर परिवर्तन को छोड़ दिया जाए तो चलता हीं रहेगा |
अविनाश ने लड़की के पिता को भरोषा दिलाया कि - वह कभी भी अपनी पत्नी का धर्म परिवर्तन नहीं करायेंगे और दोनों अपने - अपने धर्म व संस्कृति का पालन करते हुए पति - पत्नी बने रहेंगे | साथ हीं फादवा के लिए अच्छा जीवन साथी सिद्ध होने का भरोषा भी दिलाया |
थोड़ा और विस्तार कर दे तो - फादवा लैमाली एक प्राइवेट कॉलेज में पढ़ती है , इनकी उम्र 24 साल है और ये वालिग़ है | लड़का अविनाश दोहरे इनकी उम्र 26 साल है |
परिवार के मान जाने के बाद फादवा ने अपने देश मोरक्को से NOC माँगा और फादवा लैमाली अब भारत आ चुकी है और अपने देश की मर्यादा और ससुराल "भारत" की संस्कृति को बरकरार रखते हुए दोनों देश को प्रेम व सम्बन्ध की एक पवित्र डोर में बांधकर मिशाल कायम की | फादवा लैमाली का एक विश्वास की वे अविनाश दोहरे की प्रेम को सच्चा मानकर एक अहम् फैसला लेते हुए कदम बढ़ाया |
बहुत लड़कियाँ व लड़के ऐसे होते है जो परिवार की रजामंदी न मिलने पर घर से भाग जाते है | जिससे दो परिवार के मर्यादा पर आंच आ जाती है और बच्चे की जिंदगी भी बिखर जाती है कई टुकड़ो में |
3 साल पूर्व हुए इस दोस्ती ने प्यार के बाद एक रिश्ते को खुबसूरत नाम दिया है | आज सोशल मीडिया पर यह शादी खूब सुर्खियाँ बटोर रही है |
सप्ताह भर पूर्व फादवा ने मेराक्को में अपनी शादी के लिए क़ानूनी दस्तावेजों की प्रक्रिया पूरी कर ली | मेराक्को ने उन्हें स्वीकृति दे दिया | इसके बाद ग्वालियर की SDM कोर्ट में शादी के प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया | बीते बुधवार को प्रेमी युगल SDM कोर्ट पहुंचे , जहाँ ADM एच बी शर्मा की मौजूदगी में दोनों विवाह के पवित्र बंधन में बंधे | अब दोनों की जिंदगी का एक सुखद सवेरा होने जा रहा है |
परिवार की रजामंदी , कागजी प्रक्रिया व देश की स्वीकृति और कानूनन विवाह ये सभी एक सहनशीलता और विश्वास की एक सच्चे प्रेम की निशानी है | हम ऐसे बच्चे से भी यहीं कहना चाहेंगे - विवाह देश में करे या विदेश में , प्यार कहीं भी , किसी से भी करे मगर ! विवाह भागकर कदापि न करे और बच्चो के माता - पिता से हम यहीं कहना चाहेंगे कि - आपने अपनी जिंदगी चाहे किसी की भी मर्जी से जी हो , मगर आप अपने बच्चो की सच्चे प्यार की खातिर उनकी भी सुने और स्वीकृति देकर बच्चो को गलत कदम उठाने से रोके | बच्चे एक अनमोल तोहफा है , इन्हें कभी भी टूटने , बिखरने और अलग होने मत दीजिये | जाति - धर्म और भाषा पर न जाए | देखा जाए तो - विवाहिक समस्या पर कितनी फिल्मे बनी है , जिसमे कहीं मिलन तो कहीं जुदाई करार दिया गया |
चलते - चलते इस सच्ची प्रेम कहानी पर मुझे एक फिल्म याद आ गई - फिल्म का नाम है "एक दूजे के लिए" | इस फिल्म में कमल हासन और रति अग्निहोत्री ने भूमिका अदा की | इस फिल्म में दो परिवार के बीच भाषा और राज्य अलग होने के कारण काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा | मगर कमल हासन की जिद्द और रति अग्निहोत्री के त्याग ने एक मिशाल कायम कर परिवार को स्वीकृति देने पर मजबूर कर हीं दिया | यह अलग बात थी कि - फिल्म की कहानी ने दोनों के बीच जुदाई करार दिया | ...... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर )
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