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हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार यह सभी लोग जानते है कि - भगवान कार्तिक , माता पार्वती और शिव के पुत्र है | वहीं बुद्धि के देव गणपति बप्पा भी इनके हीं पुत्र है |
इस बात से सभी पूर्व परिचित है कि एक बार प्रथम पूज्य होने की प्रतियोगिता की गई थी , जिसमे भगवान कार्तिकेय और गणपति देव दोनों ने भाग लिया था , जहाँ भगवान गणपति को विजयी घोषित किया गया था और इस बात को लेकर भगवान कार्तिकेय काफी नाराज हो गए थे | उनकी नाराजगी इतनी बढ़ गई थी कि - वे साधना करने के लिए वन की तरफ चले गए |
माँ पार्वती और भगवान शिव उन्हें मनाने के लिए गये , तो उन्होंने क्रोध में श्राप दे दिया था | कहा था कि - यदि कोई स्त्री उनका दर्शन करेगी तो वह सात जन्म तक वैध्व्य को भोगेगी और अगर कोई पुरुष मेरा दर्शन करेगा , तो वह मृत्यु के बाद नरक में जाएगा | यह बात सुनकर माँ पार्वती और भगवान शंकर काफी चिंतित हुए थे और किसी तरह अपने पुत्र को मनाया और कहा कि - साल में कोई तो एक दिन हो , जब कार्तिकेय का दर्शन फलदाई हो | तब भगवान कार्तिकेय ने कहा था कि- कार्तिक पूर्णिमा पर उनका दर्शन महा फलदाई सिद्ध होगा |
साल में एक बार हीं कार्तिक भगवान का दर्शन करने का नियम बनाया गया है और कार्तिक भगवान एक दिन हीं सबको दर्शन देते है और इस दिन लोगों की मुरादें पूरी होती है |ऐसी मान्यता है कि - यहाँ से कोई खाली हाथ नहीं लौटता |
जानकारी के आधार पर हम आपको बता दे कि - भारत में कार्तिक भगवान की सिर्फ एक हीं मंदिर है और वह भी 400 साल पुरानी मंदिर | मंदिर निर्माण इसलिए नहीं किया गया कि - एक दिन में संभव नहीं कि - किसी भी मंदिर या प्रतिमा का निर्माण कर दिया जाए | जहाँ शर्त यह हो कि साल में सिर्फ एक दिन हीं उनका दर्शन मान्य होगा , तो फिर जान बुझकर ऐसी गलती भला कौन करना चाहेगा ?
400 साल पुरानी मंदिर ग्वालियर में स्थित है , जहाँ प्रातःकाल स्नान पूजा व पवित्रता भरकर मंदिर को दर्शन के लिए खोला जाता है और रात्री में फिर बंद कर दिया जाता है , जिसके बाद एक साल तक वह मंदिर का पट बंद रहता है |
कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा अवश्य करनी चाहिए | इस बातों को बहुत कम लोग जानते है और जो जानते है वो इसमे कभी भी चूक नहीं करते | इसलिए अक्सर तस्वीरों में माँ पार्वती और भगवान शिव के साथ दोनों पुत्र को दिखाए जाते रहे है | परन्तु कार्तिकेय के मंदिर के विषय में सुनने और पढ़ने को या उनकी पूजा अराधना करने का दिन सप्ताह में भी निर्धारित नहीं किया गया है | इसलिए साल में सिर्फ एक दिन जो कार्तिक पूर्णिमा का दिन होता है , यह भगवान कार्तिकेय को हीं समर्पित किया गया है और यह दिन माह का आखिरी दिन होता है |
पुरे कार्तिक में लोग ब्रह्म मुहूर्त में हीं कोशिश करते है कि - गंगा स्नान किया जाए | जहाँ संभव नहीं वहां लोग जल में थोड़ा गंगाजल मिलाकर स्नान करते है | महिना भर यह कार्य चलता है , जहाँ पूरी निष्ठां जागृत होती है और कार्तिक पूर्णिमा के आखिरी दिन इसकी समाप्ति होती है | जहाँ लाखो की संख्या में गंगा स्नान के लिए उमड़ पड़ते है और इस स्पर्श में भगवान कार्तिक का स्पर्श भी जुड़ा होता है | इसलिए अगर जिन्हें भी यह जानकरी हो वे मांग ले जो भी मांगना है आज के दिन , आज के बाद फिर एक साल के बाद हीं भगवान कार्तिकेय के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होगा | ..... ( अध्यात्म की जानकारी :- भव्याश्री डेस्क )
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