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आज युक्रेन पर रूस के हमले का 14 वां दिन है और जंग रुकने का नाम नहीं ले रहा |कल अमेरिका ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन के इस कदम को रोकने के लिए रूस से ऑइल और कोयला इम्पोर्ट पर बैन कर दिया है |
दुनियां के इतिहास में यह सबसे कड़ा आर्थिक प्रतिबन्ध माना जा सकता है जिससे रूस की आर्थिक स्थिति पर काफी गहरा प्रभाव पड़ेगा | इस बात को स्वयं अमेरिका के राष्ट्रपति बाईडेन ने कहा |
दुनियां की नज़रे इस दो देश के युद्ध पर टिकी हुई है और ऊपर वाले से युद्ध रोकने हेतु गुहार भी जारी है |
युक्रेन ने दावा किया है कि - इस लड़ाई में अब तक 12000 से भी ज्यादा रुसी सैनिक मारे जा चुके है | वहीं 303 टैंक और 48 लड़ाकू विमान को भी तबाही का सामना करना पड़ा | युक्रेन के राष्ट्रपति ने कहा है कि - रूस का आर्थिक नुकसान 13 दिन में जितना हुआ है उतना तो 30 वर्षो में नहीं होता | वहीं युक्रेन के सेनागण और वहां के नागरिक भी इस युद्ध में अकाल मृत्यु की गोद में समाने पर मजबूर हुए |
जान बचाने के लिए लोग युक्रेन से पलायन कर पास के देश में शरणार्थी बनकर पहुँच रहे हैं | अपनी धरती , अपना अम्बर खोकर चल पड़े लाखो लोगो का काफिला एक नई राह की तरफ राहगीर बनकर | कोई अपना न रहा कोई सहारा न मिला , हम तो समझे थे कि ये घर अपना है मगर यहाँ भी कोई किनारा न मिला | होश संभलने से पहले हीं होश जाता रहा है , किसको कह दे कि - मुकदर में कोई सहारा न बचा |
इस बच्चे को देखकर किसी को भी रोना आ जाएगा | यह बच्चा अपनी जान बचाकर आगे बढ़ते हुए काफिले में शामिल हो रोता हुआ नजर आ रहा है |बच्चे के हाथ में एक थैला है और दूसरे हाथ में चॉकलेट | वह अकेला रोता हुआ आगे बढ़ रहा है , आखों में एक अजीब अकेलापन की तड़प लिए | इनको क्या मालुम कि ये किस रास्ते पर चल पड़े है और इन्हें जाना कहाँ है |
इस बच्चे ने 1100 किलोमीटर का सफ़र अकेला तय किया | जानकारी के आधार पर हम आपको बता दे कि - बच्चा जब स्लोवाकिया पहुंचा तो गार्ड ने उसके हाथ पर लिखे मोबाइल नंबर को पढ़ा , यह नंबर इनके रिश्तेदार स्लोवाकिया की राजधानी ब्रातिस्लावा में रहने वाले का था | गार्ड ने फोन कर उनके रिश्तेदार के हाथ उस बच्चे को सौंप दिया |बच्चे की माँ अपनी बूढी माँ के साथ युक्रेन में हीं ठहर गई , पैदल आना संभव नहीं था इसलिए देश के भविष्य को अकेला हीं काफिले में शामिल कर दिया ताकि वे रिश्तेदार के घर पहुँच सके | इस बच्चे की उम्र 11 साल है |
यह बच्चा यूरोप का सबसे बड़ा न्यूकिलियर पॉवर प्लांट के पास वाले इलाका जपोरिझिया का रहने वाला है | रेडियशन के संभावाना के दौरान यहाँ के लोग कूच करने पर मजबूर हुए | स्लोवाकिया की इंटीरियर मिनिस्ट्री ने इस बच्चे की तस्वीर को फेसबुक पर पोस्ट करते हुए इसे निडर और जूनून से भरा बताया है | वहीं पोस्ट में यह भी लिखा कि - रियल हीरो बनकर अपने धर्य का परिचय देते हुए सफ़र को आसान बनाया |
बच्चे की माँ ने स्लोवाकिया सरकार को धन्यवाद दिया है |
काश ! रेगिस्तान बनने से पहले रूस के कदम ठहर जाते तो अभी भी बहुत कुछ बचाया जा सकता है | ....... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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