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किसी शायर ने लिखा है - कसमे वादे प्यार वफा सब बाते हैं बातों का क्या ? चलिए मान लेते हैं | परंतु उन रिश्तो का क्या ? जो आदमी को आदमी से बहुत दूर ले जाकर , कांटो की सैया पर सुला जाता है और उन्हें न दर्द होता है , न चुभन | ऐसे माली को क्या नाम दें ? जिसे बगिया उजड़ने का जरा भी गम न हो !
आज , शादी का अटूट रिश्ता और सात फेरे का बंधन , कोई मायने नहीं रखता , विवाह एक रिश्क बनकर रह गया है | हर फेरे में यहीं डर , यहीं खौफ अब लेता नजर आ रहा है - किसी राह में , किसी मोड़ पर , कहीं चल न देना तू छोड़ कर , मेरे हमसफ़र मेरे हमसफ़र | ये लाइन किसी फिल्म का गीत है , लेकिन आज यह हकीकत बनकर , हमारी संस्कृति को सोंचने पर जरुर मजबूर कर देता है |
उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में ऐसा ही हैरान कर देने वाला एक रिश्ता और प्यार उभर कर सामने आया है | जिसमे रिश्तो को छलनी कर दर्द उभर कर हमारी संस्कृति को , सिर्फ धूमिल नहीं करता , बल्कि शर्म के तालाब को पार करती हुई जान पड़ता है | जब एक पिता , अपने बेटे की पत्नी से विवाह रचा ले , वह भी कोर्ट मैरिज , तो उस बेटे के दिल पर क्या गुजरेगा ? समझा जा सकता है ! यह मान लेते हैं कि पत्नी नासमझ थी , जो ससुर के कहने पर आ गई | क्या एक पिता भी नासमझ हो सकता है ? ऐसे पिता किस सजा के हकदार हैं , यह तो उनका पुत्र , समाज और कानून तय करेगा | परंतु हमारा भारतीय समाज , किस तरह करवटें बदलता जा रहा है , जहां ना भाई दूज का महत्व न करवाचौथ की फिक्र और रिश्ते ढोए जा रहे हैं उस पगडंडी पर , जहां एक तरफ गहरा खाई तो दूसरी तरफ गहरा दलदल है | जीवन का सफर भी ऐसा ही है , जिसे पगडंडियों पर ही चलना होता है बड़ा संभलकर |
बदायूं जिले के क़स्बा बिसौली के दबतरा गाँव के रहने वाले , एक 45 वर्षीय व्यक्ति , जिनका नाम है देवानंद | इनकी पत्नी की 2015 में मृत्यु हो गई | पत्नी की मृत्यु के समय देवानंद की उम्र 39 साल थी | पत्नी के मरने के बाद , उनके परिजनों ने उन्हें सुझाव दिया था , दूसरी विवाह करने लेने का | लेकिन देवानंद ने उन सबकी बात नहीं मानी और अपने बड़े बेटे 15 वर्षीय सुमित की शादी करने का मन बना लिया | सुमित की उम्र उस वक्त 16 वर्ष थी , जब उसकी शादी करा दी गई | सुमित की शादी हुए छः माह हीं बीते होंगे कि दोनों में अचानक अनमन सा होने लगा और मनमुटाव इतना ज्यादा बढ़ गया कि , पति और पत्नी में दूरियां बढ़ती चली गई और इस बीच माहौल का नजारा देखकर , उनके पिता ने सुनिश्चित किया कि सुमित की पत्नी के करीब आने का अच्छा रास्ता है और माहौल को देखते हुए धीरे - धीरे बहु के करीब पहुंचते चले गए |
चूकि जब सुमित की उम्र हीं 16 वर्ष थी , जिस उम्र को नाबालिग होने का मोहर सरकार ने लगाईं है , तो समझा जा सकता है कि उसकी पत्नी की उम्र कितनी होगी और उसकी समझ ? ऐसे में उसे पति और ससुर में क्या फर्क होता है , शायद समझ से परे होगा , कहा जा सकता है या समझा जा सकता है ! परन्तु पिता देवानंद ने 2017 में ऐसा कदम उठाया कि , रिश्तो को हीं शर्मसार कर दिया |
देवानंद ने सुमित की पत्नी से कोर्ट मैरिज कर ली और दोनों संभल जिले में जाकर रहने लगे | देवानंद और सुमित की पत्नी , अब सुमित की पत्नी न रहकर , सुमित की मां बन चुकी थी और उसने एक बच्चे को जन्म दिया , वह लड़का है , उसकी उम्र अभी 1 वर्ष है |
सुमित के पिता अपने बेटे का खर्च उठाते रहे | सुमित बहुत अकेला पड़ गया और उसे शराब और जुए की लत लग गई और रुपए की जब जब जरूरत होती , तो वह पिता से मिल जाया करता था , तो पिता से कोई शिकायत नहीं थी | कुछ दिन बाद देवानंद का परिवार बढ़ गया , तो जिम्मेदारी भी बढ़ गई | फिर उन्होंने अपने बेटे सुमित को रुपये देना भी बंद कर दिया | सुमित , रुपये न मिलने से छटपटा गया और उसने वकील का सहारा लिया | वकील के कहने पर , देवानंद ने वेतन संबंधी जानकारी आरटीआई के जरिए मांगी | इसके अतिरिक्त एक प्रमाण पत्र बिसौली कोतवाली को जमा किया , जिसमें उसने अपनी पत्नी के कहीं गुम हो जाने की और ढूंढने का निवेदन पुलिस से किया था |
अब पुलिस ने अपनी कार्रवाई शुरू कर देवानंद और सुमित को थाने में बुलाया | थाने में सुमित अपने खर्चे और परवरिश की बातें पुलिस के सामने रखी | पिता-पुत्र में जमकर विवाद आरंभ हुआ फिर इसके बाद पंचायती भी हुई | सुमित की पत्नी ने अपने ससुर के साथ ही रहने की बात कही | उसने सबके सामने शर्म को दरकिनार कर बोल दिया कि - ससुर हीं उसके पति हैं , दोनों ने कोर्ट मैरिज कर ली है |
इस मामले की जांच और समझाने का कार्य कर रही वरिष्ठ पुलिस अधिकारी "बदायूं" की संकल्प शर्मा ने कहा कि - सुमित नामक एक व्यक्ति ने , किसी पुराने प्रार्थना पत्र पर क्या एक्शन लिया गया ? उसका विवरण मांगा था | सुमित ने अपनी पत्नी को ढूंढने का निवेदन , पुलिस से किया था | चूकि पुलिस को एक आरटीआई का प्रार्थना पत्र प्राप्त हुआ था , जिसके आधार पर दोनों को थाने बुलाया गया था | एसपी ने कहा है कि - सुमित को अपनी पत्नी और पिता के एक साथ रहने और विवाह की बातें पता थी | वो सिर्फ परवरिश और खर्चों की मांग को लेकर , रुपये लेना चाहता था | सुमित की पत्नी , सुमित के साथ नहीं रहना चाहती , वह ससुर के साथ हीं अपनी मर्जी से रहना चाहती है | चूकि विवाह के समय , सुमित बालिग नहीं था , इसलिए सुमित द्वारा कोई दावा पेश नहीं हो सका |
ऐसे भी रिश्ते होते हैं , जो कांटो की राह पर चलते चले जाते है और चुभन भी नहीं होता | अपने हीं औलाद को समंदर भर दर्द की जाम में डुबों कर और स्वयं फूलों की बागों में खुशबु ढूंढने का काम करते है | ऐसा माली किस काम का , जिन्हें अपनी बगिया उजड़ जाने का जरा भी परवाह न हो ! ऐसे लोग पिता के नाम पर एक कलंक है , जो सिर्फ अपने सुख के लिए बच्चों पर तेज़ाब छिड़कने में भी बाज नहीं आते |
देवानंद के लिए , विवाह करना इतना हीं जरुरी हो गया तो किसी और से भी विवाह किया जा सकता था | परन्तु अपने हीं बेटे के पत्नी से विवाह कर लेना , इस कलयुग में भी कलंकयुग होने जैसा अभाष और नजारा दिखाई पड़ता है | यहाँ जिंदगी की कहाँ पर जीत है और कहाँ पर हार , यह समझना ऐसे इंसान के लिए घने बादल की तरह है , जिसे अँधेरे में कुछ दिखाई नहीं पड़ता |
कानून भी ऐसे बने हैं , जिसमे देवानंद को क्या सजा मिलेगी , पता नहीं ? क्यूंकि बेटे तो उस वक्त नाबालिग थे , जिस वक्त सुमित की शादी हुई | उम्र थी 16 वर्ष , इसलिए सुमित द्वारा कोई दावा पेश नहीं सो सका | परन्तु अपने नाबालिग बेटे की शादी कराने के जुर्म में , कानून में क्या सजा है ? क्या देवानंद इस अपराध से भी वंचित रह जायेंगे ?
ऐसे पिता के लिए बेहतर था , अपना जीवन किसी और के साथ बसाना और एक पत्नी के लिए ससुर से शादी करने से बेहतर था , या तो पति को सुधारना या तलाक लेकर किसी और से विवाह करना | ......... ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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