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पंजाब के मोहाली में भारतीय सेना के अग्निवीर जवान को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया , इनका नाम इश्मीत सिंह उर्फ़ इशु है | 2022 में सेना में भर्ती हुए थे |
जानकारी के आधार पर बता दे - बीते 22 जुलाई को इश्मीत अपने भाई प्रभप्रीत सिंह और दोस्त बलकरण सिंह के साथ यात्री बनकर एक कैब ड्राईवर को लूट लिया | इन तीनो की उम्र 18 से 22 वर्ष के बीच है | 12वीं तक की शिक्षा प्राप्त किया | बलकरण एक टैक्सी सर्विस के लिए काम करता है और ये सभी फाजिल्का के रहनेवाले है |
24 जुलाई को छप्पर चिरी के पास हुई कार चेकिंग के दौरान इन तीनो की गिरफ़्तारी हुई है | आरोपियों ने कैब का नाम बदलकर उसपर फर्जी नंबर का प्लेट लगा दिया था | सोंचा था बच निकलेंगे पर ऐसा नहीं हुआ | पुलिस की पैनी दृष्टि के घेरे में ये तीनो आ गए | इनके पास से चोरी की गई मोटरसाइकिल , 1 स्कूटर , 2 मोबाइल फोन सहित पॉइंट 315 बोर की एक देसी पिस्टल व तीन जिन्दा कारतूस बरामद किया गया है |
इशु की पोस्टिंग पश्चिम बंगाल में थी | मई माह में 1 महीने की छुट्टी के दौरान वह घर आया था | छुट्टी समाप्त होने के बाद वह ड्यूटी पर वापस नहीं लौटा | इशु का वेतनमान 20 हजार रुपये था | वह अपने भविष्य को लेकर परेशान था और इसी वजह से वह ड्यूटी पर नहीं लौटकर गलत रास्ते से धन कमाने का मन बनाकर उत्तरप्रदेश के कानपूर शहर से एक हथियार खरीदी जिसका इस्तेमाल कार लूट के दौरान किया और कैब ड्राईवर पर तब गोली चलाई जब कैब ड्राईवर को धक्का देकर तीनो ने नीचे उतारा और गाड़ी लेकर फरार होने की गति तेज की थी | कैब ड्राईवर अपनी गाड़ी को बचाने के क्रम में पैदल हीं पीछा करने की अताह कोशिश की थी परन्तु गोली लगने के बाद उसकी गति धीमी पड़ गई | चूकि इशु एक कुशल शूटर है इसलिए कैब ड्राईवर को गोली निशाने पर लगी |
इन तीनो ने पूर्व में हीं कैब चुराने का मन बनाया था तभी लुधियाना रेलवे स्टेशन से एक मोबाइल फोन चुराया और टैक्सी सर्विस एप्प से कैब बुक किया और उस मोबाइल फोन को फेक दी |
कैब बताई गई जगह पर पहुँच गया इसकदर घटना को अंजाम देकर तीनो ने कैब को कुराली में एक सुनसान जगह पर पार्क कर बलौंगी में अपने गेस्ट हाउस वापस लौट गए | अगले दिन अँधेरा होने के बाद उसी कैब में बैठकर फैजिल्का की तरफ बढ़ गए और पुलिस की चंगुल में फंसकर गिरफ्तार हुए |
इस अपराध में अग्निवीर में शामिल होने की बात सामने आई तो मोहाली के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संदीप गर्ग सेना को पत्र लिखनेवाले हैं ताकि इसकी सूचना सेना को मिल सके | इन तीनो के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 307 , 308 , 125 , 61 लगाये गए और बलौंगी थाने में केस दर्ज कर दिया गया |
अब सवाल है कि अपराधी बनकर किसको क्या मिला ? यह सोंच का विषय है ! एक कहावत है - हम तो डूबेंगे सनम तुमको भी ले डूबेंगे | तीनो अलग अलग प्रवृति के होंगे मगर एक मन बनाकर अपराध को अंजाम दिया | अग्निवीर का इस कदर लूट व अपराध कर अमीर बनने की मंशा उन्हें और भी गरीब बना दिया | उपरवाले ने तो उन्हें वर्दी दी थी जिसे पहनकर वे कुछ अच्छा करते , स्वयं के लिए , अपनो के लिए , देश के लिए |
कम वेतन से मन न भरे तो कदम लूट , चोरी की तरफ बढ़ाना मुनासिब नहीं | बेहतर है स्वच्छ व्यवसाय की तरफ बढ़ाएं , धीरे धीरे स्वयं ऊंचाई बढ़ जायेगी | वर्दी पहनने से पहले याद रखिये उसपर कभी दाग न लगने पाए | चाहे कुछ भी हो पहले वर्दी और देश की रक्षा सर्वोपरि ऐसा मन बना ले और सोंचना होगा !
अब चलते चलते - किसी किसी को तो इतना भी नसीब नहीं होता | माना 20 हजार वेतनमान अधिक नहीं मगर मेरे ख्याल से उतना कम भी नहीं होता इसलिए कभी ये मत सोंचिये कितना मिला सोंचिये बहुत मिला जितना किस्मत ने दिया | ............ ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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