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बहुचर्चित शायर मुनव्वर राना के बेटे तबरेज राना को बुधवार लखनऊ पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है , वे पिछले 2 माह से फरार थे |
गलत रास्ते से ओवरटेक प्रकृति व समय को पसंद नहीं | ईमान बदला की समझिये दुर्घटना घटी | ऐसी हीं दुर्घटना को आमंत्रित किया था शायर मुनव्वर राना के बेटे ने जिसमे वे स्वयं फंसते चले गए और जो गढ्ढा उन्होंने दूसरे के लिए खनवाई थी , संभावना है कि वे स्वयं आने वाले कल में उस गड्ढे में गिरने पर मजबूर होंगे |
बीते 28 जून को रायबरेली के त्रिपुला चौराहे के पास तबरेज राना पर हमला हुआ | इसके लिए तबरेज ने अपने चाचा और अन्य परिजनों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई थी | पुलिस ने इस मामले का पड़ताल आरम्भ किया , तो चौंका देने वाला खुलासा आँखों के सामने तैरने लगा | तबरेज राना ने षड्यंत्र रचा था और स्वयं पर गोली चलवा ली | अब इस षड्यंत्र पर से पर्दा हट चूका है | क्यूंकि जिस शूटर को तबरेज ने भाड़े पर लिया था , उसमे से चार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था और तभी से तबरेज फरार थे |
अब साजिश से पर्दाफाश होने के बाद सभी कुछ साफ़ दिखाई दे रहा है और पुलिस की जांच में खुलासा हुआ था कि - तबरेज अपनी पैतृक सम्पति को बेचने के बाद अपने चाचा व चचरे भाई को फंसाने के उद्देश्य से 28 जून की शाम को प्रयागराज हाइवे पर शहर कोतवाली के त्रिपुला चौराहे के पास स्थित पेट्रोल पम्प के बाहर स्वयं पर हीं गोली चलवा लिया था |
पुलिस की पड़ताल ने आसपास के CCTV फूटेज को खंगाला , तो सभी कुछ स्पष्ट दिखाई पड़ने लगा | CCTV के माध्यम से हीं उन चारो युवक , जो तबरेज के झांसे व लालच में पड़े थे , बाइक सवार उन चारो युवक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और वे सभी जेल के अन्दर कैद है |
जब से इस कांड का खुलासा हुआ और साजिशकर्ता का नाम सामने आया , तभी से तबरेज फरार चल रहे थे | बीते 13 अगस्त को तबरेज ने न्यायालय में सरेंडर के लिए प्रार्थना - पत्र दाखिल किया था | परन्तु उसके बाद भी वे न्यायालय में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करवाई | फिर कोर्ट ने इनके ऊपर गैर जमानती वारंट जारी किया |
बुधवार को गुप्त सूचक के आधार पर इन्हें लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया गया है | लखनऊ के आरक्षी अधीक्षक श्लोक कुमार ने बताया कि - स्वयं पर गोली चलवाने के मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया है और अब उनसे पूछताछ की जा रही है | मामला अभी स्पष्ट रूप से सामने नहीं आ पाया है | परन्तु बहुत जल्द सब कुछ स्पष्ट होकर निष्कर्ष सामने आ जायेगा |
लगभग दो माह से तबरेज ने पुलिस को घोर चकमे में रखा और महत्वपूर्ण समय की बर्बादी बिला वजह किया | न खुद चैन से रहे , न घर वालो को रहने दिया और न पुलिस प्रशासन को | इसी का सबूत है कि - समुन्द्र किनारे रेत पर बनाई गई ईमारत टिकाऊ नहीं होता , यह सभी जानते है , फिर भी वे गलतियाँ कर बैठते है | जिससे ऐसे शातिर दिमाग वाले को सिर्फ चार दिन की चांदनी मिलती है , बाकी सारा जीवन इन्हें अँधेरी रात में गुजारना पड़ जाता है |
अपने हीं जाल मे तबरेज फंसते चले गए , ठीक वैसे जैसे झूठ के पाँव नहीं होते | इन्होने अपने पैतृक सम्पति को 80 लाख रुपये में बेचकर खुदपर गोली चलवा ली | इनकी मंशा थी कि वे अपने चाचा और चाचा के लड़के को फंसाकर सरकार से सुरक्षा - व्यवस्था मुहैया करवाकर अमेठी जनपद से तिलोई विधानसभा से चुनाव लड़कर विधायक की कुर्सी पर विराजमान हो सकेंगे |
आश्चर्य इस बात का है कि ! पैतृक सम्पति बेचने के बाद भी परिवार के किसी भी सदस्य को इस बात की जानकारी नहीं लगी | ग्राहक कैसे आया और सम्पति की बिक्री किस आधार पर कर दी गई ? इसलिए की सम्पति के बिक्री का आधार उसके मालिकाना हक़ वाले नाम के साथ किया जाता रहा है | तो आखिरकार मालिकाना हक़ में नाम किसका था , सवाल यह भी है , जो जोड़ पकड़ता हुआ दिखाई पड़ रहा है |
फिलहाल तबरेज अभी पुलिस की गिरफ्त में है | बहुत जल्द अपने किये गए साजिश का अपनी जुबानी पर्दाफाश करेंगे | परन्तु एक बात इससे स्पष्ट होता दिखाई पड़ रहा है कि - ऐसे लोग आखिरकार पुलिस प्रशासन को गोल - गोल घुमाकर क्या दर्शाना चाहते हैं ? प्रशासनिक व्यवस्था इतना कच्चा तो नहीं कि समुन्द्र से मोती न बिन पाए ! ऐसे साजिशकर्ता खुद को बहुत तेज समझते हुए पुलिस की आँखों में धुल झोंकते हुए समय की बर्बादी करते है | इससे तो अच्छा होता , अपने हक़ की सम्पति के राशि का इस्तेमाल करते | परन्तु तबरेज ने आम के पेड़ की जगह बाबुल के पेड़ रोप दिए तो मिठास कहाँ से आएगा ?
मुनव्वर राना एक बहुचर्चित चेहरा व नाम है , जो अपने आप में सुर्खियाँ बटोरता रहा है | परन्तु ये भी कभी - कभी सोशल मीडिया पर ऐसी विवादित टिप्पणी कर खुद शब्दों में उलझ जाते है और इन्हें फिर अपनी सफाई देनी पड़ जाती है | यह माना जा सकता है कि - एक शायर का उद्देश्य या सोंच देश के प्रति गलत नहीं हो सकता है | क्यूंकि इनके कलमों में सरस्वती का निवास है | परन्तु कभी - कभी शायर के शब्द भी ओवरटेक कर जाते है ,जिससे कि बातों का एक्सिडेंट हो जाता है |
हाल हीं में उन्होंने एक ऐसा विवादित ट्विट लिखा , जिसपर बवाल मचते हुए कई सवाल खड़ा होने लगा | जब बिवाद बढ़ना शुरू हुआ , तो उन्होंने अपने उस ट्विट को हटा दिया | उनका ट्वीट क्या था ? शायर के शब्दों पर गौर कीजिये ! "इस मुल्क के लोगों को रोटी तो मिलेगी , संसद को गिराकर वहां कुछ खेत बना दो" | ऐसे हीं बदलेगा किसानों का मुकद्दर , सेठों के बनाये हुए गोदाम जला दो | मै झूठ के दरबार में सच बोल रहा हूँ - गर्दन को उड़ाओ या मुझे जिन्दा जला दो" |
हालाकि जब बिवाद बढ़ा तो उन्होंने कहा कि - वे संसद की पुरानी ईमारत को गिराकर खेत बनाने की बात कर रहे थे |
अब आज के यूजर्स का क्या कहना ? ये कलयुगी यूजर्स है , इतना तो शायर महोदय को याद रखकर कलम चलानी चहिए | आज के यूजर्स का दिमाग गूगल की तरह तेज रफ़्तार से दौड़ता है | जबतक मुनव्वर राना ट्विट को डिलीट करते , तबतक तो यूजर्स इस शायरी का स्क्रीनशॉट लेकर सोशल मीडिया पर शेयर कर चुके थे |
अब कलम चलाने वाले व्यक्ति अपने बेटे के कारनामे में दिमागी रूप से तो उलझ हीं गए होंगे | खैर ...... वक्त के आगे हार है और वक्त के जीते जीत | लेकिन आदमी को चाहिए कि गलत रास्ते से चलकर मंजिल पर न पहुंचे | इसमे धोखा के सिवा कुछ भी हाथ नहीं लगने वाला | सभी जानते है कागज़ की नाव को पानी में डूबने में कितना वक्त लगता है | ....... ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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