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आज 26 जुलाई है , सावन का पहला सोमवार | आज माता पार्वती और भगवान शिव धरती का भ्रमण करेंगे और अपने भक्तगण की हर कष्ट व दुखों का निपटारा करेंगे |
वैसे सावन का महिना बीते 25 जुलाई यानि कल से आरम्भ हो चुका है | आज सुबह सवेरे से हीं भोले बाबा पर जल चढ़ाने के लिए भक्त बेताब है | नई उमंग तरंग के बीच सावन के आ जाने से उत्साह चारो तरफ भरापरा दिख रहा है | सावन में बाबा को जल चढ़ाने की कल्पना मात्र से हीं मन भक्तिमय बन जाता है | देश भर में सावन के महीने में एक अनोखा माहौल बन जाता है , जहाँ बोल बम का नारा लगाते हुए कांवर लेकर गुरुआ वस्त्र में हमारे भाई - बहन व मित्रगण आदि मस्ती में झूमते - नाचते - गाते हुए पाए जाते है | इस माहौल में समस्या तो कहीं दिखती भी नहीं |
दूरी तय करने के लिए भक्तगण , गंगा तट तक का सफ़र ट्रेन से करते हैं | गंगा तट पर पहुँचने के बाद , वहां से जल भरकर लोग पदयात्रा करके बाबा के दरबार तक पहुंचते है | सैकड़ों - हजारों की संख्याओं के बीच , वो कई घंटा तक खड़े रहकर बाबा पर जल चढ़ाने की प्रतीक्षा करते हैं | बारी - बारी से सभी लोग जल चढ़ा पाते है और समय गुजरने का पता भी नहीं चल पाता | क्यूंकि यहाँ का माहौल हीं कुछ इस तरह का सदाबहार बन जाता है कि सिर्फ भोलेनाथ की हीं कृपा पाने की बातें सभी की जुबान पर चढ़ी होती है | जैसे कि - "जेकर नाथ भोलेनाथ वो अनाथ कैसे होई या फिर बोलबम के नारा बा इहे एक सहारा बा" आदि ऐसे कितने सारे गीत बन चुके है जो इनके उत्साह में चार चाँद व अनगिनत सितारें जड़ते हुए मालुम पड़ते है |
वहां से लौटने के क्रम में भी इन्हें रेल का सहारा लेना पड़ता है | इस उत्सव में सरकार भी राहत देने का कार्य करती है - इनके लिए रेल फ्री भी होता है | अगर ये चाहें तो फ्री यात्रा भी कर सकते हैं | साथ हीं इतने सारे ऑर्गेनाइजेशन , महिना भर पहले से हीं इनकी सुविधा की व्यवस्था में लगे होते है | ताकि इन्हें किसी भी कष्ट का सामना नहीं करना पड़े |
यह सच है कि - सावन के महिना में "पवन का शोर" चारो ओर रहता है | खासकर उन 12 जगहों पर जहाँ साक्षात शिव उपस्थित हुए थे , यहाँ सावन के महीने में बहुत हीं ज्यादा भीड़ रहती है | ये सभी लोग जानते हैं कि - शिव के 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन बहुत हीं महत्व रखता है | इसलिए इस सावन के महीने में 12 ज्योतिर्लिंग पर भक्तगणों का भीड़ उमड़ पड़ता है , जल चढ़ाने के लिए | माना जाता है कि - इन जगहों पर भगवान शिव स्वयं प्रगट हुए थे , इसलिए इन सभी ज्योतिर्लिंग का दर्शन एक खास महत्व और अहमियत रखता है |
बारी - बारी से हर साल एक शिवलिंग के दर्शन किये जाएँ तो , 12 वर्ष में हीं इंसान उन 12 ज्योतिर्लिंग का दर्शन कर पायेंगे और एक बहुत हीं सुखद अनुभूति प्राप्त कर सकते हैं | बहुत सारे भक्तगण इस ज्योतिर्लिंग तक नहीं पहुँच पाते , जिससे उनके मन में ऐसी धारणा बनती है कि - उनकी भक्ति अधूरी रह गई |
लेकिन मेरा मानना है कि - इन सभी ज्योतिर्लिंग का मन में ध्यान लगाकर अगर दर्शन किया जाए , तो भी उतना हीं पूण्य प्राप्त होता है ,जितना की उस स्थान पर पहुंचकर | क्यूंकि आत्मा में हीं परमात्मा का निवास स्थान कहा गया है | क्या करे मनुष्य ? परिस्थिति के अनुसार गति बढ़ती है |
मनुष्य अकेले जा सकता नहीं , तो किसी के पास प्रयाप्त व्यवस्था नहीं | ऐसे में चाहत होने के बावजूद भी उनका मन अधुरा रह जाता है और वे अपने मन के अनुसार यात्रा नहीं कर पाते | इस बात से भक्तगण को दुखी नहीं होना चाहिए | कहा जाता है - मन चंगा तो हर जगह गंगा और गंगाजल का एक बूंद भी आपके मस्तिष्क पर पड़ जाए तो वह गंगा स्नान के बराबर माना जाता है | तो ज्योतिर्लिंग का भी ध्यान लगा लेने से उन 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन भी हो जाते हैं |
तो 12 शिवलिंग के दर्शन आप इस तरह कर सकते हैं - उनकी तस्वीर को अपने मन में कैद कीजिये और सोंच लीजिये कि आप भ्रमण कर रहे हैं |
12 धाम में :- घृष्नेश्वर ज्योतिर्लिंग , रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग , बैधनाथ ज्योतिर्लिंग , नागेश्वर ज्योतिर्लिंग , त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग , विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग , भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग , केदारनाथ ज्योतिर्लिंग , ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग , महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग , मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग , सोमनाथ ज्योतिर्लिंग |
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग - गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र में समुन्द्र किनारे स्थित है |
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग - आंध्रप्रदेश के कुरनूल जिले में कृष्णा नदी के तट पर स्थित है |
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग - मध्यप्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है |
ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग - मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी के किनारे मान्धाता पर्वत पर स्थित है |
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग - उतराखंड में अलकनंदा और मन्दाकिनी नदी के तट पर स्थित है |
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग - यह महाराष्ट्र में पुणे से करीब 100 किलोमीटर दूर स्थित है |
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग - काशी में गंगा नदी के तट पर स्थित है |
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र के नासिक से 30 किलोमीटर पश्चिम गोदावरी नदी के किनारे स्थित है | यह मंदिर काले पत्थरों से बना है |
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग - गुजरात में द्वारिकापुरी से 17 मिल दूर स्थित है |
बैधनाथ ज्योतिर्लिंग - झारखण्ड के देवघर जिले में स्थित है |
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग - तमिलनाडु राज्य में स्थित है |
घृष्नेश्वर ज्योतिर्लिंग -यह महाराष्ट्र के दौलताबाद से लगभग 18 किलोमीटर दूर स्थित है |
आज हमने आपको उन 12 ज्योतिर्लिंग के नाम की सूचि मष्तिस्क में दर्ज करवाई , आगे हम इनकी महत्ता भी दर्ज कराएँगे | अब शिव को क्या पसंद है - तो इस बात से सभी वाकिफ है कि , शिव को भांग धतुरा काफी पसंद है | जल के साथ भावना को दर्शाते हुये जल अर्पण कीजिये , आपकी मनोकामना पूर्ण होगी | क्यूंकि बाबा भोलेनाथ को मानाने में ज्यादा वक्त नहीं लगता और वह भी सावन के महीने में |
तो इस सावन के महीने को सवानमय बनाकर अपने मन की आँगन में इन्द्रधनुषी फूल के रंग खिलाइए और अपने व अपनों के जीवन में खुशियों के प्रकाश फैलाइये | आपकी जिंदगी में रौशनी फैलता हुआ नजर आएगा | .......... ( अध्यातम फीचर :- आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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