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भूपेंद्र पटेल गुजरात के नए मुख्यमंत्री बने , ये गुजरात के 17 वें मुख्यमंत्री है |
गांधीनगर स्थित राजभवन में आज एक कार्यक्रम में भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई | इस समारोह में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित साह , हरियाण के मुख्यमंत्री मनोहर खट्टर , कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई , गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत , मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आदि के कई नेतागण मौजूद थे |
भारतीय जनता पार्टी ने भूपेंद्र पटेल के नाम पर मुख्यमंत्री पद की मोहर लगाईं थी |
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के नए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को ट्विट कर बधाई दी है | ये इक्ताफाक है कि - भूपेंद्र पटेल विधायक बनने के बाद अचानक मुख्यमंत्री पद के नाम के लिए घोषित हुए | यह विधानसभा सीट गांधीनगर लोकसभा सीट के अंतर्गत आती है , जहाँ से अमित साह सांसद है |
भूपेंद्र पटेल का नाम मुख्यमंत्री चुनाव की सूची में शामिल नहीं था | यह नाम सबके लिए चौका देने वाला साबित हुआ | बीते दिन वह अपने क्षेत्र में वृक्षा रोपण के कार्यक्रम में शामिल हुए थे | सूचना के आधार पर हम आपको बता दे कि - भूपेंद्र पटेल को अपने मुख्यमंत्री पद की सूचना टीवी के जरिये हीं मिली , जो उनके लिए भी हैरान कर देने वाला था | इसे कहा जाता है - किस्मत का चमकना |
उप-मुख्यमंत्री नितिन पटेल , दो बार मुख्यमंत्री बनते बनते रह गए | जानकारी के अनुसार - अंदरूनी नाराजगी को वे जब्ज कर ख़ुशी जाहिर कर रहे हैं | परन्तु कहीं न कहीं यह मलाल दिल में उतरता हुआ मालूम पड़ रहा है | मगर बीजेपी की भी यह मज़बूरी या माहौल कहे कि - अभी चुनाव सर पर है और इसमें एक नए चेहरे को सामने लाना बहुत जरुरी था , संगठन की मजबूती के लिए |
गुजरात में नए CM का सवागत किया गया | गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी को पद से हटाकर भूपेंद्र पटेल को CM की महत्वपूर्ण कुर्सी सौंप दी गई है | बीजेपी के लिए यह कोई नई बात नहीं है कि उन्होंने चुनाव से पहले इस कुर्सी का बदलाव किया है | इससे पहले भी 2017 के चुनाव के दौरान साल भर पहले हीं विजय रुपानी को भी CM की कुर्सी का पदभार सौंपा गया था |
अब एक नया चेहरा देश के सामने है , जिनका नाम है भूपेंद्र पटेल | इस कुर्सी पर बैठते हीं उन्हें 1 साल के हीं कार्यकाल में कई सारी चुनौतियों को स्वीकार करना होगा | अगले वर्ष 2022 में चुनाव होना है | भारतीय जनता पार्टी एक नया चेहरा और जोश के साथ मैदान में उतरेगी | इसी उद्देश्य से पूर्व निर्धारित योजना के दौरान मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नए चेहरे बिठाये गए है | अब राज्य का पूरा भार भूपेंद्र पटेल पर होगा कि वे चुनावी मैदान में पूर्व की तरह गिरते हुए ग्राफ को सिर्फ बैलेंस हीं नहीं करे , बल्कि ऊपर ले जाने में पार्टी की मदद करे | यह उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी | यह माना जा सकता है कि - इस चुनौती के लिए उन्हें बहुत हीं कम समय दिया गया है , जहाँ वे अपनी मजबूती का रंग दिखा सके |
अगले वर्ष 2022 के अक्टूबर / नवम्बर में गुजरात में विधानसभा चुनाव होना है | अभी सितम्बर का दूसरा सप्ताह आरम्भ हो चूका है | इस पद की गरिमा बरकरार रखने के लिए , इनके पास सिर्फ एक वर्ष का हीं फांसला है | हालाकि विजय रुपानी ने हीं संगठन को भूपेंद्र पटेल का नाम CM की कुर्सी के लिए सुझाया था |
विजय रुपानी 5 साल तक सत्ता में बने रहे , लेकिन अपनी सियासी धमक उतना जमा नहीं पाए ! ब्यूरोक्रेसी उनकी कुर्सी पर हावी होता गया | ब्यूरोक्रेसी किसी की सुन नहीं रही थी , इस बात को लेकर पार्टी के नेता और विधायक नाराज चल रहे थे | विजय रुपानी बिना कुछ बोले लाइफ लाइट से दूर अपना कार्य करते जा रहे थे , अब सर पर चुनाव पर का दौर भी दस्तक दे रहा था | दूसरी बात कि - पिछले दिनों की हम बात कर ले , तो पश्चिम बंगाल के चुनाव के बाद बीजेपी के लिए अब चुनौती बन गया कि वे जहाँ पर है उस सत्ता को बरकरार रखे | इसलिए एक ऐसा CM वहां विराजमान हो जिसमे सिर्फ छवि का साफ़ सुथरा होना हीं नहीं , बल्कि उस चेहरे को जनता के बीच प्रभावशाली होते हुए कार्य की गति दिखाना भी असरदार साबित हो , यह नजरिया बीजेपी का था | तभी बीजेपी की नैया 2022 में पार लगेगी |
भूपेंद्र पटेल बड़े हीं सुलझे हुए एक प्रभावशाली नेता है , जिनकी पकड़ कुछ संगठनों में काफी मजबूत है | इससे साफ़ जाहिर होता है कि - इस बार के विधानसभा सीट चुनाव के लिए इससे बेहतर चेहरा और कोई भी नहीं हो सकता है |
गुजरात में 27 साल से बीजेपी की लागातार सरकार रही है और इसे इसबार भी बरकरार रखना एक चुनौती से कम नहीं होगा ! पाटीदार समुदाय की भूमिका काफी असरकारक रही है , जिससे की इस सियासत में बीजेपी को मदद मिलती रही है | पाटीदार को लेकर हीं भूपेंद्र पटेल CM बनाये गए है , ताकि पाटीदार का वोट बैंक बीजेपी में बनी रहे और बीजेपी संगठन हर तरह से मजबूत होकर एक बार फिर 2022 में अपनी पार्टी की सरकार बना सके | यह सोंच बीजेपी की दूर दृष्टि कही जा सकती है | ........ ( आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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