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आगरा के सपूत "शुभम गुप्ता" फ़र्ज़ निभाने में अपनी जान की कुर्बानी दे दी | देशभक्ति गीत के दीवाने शुभम की आखिरी साँसों में यही सन्देश था - "खुश रहना देश के प्यारो अब हम तो सफ़र करते हैं" |
बीते बुधवार को रजौरी आतंकी हमले में वो शहीद हुए | इस खबर को सुनकर उनके परिवार , चाहनेवालो के साथ साथ देश में मातम छा गया और सभी का मन शहीद हुए इस बेटे के लिए झकझोर कर रख दिया |
इनके पिता DGC क्राइम ( क्रिमिनल वकील ) बसंत गुप्ता अपनी आंसू को जब्ज करके कहा - बेटे ने बोला था - एक जरुरी काम करके आऊंगा | मंगलवार को भी बेटे से मेरी बात हुई | बीते साल उसने अपना 26वां जन्मदिन घर में मनाया था जिसमे पार्टी में खूब मस्ती की थी | हंसी ठिठोरी के साथ खूब बाते करता | उसके जन्मदिन पर उसे कंधे पर उठा लिया था | बहुत जल्द उसके सर पर सेहरा सजता जिसे देखना संभव नहीं मगर उसकी देशभक्ति पर मुझे नाज है | अब अफ़सोस है कि जिन कंधो पर उठाकर डांस किया था अब उसी कंधो पर उसकी अर्थी उठाएंगे |
इनकी आँखे भले हीं दर्द भरे उन आंसुओं को आँखों से गिरने नहीं दिया मगर चेहरे और आवाज स्पष्ट संकेत दे रहे थे कि वो बुरी तरह अन्दर से टूट गए हैं मगर देशभक्ति चीज हीं ऐसी है कि जुदाई में इंसान खुलकर रो भी नहीं सकता क्यूंकि सबसे पहले देश है |
माँ पुष्पा देवी ने तो अपना सयंम हीं खो दिया और बिलखती हुई दिखाई पड़ी | लोगो ने उन्हें संभालने की कोशिश की मगर इतना आसान नहीं है एक माँ के दर्द पर मलहम लगाना | जिस परिवार का लाल शहीद होता है उस परिवार के कलेजे का क्या कहना ! हम सैल्यूट करते है ऐसे परिवारों को जो देश को बचाने के लिए अपनी कुर्बानी देते है इसलिए कि वो है तभी हम और देश सुरक्षित है |
बीते 15 दिनों से वो अपने परिवार वालो से बोल रहे थे - एक जरुरी काम है ख़त्म करके आऊंगा | हो सकता है कि वह अपने मेजर बनने की सरप्राइज सबको देना चाह रहे हो | जानकारी के आधार पर हम आपको बता दे कि वे बहुत जल्द मेजर बनने वाले थे | उनकी तमन्ना थी जर्नल बनने की जो अधूरा रहा मगर फिर भी पूरा हुआ क्यूंकि उन्होंने अपनी कुर्बानी स्वयं के लिए नहीं बल्कि देश के लिए दिया है और ऐसे व्यक्ति सदैव अमर रहेते हैं और इतिहास बन जाते हैं जो कभी मरता नहीं |
बुधवार को आतंकी हमले में कैप्टन शुभम गुप्ता के घायल होने की सूचना छोटे भाई ऋषभ गुप्ता को मिली तभी से परिवार सदमे में था | शहीद होने की खबर सुनकर मानो उनके पैरो तले जमीन हीं खिसक गई हो ! सहादत की खबर मिलते हीं इनके परिवार में भीड़ इकठ्ठा होना शुरू हुआ | चारो तरफ उनकी वीरता की चर्चा हो रही है | लोग नम आँखों से उन्हें श्रधांजलि दे रहे हैं और जुबां बंद है |
जानकारी के आधार पर हम आपको बता दे - उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दुःख प्रगट करते हुए शहीद के परिवार के लिए 50 लाख की आर्थिक सहायता और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की है |
जम्मू कश्मीर के रजौरी में आतंकी हमले में शहीद आगरा का यह लाडला बेटा शुभम बेहद निडर और बुलंद हौसले वाले थे | उसने सेना के कई ऑपरेशन को सफलता पूर्वक अंजाम दिया था |
इनके ताऊ कमलेश गुप्ता ने हीं उन्हें फ़ौज में जाने के लिए प्रेरित किया था | शुभम पहले "सिग्नल को" में भर्ती हुए फिर बॉर्डर पर लड़ने की जिद कर बैठे और परिवार से कहे बिना इसकी ट्रेनिंग भी ली | ताऊ से इनकी बाते 13 नवम्बर को हुई थी , कहा था - छुट्टी पर एक अच्छा काम करके घर आऊंगा | 25 नवम्बर को वो घर आनेवाले थे | 5 दिसंबर को उसके छोटे भाई का जन्मदिन है , कहा था - इसबार आऊंगा तो जन्मदिन काफी अच्छे तरीके से मनाऊंगा जिसकी पार्टी जोरदार होगी |
पिता से मंगलवार को आखिरी बाते हुई थी | भाई ऋषभ ने कहा है कि वे अपनी आवाज में गीत रिकॉर्ड भी करते थे | पारिवारिक समारोह में देशभक्ति गीत गाकर ऐसा शमां बाँध दिया करते थे जिससे वातावरण ही देशभक्ति हो जाया करती थी | इसबार जन्मदिन में बेहद स्पेशल पार्टी करनेवाले थे |
जुलाई के महीने में स्पेशल कमांडो की ट्रेनिंग के बाद 5 दिन के लिए आगरा आये थे , घंटो लोगो से बाते करते | इनका प्रमोशन भी होनेवाला था जिसके लिए वो काफी खुश थे |
विवाह की बाते बहुत पहले से चल रही थी , फिलहाल वे शादी नहीं करना चाह रहे थे मगर पारिवारिक दबाव के कारण संभावना था कि अगले साल उनके सर पर सेहरा जरुर बंध जाता | दीपावली के बाद हीं उनके पिता उन्हें दो लड़की से मिलवाने वाले थे ताकि वे अपनी पसंद से जीवनसाथी का चुनाव कर सके | पिता बहुत हीं उच्च ख्यालात व्यक्तित्व के धनी हैं , बेटे को दोस्त की तरह प्यार करते रहे और दोस्त ने रास्ते में हीं साथ छोड़ दिया |
हर पिता की ख्वाहिश होती है मरने पर उनका बड़ा बेटा अग्नी दे जो अधुरा रहा और इस अधूरेपन को कभी पाटा नहीं जा सकता | इनके दो पुत्र में एक शुभम गुप्ता शहीद हुए दूसरे ऋषभ गुप्ता पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए वकालत की पढ़ाई कर रहे हैं |
शुभम गुप्ता की उम्र 28 वर्ष थी | ये आगरा के ताजमहल के पास प्रतिक एंक्लेव में रहते थे |
भारत ने न जाने अपने कितने बेटो की कुर्बानियां दी जो देश की रक्षा के लिए शहीद हुए | माँ - पिता और ऐसे परिवार को पूरा भारत आज नमन और सैल्यूट करता है |
देशभक्ति का नशा एक ऐसा नशा है जो एक बार चढ़ जाए तो फिर वह उतारते नहीं उतरता | इसी नशे में डूबने में के लिए हीं तो बच्चे फ़ौज में भर्ती होते है | लोग कहते है - नशा शराब में होता है मगर यह सच नहीं | नशा तो इस कर्ज में होता जिस फर्ज को चुकाने में बच्चे अपने देश के लिए शहीद होते हैं और आनेवाली पढ़ी को यह सन्देश देते हैं - अपने देश की रक्षा ऐसे हीं करना जैसे मैंने किया है | यह सन्देश पुरे देश को ऐसी गर्माहट देती है जो कभी समाप्त नहीं होती |ऐसे नशे में लोग शहीद होते है और जो जिन्दा हैं वो कबूल करते है |
नशा हीं करना हो तो ऐसा करे जिससे परिवार हीं नहीं देश भी गौरवान्वित महसूस करें और स्वयं एक इतिहास बन जाए | .......... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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