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द कश्मीर फाइल्स के समर्थन में उतर पड़े हैं मुस्लिम वर्ग के लोग भी जिसमे कश्मीरी लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता "जावेद बेग" ने कश्मीर में हुए अत्याचार की आँखों देखी बाते बयाँ करते हुए ट्विट द्वारा सच और सबूत पेश किया और लोगो के दुखते दिलो पर मलहम का लेप चढ़ाते हुए उनके दुःख को हरने का काम किया |
एक राइटर सच लिखता है , वो मजहब नहीं देखता और न नियम कानून | उनके साथ , उनके पास बस एक हीं पॉवर और हथियार होता है "कलम" जिससे वह सच बोल देने की ताकत , सच लिख देने की ताकत और कबुल कर लेने की ताकत रखते है |
जावेद बेग ने कहा कि - हिन्दुओं के साथ जिस तरह की निर्दयता , बर्बता किया गया उसके लिए मै हाथ जोड़कर पंडित बिरादरी से उस अत्याचार के लिए माफ़ी मांगता हूँ | हकीकत को कभी झुठलाया नहीं जा सकता | उनके पूर्वजो ने जो गलती की है , आज की युवा पीढ़ी को उस गलती को स्वीकारना चाहिए |
इन दिनों कश्मीर की सहायिका रही गिरजा टिकू का नाम भी लोगो के दिलो में उनकी दर्द की दास्ताँ दस्तक देती हुई एकबार फिर उकसा रही है | कितना दर्द झेला होगा गिरजा टिकू ने , उस वक्त जब 11 जून 1990 को वह अपना वेतन लेने स्कूल गई थी | वेतन लेकर अपने गाँव की एक मुस्लिम सहकर्मी के घर उससे मिलने गई | आतंकी उसपर नजरे गराए बैठे थे , गाँव वालो के सामने हीं उनका अपरहण हुआ मगर विरोध करने की हिम्मत किसी में नहीं आई | उनके साथ सामूहिक जघन्य अपराध होता रहा , उन्हें कई यातनाये दी गई और फिर बिजली से चलने वाली आरे पर रखकर बीच से काट दिया |
इनकी खून से रंग गया कश्मीर | यह बात गिरजा टिकू की भतीजी ने मीडिया को बताई जिससे रूह कांपने वाली सच्ची घटना एकबार फिर उजागर हुआ | उन्होंने कहा कि - पिछले 32 साल से परिवार में गिरजा दीदी का नाम नहीं लिया गया | फिल्म "द कश्मीर फाइल्स" देखने के बाद पहली बार हमलोगों ने उस विषय पर बाते की और रोते रहे |
गिरजा टिकू अपने 26 वर्षीय पति , 60 साल की बूढी माँ , 4 साल का बेटा और 2 साल की बेटी को छोड़ गई |
जम्मू कश्मीर में आतंकियों का साफ़ सन्देश था - यहाँ रहने वाले को केवल निजाम ए मुस्तफा को मानना होगा और गिरजा टिकू जैसे सामान्य अध्यापिका को भी वे इसके लिए खतरा मानते थे | कश्मीर में जिस तरह के दंगे हुए उसी का आज भी भयावह रूप देखा जा रहा है | लाखो कश्मीरी यहाँ से पलायन हुए जहाँ आज सिर्फ मुठ्ठीभर लोग दिखाई पड़ते है |
लोग उस वक्त भी चुप थे जिस वक्त यह हादसा हुआ | आज भी कश्मीर में मुसलमानों के लिए आतंकियों द्वारा समस्या बनता जा रहा है |
जावेद बेग ने गिरजा टिकू की तस्वीर शेयर करते हुए कश्मीरी पंडित से माफ़ी मांगी है | उन्होंने लिखा है - हमारी पंडित बहन को आतंकियों ने जिन्दा काट डाला था जिसका दर्द मै बयाँ नहीं कर सकता |
द कश्मीर फाइल्स अभी ट्रेंडिंग में है | सिनेमाघर के अन्दर दर्शको की आँखों में दर्द का सैलाब उमरते हुए देखा गया , वहीं यह तड़प बाहर निकलने के बाद भी थमा नहीं |
कई नेता व अभिनेत्री / अभिनेतागण इस फिल्म को देखने सिनेमाघर पहुंचे और फिल्म की तारीफ़ की |
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि - ऐसी फिल्मे बनाई जानी चाहिए जो समाज की स्थिति को दर्शाने वाली हो | फिल्म की तारीफ़ करते हुए उन्होंने इस फिल्म की टीम से मुलाक़ात भी की थी और बधाई दी | मंगलवार को बीजेपी संसदीय दल की बैठक में भी वे इस फिल्म की चर्चा कर बैठे - जो दिखाया गया है वह एक सच का सबूत है |जिसको यह लगता है कि यह फिल्म ठीक नहीं है वह अपनी दूसरी फिल्म बनाए | इस फिल्म के जरिये उस सच को सामने लाया गया जिसे इतने दिनों तक दबाकर रखा गया था |
जावेद बेग ने कहा है कि - आज की युवा पीढ़ी को अपनी पूर्वजो की गलतियों को स्वीकार कर लेना चाहिए | 21 मार्च 1997 में दर्जनों कश्मीरी पंडितो को मारा गया था जिसे मैंने आँखों से देखा है | ऐसे बर्बर हत्याकांड जिससे रूह काँप जाए को देखा है जहाँ निहत्थे लोगो के साथ जुर्म किये गए | वो गैर नहीं थे ये हमारा हीं खून है , हमारी हीं नस्ल है इसे स्वीकारना चाहिए | इसके लिए कोई फिल्म की जरुरत नहीं है , इसके लिए बस जमीर की जरुरत है | ........ ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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