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हिन्दू भारतीय संस्कृति में आरंभिक दौर से हीं गाय की महत्ता बहुत ज्यादा रही है | वहीं गाय के गोबर का भी लोग वातावरण के शुद्धिकरण के लिए या अपने घर - आँगन को चमकाने के लिए इस्तेमाल में लाते रहे हैं | यहाँ तक की इस गोबर से लोग इसकी चिपरी या गोइठा बनाकर धुप में सुखाने के बाद , इसे चूल्हे में जलाकर खाना पकाने का भी काम करते रहे है , तो वहीं पूजा स्थल पर भी इसे जलाकर हवन करते हैं |
( फोटो :- जागरण के सौजन्य से )
हर शुभ कार्य करने से पूर्व , हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार भगवान सत्यनारायण की पूजा या किसी अन्य पूजन पर , जब गौरी - गणेश का आवाहन किया जाता है , तो गोबर से हीं गौरी - गणेश की प्रतिमा या प्रतीक बनाई जाती है और मान्यता के अनुसार सर्वप्रथम इनकी हीं पूजन होती है |
गाय का गोबर खेतों के मिट्टी को उपजाऊ बनाने में काफी महत्वपूर्ण व अहम् कहा जा सकता है | परन्तु बड़े हीं दुःख की बात है कि - हमारी संस्कृति और सच्चाई से लोग दूर भागते नजर आते हैं , तो वहीं कहीं न कहीं भटकाव मन में उत्पन्न होती है | जहाँ दो कदम आगे बढ़ने की बात हो , वहीं दो कदम पीछे भी मनुष्य कहीं न कहीं ठहर जाता है | इसका स्पष्ट और सत्य कारण बस इतना है कि - हम अहम् मुद्दे पर नहीं रुक पाते और जैसे कि चाँद पर घर बनाने की सोंच रखते है , पर अपनी धरती , पर्यावरण की रक्षा नहीं कर पाते | अक्सर बातें बड़ी - बड़ी होती है - पेड़ लगाए जाने चाहिए , प्लास्टिक को दूर हटाओ कार्यक्रम , नदी - समुन्द्र की शुद्धता , मगर सब फ़ाइल में कैद हो कर ठहर सा गया है और कहीं कहीं धीमीगति से चल रही है | पेड़ कट रहे हैं , जिंदगी में प्लास्टिक का दौर बढ़ता हीं जा रहा है , समुन्द्र पट रहे हैं और हम 5G की तरफ बढ़ रहे हैं |
सरकार द्वारा बहुत से ऐसे कार्यक्रम है , जिसे चलाकर हमारे भारतवर्ष के लोग महानता हासिल कर सकते है , जिससे गरीबी दूर होते देर न लगेगी | परन्तु आज भी देश की 80 करोड़ आबादी सुख के दिन आने की बाट जोह रही है और सारी योजना धीमी गति के रूप में बंध गई है | इसलिए की हर दिन नई योजना , चमकते सितारों की तरह अपना आगमन दे रही है |
जहाँ गाय के गोबर से जमीन को शक्तिशाली बनाने पर ग्रामीण अपनी सोंच / समझ को दौड़ा रहे थे और उस गोबर से बर्मिंग कम्पोस्ट बना रहे थे | वहीं अब गोबर से पेंट बनाने की शुरुआत की जा चूकि है और गोबर को खरीदने के लिए हाथ बढ़ रहे हैं | 6 माह पूर्व लॉन्च की गई प्राकृतिक पेंट की मांग लगातार बढ़ रही है | लोग अपने घर को इस पेंट से कलर कर संतुष्ट दिख रहे है | खादीग्राम उधोग इस पेंट को बड़े पैमाने पर बेचने का मन बना रही है और इसकी शुरुआत भी करके उन्होंने देखा है कि - 12 दिनों के अन्दर साढ़े तीन हजार लीटर गोबर से बने पेंट की बिक्री हो चुकी है | यह बिक्री सिर्फ दिल्ली व जयपुर के स्टोर से आरम्भ किया गया , जो नतीजा काफी अच्छा निकला | इस नतीजे को देखते हुए इसे ऑनलाइन बिक्री हेतु आरम्भ कर दी गई | अब देश में लोग प्राकृतिक पेंट बनाकर , ऑनलाइन खरीद व बेच सकते हैं |
इस पेंट को केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने स्वयं अपनी आवास के दीवारों पर करवाया है | खादीग्राम उद्योग के दीवारों पर भी इस पेंट को करवाया जा रहा है | हलाकि इस कार्य को किसी ने गौशाला से शुरू किया था |
12 जनवरी को MSME विभाग के मंत्री नितिन गडकरी ने इसे लॉन्च किया था | अब खादीग्राम उद्योग आयोग की ओर से मीडिया को बताया गया है कि - केवीआईसी की तरफ से 6 राज्यों का चुनाव किया गया है | जहाँ राज्य के प्रमुख व बड़े शहरों में एक - एक यूनिट लगाकर गाय की गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाया जाएगा | वहीं आवश्यक बातें यह है कि - शहर के तमाम लोगों से गाय का गोबर ख़रीदा जाएगा | जिससे आम लोग के आमदनी में बढ़ोतरी होगी |
बहुत कीमती होने वाला है गाय का गोबर | सड़कों पर अगर गोबर पड़ा मिले तो लोग अब उठाकर चल देंगे | क्यूंकि इसे बेचने से पैसे मिलेंगे | गौशाला व आम लोगों से गोबर प्रति किलो 5 रुपये निर्धारित की गई है | पहले लोग गोबर का चिपड़ी बनाकर बेचते थे , अब गोबर पैसों के लिए बेचेंगे | केवीआईसी के अधिकारीयों का कहना है कि - 5 रुपये प्रति किलो गोबर बेचकर लोगों को काफी मुनाफा हो सकता है | यह भी आंकड़ा लगाया गया है कि - एक स्वस्थ गाय दिन में 20-25 किलो तक गोबर देती है | तो ऐसे में एक गाय से 100-125 रुपये तक आमदनी प्रतिदिन आसानी से की जा सकती है | तो प्रतिमाह 3 से 4 हजार रूपया एक गाय से गोबर बेचकर पाया जा सकता है |
इस पेंट को आरम्भ हुए अभी 6 माह हीं बीते है कि इसकी मांग बढ़ती जा रही है | लोग अपने घर को इसी पेंट से रंगवाना पसंद कर रहे हैं | इसलिए अब खादीग्राम उद्योग आयोग प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए मैनुफैक्चरिंग यूनिट लगाने की तैयारी में जुट गई है | बहुत जल्द गाय का गोबर , दीवारों का शोभा बढ़ाने के लिए बृहत् तौर पर मार्केट में आने वाला है |
अब सवाल यह है कि - किसान इसके लिए आसानी से मान जायेंगे या नहीं ! तो एक सर्वेक्षण के आधार पर आपको बता दे - शहर के लोग , जिन्होंने गौशाला खोल रखा है , वे तो तैयार है | परन्तु ग्रामीण लोगों ने कहा कि - सरकार द्वारा दी गई गाय के गोबर से बर्मिंग कम्पोस्ट बनाने का कार्य हम सभी कर रहे हैं | गोबर को ऐसे भी मिट्टी में डालकर हम अपनी जमीन को शक्तिशाली बनाने का कार्य करते है | जमीन शक्तिशाली बनायेंगे तो पेट भरेगा | क्यूंकि बाजार में बिकने वाला खाद उतना उपजाऊ नहीं होता और उससे मिट्टी की शक्ति भी छिन्न होती है | जिससे आदमी के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता जा रहा है | कहते है - जैसा खाइए अन्न , वैसा रहेगा मन |
ऐसे में गौशाला और ग्रामीणों पर निर्भर करता है कि वे क्या करेंगे ? बर्मिंग कम्पोस्ट बनाकर वे अपनी धरती को उपजाऊ बनाना पसंद करेंगे या फिर प्राकृतिक पेंट से दीवारों की सुन्दरता बढ़ाने में अपना योगदान देंगे | पैसा दोनों तरफ है - खाद बनाने में भी , पेंट बनाने में भी | निर्भर करता है कि हमारे देश के लिए दोनों में महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट कौन सा है , सुन्दरता या स्वास्थ्य ?
सरकार की पहल थी कि - अपने हाथ से बर्मिंग कम्पोस्ट बनाकर अन्न उपजाने वाली मिट्टी को शक्तिशाली बनाया जाए , जिसके लिए सरकार फंड भी देती है और सब्सिडी भी और यह कार्य बहुत हीं सराहनीय था और है | वर्तमान में पेंट की बातें आ रही है , तो अब सोंचना होगा कि - इस भागमभाग की दौर में पहले सुन्दरता या फिर पहले स्वास्थ्य | ........ ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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