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नागपुर के गांधीबाग इलाके के 4 पुलिसकर्मियों को 3 महीने के लिए सस्पेंड कर दिया गया | "मीठी छुड़ी से हुआ हलाल" गाना पर डांस करते हुए विडियो वायरल हुआ तभी प्रमंडल 3 के प्रभारी डीसीपी राहुल मदने ने इनपर करवाई कर दी |
वर्दी पहनकर मस्तीभरे गीत पर डांस करना पड़ा भारी | इस विडियो में आप देख सकते हैं फिल्म "डॉन" के इस गीत पर "खाइके पान बनारस वाला खुल जाए बंद अकल का ताला" एएसआई संजय पाटनकर , हेड कांस्टेबल अब्दुल कटयुम गनी , भाग्यश्री और कांस्टेबल निर्मला गवली ये सभी खूब मजे लेकर डांस कर रहे हैं | वर्दी पहने पास में खड़े पुलिसवाले भी इस डांस को देखकर खूब आनंदित हो रहे हैं |
यह नजारा 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम के बाद नागपुर के तहसील पुलिस स्टेशन परिसर का है जिसमे ध्वजारोहण के बाद थाने में उपलब्ध साउंड बॉक्स में बजाये गए गाने पर इन चारो ने डांस किया | गाने पर कुछ के पाँव थिरकने लगे , कुछ ने मजे लेकर डांस देखा मगर करवाई सिर्फ 4 पर हुई |
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मैंने सुना है शायद आपने भी सुना होगा - जुर्म करनेवाले और करवानेवाले दोनों बराबर सजा के अधिकारी होते हैं | देखनेवाले को भी नियम के अनुसार डांस पर अंकुश लगाना चाहिए था | अंकुश नहीं लगाया इसका मतलब परिसर में उपस्थित जो डांस देख रहे थे , वे सभी वर्दी वाले सजा के जिम्मेदार है और नहीं तो शायद कोई नहीं |
भारत की मिट्टी की खुशबू की चर्चा तो विश्वगुरु के नाम से मशहूर हुआ जिससे हम बागबाग हुए | इसका पहला श्रेय हम भारत के वीर जवानो को देते हैं जिनके बल पर हम सोते हैं और वो जागते हैं , उन्हें सलाम | बात वर्दी की हो , वर्दी की ताकत की हो और वर्दी के सम्मान की तो कोई कम्परमाइज नहीं होनी चाहिए | वहीं फिल्मो में देखा जाता है कि लोग वर्दी पहनकर खूब एन्जॉय करते हैं , गीत गाकर , अन्य तरीका अपनाकर या महिला साथियों के साथ रोमांस करके जो लोगो को प्रभावित भी करता है , इनसभी पर रोक लगनी चाहिए |
इन चारो से चुक यहाँ हुआ जो मैंने महसूस किया -
अगर ये देशभक्ति गीत पर डांस करते तो बात इतनी आगे नहीं बढ़ती मगर दिल है कि मानता नहीं | म्यूजिक कहीं भी बजता हो तो सहृदय दिलवाले लोगो का पाँव थिरकना स्वाभाविक है | माहौल था 15 अगस्त का , यह दिन और अवसर हमें आनंदित करता है तो एक क्षमा तो बनना चाहिए इनके लिए | इस अवसर पर जहाँ कई कार्यक्रम स्थापित किये जाते हैं , इन्होने तो अपने परिसर में सिर्फ एन्जॉय किया | यह परिसर पुलिसवालो के लिए इनका धरोहर है |
ये सच है कि वर्दी में इस तरह का नजारा और वह भी ड्यूटी पर मौजूद रहकर करना ठीक नहीं था मगर वर्दी के अन्दर जो दिल है वह तो एक मनुष्य का है जिसने आजादी का जश्न मनाया , मिठाइयाँ बांटी और फिर आरम्भ हुआ नाच गाने का सिलसिला जिसमे महिला दरोगा संग नाचने लगे एएसआई साहब और किसी ने मोबाइल से विडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया | फिर क्या था , यह आनंद देनेवाला विडियो तेजी से वायरल हुआ | किसी ने मजे लिए तो किसी ने आपत्ति जताई और जैसे हीं अपर अधिकारीयों की नजर विडियो पर पड़ी इन्होने मीठी छुड़ी से हलाल करते हुए इन्हें सस्पेंड कर दिया |
लोगो ने कहा कि पुलिसकर्मियों को भी एन्जॉय करने का हक़ है मगर वहीं आदेश में स्पष्ट किया गया है कि पुलिस एक अनुशासनप्रिय बल है और शासकीय गणवेश पहनने के बाद उनकी छवि को जनसामान्य में आदर और सामान्य के योग्य बनाये रखना आवश्यक है | इस सन्दर्भ में पहले भी उच्याधिकारियों द्वारा सूचनाएं दी जा चुकी है जिसके बावजूद पुलिसकर्मियों ने फ़िल्मी गाने पर नृत्य किया इससे इनकी छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है |
यह निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि पुलिस बल के अनुशासन और पेशेवर छवि को बनाये रखा जा सके |
अब चलते चलते बस इतना कहना जरुरी होगा कि एक बार और सही इनकी इस भूल को नजरअंदाज कर कार्य पर बुला लेना बहुतों की चाहत है | इनका समय हमारे लिए , देश के लिए बहुत मायने रखता है | घर पर वर्दी के बिना रहना इनके मानसिकता पर गहरा प्रभाव छोड़ेगा , यह देखना हमारे लिए निहायत जरुरी है | .........( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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