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"देश की सम्पति पर पहला अधिकार मुसलमानों का"
राजस्थान के बांसवारा में मंगलसूत्र को माध्यम बनाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए भाषण सबको चकित कर गया | उन्होंने कहा - कांग्रेस वोट बैंक पोलिटिक्स के दलदल में इतना धंसी हुई है कि उसे बाबा साहब के संविधान की भी परवाह नहीं और आपको पता होगा मैनिफेस्टो में लिखा है - आपकी सम्पति का सर्वे करेंगे | हमारी माताओं व बहनों के पास जो स्त्री धन होता है / मंगलसूत्र होता है उसका सर्वे करेंगे |
उन्होंने आगे कहा - उनके एक नेता ने कहा एक्सरे किया जाएगा | मतलब आपके घर में अगर बाजरे के अन्दर डब्बे में भी कुछ रखा है तो वो भी एक्सरे करके खोजा जाएगा , दीवार में कहीं रखा है तो एक्सरे किया जाएगा | अगर आपके पास 2 घर है , अगर गाँव में घर है और बच्चे के लिए आपने जयपुर और जोधपुर में छोटा फ्लैट ले लिया है तो एक्सरे करेंगे | दो घर है एक वापिस सरकार को दे दो तो क्या आपको मंजूर है !
स्त्री धन पर हाथ लगा सकते है , क्या उनके मंगलसूत्र पर हाथ लगा सकते है , क्या पंजे की ये ताकत ?
राजस्थान में भाषण देने के दौरान कहा - भाइयों एवं बहनों राजस्थान में ऐसा एक भी पंजा बचना नहीं चाहिए |
जीत किसकी होगी , यह तो अलग बात है मगर जीत के लिए झूठ का सहारा लेना अलग बात है | कांग्रेस ने अपनी मेनिफेस्टो में कहीं भी नहीं लिखा है कि आपकी सम्पति का सर्वे होगा | आपके पास दो फ्लैट है तो उसे बाँट दिया जाएगा , अगर ऐसा है तो देश के सामने आना चाहिए |
हाँ कांग्रेस ने ये लिखा है कि मोदी राज में 1% लोग हीं अमीर हुए हैं | ऐसी नीति बनाई जायेगी जिससे बाकी लोगो की आर्थिक स्थिति मजबूत हो | राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की बातो पर गौर करेंगे तो सभी कुछ स्पष्ट होगा मगर इसके लिए ताली के साथ ताली बजाकर "पप्पू" शब्दों को दूर फेंकना होगा | ये वहीं पप्पू है जिनके पिता ने भारत में कंप्यूटर को पहुंचाया और सोनिया गांधी ने अपनी मंगलसूत्र को इस देश पर शहीद होते देखा | इतनी पीड़ा लेकर चलनेवाले इस ग्रुप को आप क्या नाम देंगे ! आजादी के 75 साल बिताने के बाद आज बड़ी - बड़ी बाते सुनने को मिल रही है | लगभग 55 साल कांग्रेस का राज रहा , तब इतनी महंगाई देखने को नहीं मिली जिसे आज लोग महसूस कर रहे हैं मगर कहने से डरते है |
2047 की कल्पना या हकीकत , तब जिसमे वर्षो इंतज़ार है , क्या आज के लोग अपना पेट भर सकेंगे ? मेरे ख्याल से बच्चे युवा हो जायेंगे और युवा वृद्धा अवस्था की ओर अग्रसर | यानी कि चाँद पर घर बनाने के और रहने के सपनों में कई सपने अपनी विदाई ले लेंगे और कई जम्हाई | तो फिर 2047 की बाते क्यूँ ? 1947 में देश को आजादी मिली मगर यहाँ गति की बारी थी | 2047 की जब बारी आएगी तो यह एक इंतज़ार है और इंतजार अपनी जवानी खो देता है तो जो आज हमें पाना है उसके लिए हम आज की बात करेंगे न की कल की , कल की तो कल सोंचेंगे !
10 साल गुजर गए , 15 लाख तो अभी तक आये नहीं खाते में फिर 2047 की बातो में कैसा असर ! माना चाँद पर सुरक्षित हुआ घर बनाना मगर ये बाते भी कांग्रेस के ज़माने से चली आ रही है | बात फिर वहीं की वहीं - खीर सबने बनाए चीनी आपने डाली तो पूरा पतीला आपका हुआ क्यूंकि राज आपका है | पहले धरती पर बसे इंसान की बात करे , बेरोजगारी कैसे दूर हो ? किसानो की मेहनत और पीड़ा पर मलहम कैसे लगाईं जाए ? महिलाओं के मंगलसूत्र पर चमक कैसे बरकरार रहेगी , पहले सोंचना यह होगा |
कोटा के मनोज दूबे जी का एक पत्र जो प्रधानमंत्री जी के नाम लिखा गया , जनहित में जारी यह पत्र प्रधानमंत्री जी के झूठ की पकड़ पर प्रस्तुत है | क्या आप एक भाषण बिना इस तरह के झूठ के नहीं दे सकते ? हमने तो बचपन से तमाम दलो की सरकारों में कभी नहीं देखा कि हानुमान चालीसा पढ़ने से रोका जा रहा है | महावीर मंदिरों में सुबह शाम मधुर आरती होती है | जगह जगह पर असंख्य हनुमान मंदिर बने है और लोग चालीसा पाठ करते रहते है | तमाम हाउसिंग सोसाइटी पर गौर करे तो वहां मंदिर है और बनते रहे हैं , बनते रहेंगे | आपके प्रधानमंत्री बनने के बाद ऐसा नहीं हुआ है , बात अयोध्या मंदिर की क्यूँ न हो ! आप इस तरह का झूठ कहाँ से लाते है कि कांग्रेस के राज में हनुमान चालीसा पढ़ने नहीं दिया जाता था | कभी तो जनता के बीच सच बोल दीजिये , आप हनुमान जी के नाम पर भी झूठ बोल सकते है , ऐसा सोंचा नहीं था |
आज भी और आगे भी आपकी सभा होगी , कम से कम एक सभा में आप एलान कर दीजिये कि मै किसी धर्म का नाम नहीं लूँगा , पूजा / पाठ / मंदिर / भगवान का नाम नहीं लूँगा , केवल अपने काम पर बोलूंगा |
जब झूठ का पिटारा बढ़ रहा है तो फिर चुनाव आयोग चुप क्यूँ है ? कांग्रेस के मेनिफेस्टो में तो कहीं ऐसा नहीं लिखा गया जिसे प्रधानमंत्री जी ने जनता के बीच अपनी जुबानी बोल दी | यह अलग बात है कि शायद ज्यादातर लोग आपके शब्दों पर गौर न करके तालियाँ बजाने में मशगुल होकर उस वक्त आपकी भाषण पर ध्यान नहीं देते मगर बाद में जब आपके शब्दों पर गौर करते है तो उन्हें एहसास होता है कि - देश के प्रधानमंत्री को क्या ऐसा बोलना चाहिए ? शेष फिर ............ ! ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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