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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ( JNU ) की पहली महिला कुलपति बनी डॉ० शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित | महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने यह आदेश जारी करते हुए इन्हें यह गरिमामय पदभार सौंपने पर मोहर लगाया |
प्रोफ़ेसर डॉ० शांतिश्री "सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय" पुणे में प्रोफ़ेसर के पद पर आसीन थी | 6 भाषओं से परिपूर्ण शांतिश्री को आज निवर्तमान वीसी - एम जगदीश कुमार इन्हें पदभार सौंपने की बात कही |
यह एक इक्तफाक है कि डॉ शांतिश्री इसी विश्वविद्यालय की छात्रा रही है | छात्रा से सफ़र आरम्भ कर इसी विश्वविद्यालय में कुलपति की कुर्सी पर विराजमान होने का सफ़र तय कर इस विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली छात्राओं व अन्य छात्राओं के लिए प्रेरणा बन महिलाओं कद ऊँचा किया |
ऐसा पहली बार हुआ है जब इस प्रतिष्ठित व मशहूर विश्वविद्यालय में कुलपति की चेयर पर बैठने का अधिकार एक महिला को दिया गया |इनकी अंतर्राष्ट्रीय विषयों पर बेहतरीन पकड़ है | कई रिसर्च में अपना योगदान देते हुए कई संस्थानों में फेलोशिप दर्ज कराई | JNU से अंतर्राष्ट्रीय संबंधो में भारतीय संसद एवं विदेश निति पर PHD की उपाधि प्राप्त की है | साथ हीं कैलीफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी से सोशल वर्क में डिप्लोमा भी किया |
7 दिसंबर से हीं यह पद खाली था | अब इस पद की शोभा बढ़ाने बैठ चुकी है डॉ शांतिश्री जो 5 वर्षो तक इस पद की गरिमा बनाये रखने में अपना योगदान देते हुए अपने कद और विश्वविद्यालय का नाम रौशन करेंगी |
सूचना के आधार पर इनका जन्म रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में हुआ | इनके पिताश्री सर्विस में थे और माताश्री भी प्रोफ़ेसर थी | इन्होने 29 PHD शोधकर्ताओं का मार्गदर्शन किया है और इन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चूका है |
पढ़ाई में ध्यान , सच्ची मेहनत और लगन का
असर है कि अपने जीवन को इन्होने इन्द्रधनुषी रंगों से सजाकर पूरी दुनिया
में नूर भर दिया |यह एक प्रेरणा है जिसे आनेवाली पीढ़ी को अपनी जिंदगी में
उतारना जरुरी होगा | बहुत दूर नहीं है मंजिल किसी की , गर चाहत हो मन में
तो दौड़कर पाया जा सकता है अपनी सपनों की मंजिल | ......... ( न्यूज़ / फीचर
:- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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