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सर्वप्रथम आप सभी को कृष्णाष्टमी की ढेर सारी शुभकामनायें |
आज भादों महीने का पहला सोमवार है जब बहन अपने भाई के नाम हथेली पर मेहंदी रचाती है | आपने सुना होगा मेहंदी जिसे हम हिना भी कहते है , वह पीस जाने के बाद हथेली पर जितना गहरा रंग छोड़ती है , माना जाता है भाई - बहन , पति - पत्नी में उतना हीं गहरा प्यार पनपता है | सावन में महिलायें साईं के नाम और भादो में अपने भाई के नाम मेहंदी लगाती है तो आज की मेहंदी समर्पित है श्रीकृष्णा के नाम |
आज एक बहुत हीं सुन्दर अनंतरंग खुशनुमा पावन दिन है जब देश में श्री कृष्णा का जन्मदिवस बड़े हीं धूमधाम से मनाया जा रहा है | भादो में पहले सोमवार पर जन्मदिन की तारीख का आ जाना चार चाँद जड़ गया हो मानो जीवन में |आज महिलाओं की मांगे , उम्मीदें उतनी हीं शक्ति से भरपूर होगी जितना कि हथेली पर हिना का रंग |
आज हम बायोग्राफी का एक अद्दभुत सीरिज लेकर आये हैं और इस सीरिज का आरम्भ कर रहे हैं श्री कृष्णा की जीवन गाथा से जो आप सभी को पता है | आप सभी ने कभी न कभी फिल्म में , सीरियल में , गीतों में , मंदिर के दीवारों पर , किताबो और ग्रंथो आदि में पढ़ा , जाना , समझा और माना है मगर चाहत फिर भी अधूरी सी रही क्यूंकि इनकी गाथा दिन व दिन इंसान के अन्दर इतना मिठास घोलता है कि प्यास बढ़ता हीं चला जाता है | क्या करे कोई श्री कृष्णा की जीवन गाथा अद्दभुत , प्रकाशवान , अनमोल , अनंतरंगी सागर जितनी गहराई से भरा है जिसका वर्णन कभी भी नहीं किया जा सकता शब्दों में | हमारा भाव भी हमें उतनी उंचाई नहीं दे पाएगी जितनी पहुँच उनके कदमो की धुल की है मगर हम उनके उस पाँव की धुल तक पहुँचने की कोशिश करेंगे , मिलकर करेंगे |
आप भी चाहेंगे हिस्सा लेना तो आमंत्रित है | आप भी अपने शब्दों को लेकर हमारे साथ किसी भी विषय पर इसी मंच पर जहाँ लोग आपके व्यक्तित्व की कृति को आपके शब्दों में आकेंगे , स्वागत है |
अभी हम थे श्री कृष्णा के व्यक्तित्व की गाथा का वह रूप जो हमें रोमांचित करती है और स्वयं से बांधे रखने पर मजबूर और ऐसी मज़बूरी तो हर कोई चाहेगा जहाँ स्वयं वासुदेव अपना अवतार श्री कृष्णा के रूप में इस धरती पर कदम रखकर हमें पावन किया , उनके चरणों पर हम बार बार नमन करते हुए अपनी सीरिज आगे बढ़ाने की कृपा मांगेगे |
समुन्द्र के सामने हमारे शब्द और मंथन की शैली एक कण के बराबर भी नहीं मगर हमने सोंचा तो सही अपनी लेखन से उनके व्यक्तित्व में थोड़ा रंग भरने की | उम्मीद है हमारे पाठकगण स्वयं को रंगीन महसूस करेंगे | वाल्मीकि एक डाकू थे और तुलसी दास रामबोला , दोनों सामान्य व्यक्ति | तुलसी दास अपनी पत्नी के शब्दों से त्रस्त होने के बाद राम नाम का जाप शुरू कर दिया और रामबोला से महाकवि तुलसीदास तक अपनी पहुँच बनाकर रामायण ग्रन्थ लिख डाला और महान रचईता बन गए तो फिर ................ ! शेष जल्द अपडेट हो रहा है
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