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किसको मालुम था तूफां आयेगी और छूट जाएगा रास्ते में अपनो का साथ | जिंदगी विरान होगी रेगिस्तान बनकर , तपती रेत पर जीना पड़ेगा उन यादो के सहारे घुट घुटकर जो सेल्फी आँखों में बस चूका है |
मज़बूरी ऐसी कि जिन्दा है हम आह ! को समेटे हुए | यह कहानी है दीपक भंडारी की जो न्यू जलपाईगुड़ी के रहने वाले हैं | 11 अक्टूबर बुधवार की रात का वह समय जो जिंदगी को उजाड़ दिया जिसकी कल्पना भी कोई भला कैसा कर सकता है |
दिल्ली के आनंदविहार से सफ़र की शुरुआत हुई | परिवार ने मिलकर सेल्फी लिया जो अब यादें बन गई है | एक ऐसी यादें जिसे हम जितना भी भुलाना चाहें वो उतना हीं याद आएगी | यह एक सच है कोई कहानी / कल्पना नहीं |
बक्सर ट्रेन हादसे में अपनी पत्नी और एक बेटी की जुदाई का गम वो भुला नहीं पा रहे हैं | दीपक भंडारी की जिंदगी सेल्फी बनकर रह गई है | जुदा हुए पति अपनी पत्नी से और एक बेटी का लाड भी खो गया | काश ! वक़्त वफ़ा करता मगर शायद इसे हीं कहते है वक़्त के हारे हार है और वक़्त के जीते जीत और भंडारी हार गए |
दीपक भंडारी अपनी माँ के साथ दीपावली मनाने के लिए दिल्ली के आनंदविहार टर्मिनल से चले थे | टर्मिनल पर एक प्यारा सा सेल्फी लिया और सफ़र की शुरुआत की | पति - पत्नी जुड़वा बच्चे साथ थे | AC थर्ड कोच में ये सभी बैठे थे | रात के लगभग 9 बजकर 35 मिनट पर बिहार के रघुनाथपुर स्टेशन के पास ट्रेन हादसा हुआ | खिड़की का कांच टूटा जिससे माँ बेटी खिड़की से ट्रेन के बाहर गिर गई और दोनों ट्रेन के मलबे के नीचे दब गई जिससे पत्नी और एक बेटी आकृति की मौत हो गई |
दीपक भंडारी अपनी पत्नी को खाने के लिए उठाया था तभी ट्रेन पटरी से पलटी | दीपक भंडारी ने ट्रेन हादसा तो देखा मगर जब वे घायल होकर बेहोश हुए , उसके बाद क्या हुआ उन्हें कोई खबर नहीं | जब पलकें खुली तो उन्होंने स्वयं को अस्पताल में पाया | घटना याद आई मगर उन्हें मालुम नहीं था कि सूचना भयावह व दिल दहला देने वाला होगा | आँखों के सामने पत्नी और बेटी का शव देखा तो पैरो तले जमीन खिसक गई थी | खुशियों से भरी जिंदगी जैसे टुकड़ों में बिखर गई हो |
दीपक और अदिति अभी खतरे से बाहर है | उनका इलाज अभी रघुनाथपुर के सामुदायिक स्वास्थ केंद्र में चल रहा है | जिन्दा बची बेटी अदिति अपने पिता से बार बार पूछती है - दीदी और मम्मी कहाँ है ? उन्हें क्या हो गया ? आदि | उस छोटी सी बच्ची को क्या मालूम मौत की नींद सोया इंसान कभी जागता नहीं न कभी वापस आते है | मम्मी अब कभी नहीं मिलेगी न बहन की वापसी होगी मगर नन्हीं नजरें व मन ढूंढता है वही प्यार / दुलार जो वापस नहीं आएगा |
अदिति आखिरी सेल्फी को देखकर अपने मोबाइल को चूम रही थी | वहां मौजूद हर किसी के आँखों से आंसू छलक गया | ये दोनों बहन जुड़वा थी जिसकी उम्र 8 साल है | इनकी पत्नी का नाम उषा भंडारी जो 33 वर्ष की थी और इनकी उम्र 39 साल है |
दीपक भंडारी ने बताया कि वे दिल्ली बार में नौकरी करते है | छुट्टी मनाने अपने गाँव न्यू जलपाईगुड़ी जा रहे थे , रोजमर्रा की थकान से दूर मगर समय जिंदगी भर का जख्म व थकान दे गया |
दिल्ली से गुवाहाटी जा रही नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस 12506 बुधवार 11 अक्टूबर की रात हादसे का शिकार हो गई जिसमे कई बोगियां पटरी से उतरकर पलट गई | इस हादसे में 4 यात्रियों की मौत हुई और 100 से ज्यादा घायल हुए | 20 की हालत गंभीर है जिन्हें पटना एम्स रेफर किया गया है , मौत का आंकड़ा बढ़ने की संभावना है |
120 KM प्रति घंटा के रफ़्तार से पटरी पर दौर रही थी ट्रेन | लोको पायलट ने अचानक ब्रेक लगा दिया जिसके कारण बोगी पटरी से पलटकर खेत में जा गिरी | गाड़ी के गार्ड विजय कुमार ने हादसे का आँखों देखा हाल बताया - वे कुछ लिख रहे थे तभी लोको पायलट ने ब्रेक लगाया | धीरे - धीरे झटके लगे और उसके बाद बड़ा झटका लगा जिसके बाद वे बेहोश हो गए | 5 मिनट के बाद उन्हें होश आया तबतक भीड़ लग चुकी थी | घटना बेहद दर्दनाक था क्यूंकि हादसा रात के समय में हुआ और अँधेरे में रेस्क्यू करने में भी काफी दिक्कत हो रही थी |
हादसे के बाद ड्रोन विडियो सामने आया | 400 फीट की ऊंचाई से ट्रेन की बोगियां खिलौने की तरह बिखरी हुई दिखाई पड़ी | 1 किलोमीटर के दायरे में बिखरा पड़ा था ट्रेन का मलबा |
जिंदगी नहीं मिलती दूबारा | अक्समात कुछ हो जाना यह अलग बात है मगर ट्रेन के लोको पायलट की इस कदर लापरवाही बरतना ठीक नहीं जहाँ वे कितनी जिंदगी को लेकर सफ़र कर रहे होते हैं | ऐसे में जो हुआ उसे लौटाया नहीं जा सकता मगर आनेवाले दौर के लिए यह एक बहुत बड़ी सीख और सबक है | इनके हाथों में लापरवाही नहीं बचाव होना जरुरी है मगर इससे ऊपर उठकर एक बात और भी कहना चाहेंगे - किसी भी हादसे में एक कारण का लग जाना उस दौर में आदमी का नाम जोड़ देता है और बदनामी सर मढ जाता है खैर ........ समय पर भरोषा रखिये जो खोया उसे पाया नहीं जा सकता मगर जो है उसे बचाना जरुरी है | .......... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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