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महाभारत में भीम की भूमिका अदा करने वाले अभिनेता प्रवीण कुमार सोबती ने दुनिया को कहा अलविदा , वे 74 साल के थे |
दिल्ली के अशोक विहार फेज 2 स्थित घर में रहते थे ,जहाँ 7 फ़रवरी की रात उन्हें हार्ट अटैक आया | इनकी लड़की निपुणिका ने डॉक्टर और एम्बुलेंस को फोन किया , परन्तु एम्बुलेंस पहुँचने से पहले हीं वे इस धरती को छोड़ चुके थे |
हार्ट अटैक ऐसे भी किसी को उतना वक्त नहीं देता जिससे मौत जिंदगी का इन्तजार करे और रात के 9 बजकर 30 मिनट पर उन्होंने अपनी बेटी और पत्नी को तन्हा छोड़ दिया | इनकी पत्नी का नाम विणा है |
वैसे प्रवीण पंजाब के तरणतारण के निवासी थे |
सूचना के आधार पर - कुछ दिन से प्रवीण बीमार चल रहे थे , इनके रीढ़ में समस्या थी | 10 साल पूर्व रीढ़ का ऑपरेशन हुआ था जो असफल रहा , जिससे उनका ठीक तरह से चलना मुहाल हो गया और किसी व्यक्ति या लाठी का सहारा लेना उनकी मज़बूरी बन गई |
बहुत कम लोग जानते है कि महाभारत से पहले वे BSF के जवान थे | 1960 - 1970 के दशक में हांगकांग में आयोजित एशियाई खेलो में 2 स्वर्ण , 1 सिल्वर और 1 ब्राउंच मैडल जीतकर भारत का नाम रौशन किया | वहीं पुरे विश्व में अपनी पहचान का एक अलग सिक्का जमा लिया | महाभारत के बाद से तो उन्हें भुलाया हीं नहीं गया | क्यूँकी इनका व्यक्तित्व और अभिनय व भीम जैसे किरदार की सशक्त भूमिका लोगो के दिलो पर दस्तक देकर राज किया | उन्हें भला कौन भुला पायेगा ? ऐसे पात्र तो सदैव अमर होते है |
बी आर चोपड़ा को महाभारत में भीम का किरदार निभाने के लिए तड़प थी , मगर भीम जैसा व्यक्तित्व मिल नहीं पा रहा था | मैडल जीतने के बाद पूरी दुनियां में तहलका मचा और बी आर चोपड़ा की नजर इनपर पड़ी तो चोपड़ा साहब उनके घर पहुँच गए | उनकी साढ़े छः फूट की लम्बाई और खुबसूरत व्यक्तित्व देखकर वे इतने प्रभावित हुए कि उनके जुबान से निकल गया - मुझे भीम मिल गया और यहीं से प्रवीण सोबती का कदम बॉलीवुड की तरफ बढ़ा और उन्होंने फिल्म और सीरियल में काम करना शुरू कर दिया | जिसमे सीरियल - चाचा चौधरी में साबू का किरदार निभाकर काफी शोहरते हासिल की और बच्चो के बीच भी काफी प्यार हासिल किया |
2013 में भी उन्होंने एक बार फिर महाभारत और बर्बर में अभिनय किया और उसमे भी इन्होने भीम की हीं भूमिका अदा की |
प्रवीण कुमार सोबती की तमन्ना थी कि वे राजनीति में भी वो अपनी भागीदारी दे | जिसके लिए उन्होंने राजनीति में कदम रखा , परन्तु उंचाई पर पहुँच नहीं सके | पहले आम आदमी पार्टी और फिर भारतीय जनता पार्टी का दामन पकड़ा |
1981 में फिल्म रक्षा से सफ़र की शुरुआत करने वाले प्रवीण कुमार सोबती को क्रॉनिक कफ ने उनके सीने में अपना जगह बनाकर उन्हें बड़ा हीं दुःख दिया | इन्होने आर्थिक तंगी के कारण सरकार से भी मदद की गुहार लगाईं थी , परन्तु क्या कारण था कि इनके सेहत पर ध्यान नहीं दिया गया ?
अब सिर्फ यादें बची है जो एक इतिहास है और इतिहास कभी खत्म नहीं होता | जबतक धरती , अम्बर , चाँद , सितारे रहेंगे प्रवीण कुमार सोबती भी अमर रहेंगे | क्यूंकि ऐसे लोग मरते नहीं , सदैव जिन्दा रहते है इस धरती पर एक याद बनकर , इतिहास बनकर |
इनके फैन्स के बीच अभी दर्दभरा माहौल खड़ा
है | इस दीवार को तोड़ना फिलहाल संभव नहीं | लोग इन्हें श्रधांजलि दे रहे है
और हमारी तरफ से भी आपको श्रधांजलि | आपकी भूमिका जो महाभारत में भीम की
रही , ये कभी भुलाया नहीं जा सकता | क्यूंकि महाभारत सदैव अमर है |........
( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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