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अमेरिका के राष्ट्रपति ब्राइडेन ने ट्विटर के जरिये दुनियां से बहुत बड़ी बाते शेयर की है | उन्होंने कहा है कि - काबुल एयरपोर्ट पर एक बार फिर खतरा मंडरा रहा है | एक सैन्य कमांडर ने उन्हें जानकारी दी है कि - अमेरिकी सैनिको और वहां के नागरिको पर अगले कुछ घंटो में आतंकी हमला हो सकता है |
इसके बाद व्हाइट हाउस ने चिंता जताते हुए एतिहात बरतने का निर्देश जारी किया है | एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि - अफगानिस्तान से निकलने के मिशन पर यह सबसे खतरनाक समय साबित हो सकता है | रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने शनिवार को कहा कि अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट ISIS-K के दो हाई प्रोफाइल व्यक्ति अमेरिका ड्रोन हमले में मारे गए | यह शुक्रवार की घटना है |
सूचना के आधार पर अमेरिकी सेना के मेजर जेनरल हैंक टेलर ने पेंटागन ब्रीफिंग में इस खबर की पुष्टि की है |
जब तालिबान का अफगानिस्तान पर कब्ज़ा हुआ , तो वहां अमेरिकी सैनिक भी मौजूद थे | अमेरिका के सैनिक की वापसी से पूर्व रक्षा मंत्री को अपनी सम्पति को बचाना पहली प्राथमिकता थी , परन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया |
2003 में अमेरिका ने अफगानिस्तान में 83 अरब डॉलर जो की लगभग 6 लाख करोड़ रुपया से भी ज्यादा है , इसे अफगानी सेनागण और पुलिस की ट्रेनिंग देने के साथ हीं हथियार , सैन्य वाहन , विमान आदि खरीदने में खर्च किये गए थे |
काबूल पर तालिबानों के कब्जे के बाद वहां के राष्ट्रपति अशरफ गनी फरार हो गए और तब सैनिको ने घुटने टेक दिए | जिसके बाद ये सारे हथियार तालिबान ने अपने कब्जे में ले लिया | माना जाए तो तालिबानों की फ़ौज यूँ हीं मजबूत नहीं हुई है | इन्हें तो कब से आस्तीन में छुपाकर रखा गया था | यह आस्तीन किसका है ? यह दुनियां से छुपा नहीं है | मगर इन्हें पोषना , आने वाले कल में बहुत सारे देशों को भारी पड़ने वाला है |
तालिबान धीरे - धीरे मजबूत बना | इनकी फ़ौज वर्षो से अपनी तैयारी में लगी थी और अफगानिस्तान में पहले से हीं बहुत सारे हथियार मौजूद किये जा चुके थे |
अमेरिका की यह भूमिका पूरी तरह से समझना बहुत हीं जरुरी होगा | एक तरफ जहाँ अमेरिका तालिबान के तरफ से अपना मुंह मोड़ रहा है | वहीं अमेरिका को अफगानिस्तान के लिए ख़रीदे गए हथियार और सैन्य बल के उपकरणों के रिपोर्ट्स को छुपाने की क्या जरुरत पड़ गई ? सूचना है कि - अमेरिका ने सरकारी वेबसाइट से कुछ महत्वपूर्ण रिपोर्ट्स व ऑडिट को छुपाया है | अब वह वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं |
वहीं यह बहुत बड़ा दुर्भाग्य है कि जिससे अफगानिस्तान तंग है और इस बीच अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर नए हेलिकॉप्टर की तस्वीर पोस्ट की है | जिसमे एक ब्लैकहॉक हेलिकॉप्टर जिसकी कीमत लगभग 170 करोड़ रुपये की आसपास होगी , नजर आ रहा है | यह हेलिकॉप्टर A29 सुपर ट्रकानो तालिबान के हाथ में जा चूका है | आज घोर आश्चर्य की बात है कि - अमेरिका ने इसे पिछले माह हीं ख़रीदा था |
यह नजारा यूँ हीं देखने को नहीं मिल रहा है | 2003 के बाद से हीं यहाँ बहुत सारे हथियार को इकठ्ठा किया गया जिसमे कुछ गायब हुआ और कुछ का इस्तेमाल भी नहीं हुआ | जिसमे अमेरिका द्वारा हीं 6 लाख इन्फैंट्री हथियार MI-6 राइफल , 16 हजार से ज्यादा नाईट विजन , 1.62 संचार उपकरण , इन सभी पर तालिबान ने 15 अगस्त को हीं काबुल पर कब्ज़ा होते अधिकार जमा लिया था |
2000 से ज्यादा बख्तरबंद गाड़ियाँ , 40 से अधिक सैन्य विमान , स्कैन इंगल ड्रोन पर भी इनका कब्ज़ा है | वाहन के रूप में हेलिकॉप्टर सहित जितने भी हथियार देश की सुरक्षा हेतु लड़ाई में जरुरत पड़ती है , उसे अमेरिका ने वहां छोड़ दिया | यह सभी कीमती सामान की राशि अमेरिका सरकार ने , अमेरिकी जनता से लिए गए टैक्स के पैसों से ख़रीदा था | जिसपर अमेरिकी जनता का अधिकार है |
यूँ हीं नहीं किसी देश की जनता लूट जाती है इसमे सरकार का बहुत बड़ा हाथ होता है | अपनी गोटी सीधी करने के फिराक में अपनी गलत नीति से या तो अपने मजबूती साबित करते है या फिर अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी की तरह नागरिक को निहत्था छोड़कर भाग जाते है | इस वक्त उन्हें जनता की कोई परवाह नहीं ! भांर में जाए जनता ,क्यूंकि अब हाथ में सत्ता नहीं | लेकिन जब सत्ता में रहेंगे तो वसूलेंगे मन मानी टैक्स , करेंगे तबाह , तंग और बेकाबू होने के बाद देश को यूँ हीं बर्बाद होने के लिए अकेला छोड़ देंगे | आखिर किसके सहारे ?
हर देश की बोर्डर पर सैनिक मौजूद होते हैं | धीरे- धीरे लड़ाई बढ़ती है , यह पूरी दुनियां को पता चलता है कि - किस देश को किस देश से लड़ाई चल रही है और वहां की जनता भी पूरी तरह से तैयार होती है कि अपने देश को किस तरह सुरक्षित रखना होगा | वहां की सरकार व सुरक्षा व्यवस्था की चौकसी बढ़ जाती है | परन्तु अफगानिस्तान में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और 15 अगस्त को सब कुछ तालिबान के हाथ ऐसे चला गया , जैसे चुनाव के दौरान सत्ता पलटकर दूसरे के हाथ चली जाती है |
आज अफगानिस्तान के नागरिक बिना माँ - बाप के बच्चों की तरह सड़कों पर दौड़ते नजर आ रहे हैं , अपनी जान को बचाने | लेकिन कोई भी ऐसा नहीं , जो उनकी जिंदगी का रक्षक बन , उन्हें आश्वस्त कर सके | क्यूंकि बोर्डर बेकाबू है |
2017 में अमेरिकी सेना को 1250 करोड़ रुपये को स्कैन इंगल गंवाने पड़े | यह ड्रोन ख़रीदा गया था , अफगानिस्तान के नेशनल आर्मी के रक्षा के लिए | जिसे इस्तेमाल हीं नहीं किया था और यह अफगानिस्तान से कैसे लापता हो गया ? यह सोंच का विषय है ! एक महत्वपूर्ण बात कि - सुरक्षित पंजशिर में भी अब इनका कदम बढ़ता हुआ जान पड़ रहा है , क्यूंकि इनके पास प्रयाप्त हथियार है | हथियार पास न होता तो समझा जा सकता था की तालिबान कमजोर पड़ हीं जाएगा और अफगानिस्तान से इन्हें भगाना बहुत हीं सरल था | आखिरकार कब तक ये वगैर हथियार , खाना - पानी और वैगर बल वहां टिक पाते | मगर यह अफगानिस्तान का दुर्भाग्य कहा जा सकता है कि आज उनके पास पर्याप्त बल और दल मौजूद है | हाँ अमेरिका के रक्षा मंत्री अपने द्वारा ख़रीदे गए सभी उपकरणों को वापस ले लेते और तब वहां से जाते ,तो तालिबान ऐसे हीं कमजोर पड़ जाता | मगर हथियार से लैश तालिबान भला कैसे हार मान जाये |
तालिबान
के आतंकियों ने अपनी जुबानी यहाँ तक कहा है कि - मै God की कसम खता हूँ कि
हम अफगानिस्तान में किसी भी हजारा को जीवित नहीं रहने देंगे | किसी भी
शिया मुसलमान को जिन्दा नहीं रहे देंगे | यह देखकर और सुनकर लोगों के
रौंगटे खड़े हो रहे होंगे |अभी का यह नजारा है तो तालिबान की सत्ता अगर बन
जाए , तो नजारा क्या होगा ? यह समझा जा सकता है ! अफगानिस्तान में पूर्व
में चीन से आये बहुत सारे मुस्लिम लोग है , जिनके बीच अफरा - तफ़र मची है |
अभी बहुत सोंच का विषय है और इसपर नियत्रण कैसे किया जाए और वहां की जनता
को कैसे सुरक्षा प्रदान की जाए ? इस विषय पर पूरी दुनियां भर के देश को
सोंचना बहुत जरुरी है , तभी तालिबान को पछाड़ा जा सकता है | वह भी पंजशिर
में महायुद्ध से पहले | .... ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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