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कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को NIA की विशेष अदालत ने दोषी करार देते हुए सजा मुकरर पर मोहर लगा दिया | ये टेरर फंडिंग मामले में दोषी पाए गए है | 25 मई को मामले की सुनवाई के दौरान सजा निर्धारित की जायेगी |
यासीन मलिक ने बीते दिनों इस बात को स्वीकार किया था कि - वे आतंकी गतिविधि में शामिल था और उस पर लगाईं गई देशद्रोही की धारा सही है | इस धारा के खिलाफ उसे आजीवन कारावास की सजा भी दी जा सकती है | यासीन पर युवा पीढ़ी को भड़काने और उसे गलत रास्ते पर चलने हेतु प्रेरित करने का आरोप लगा |
1990 में एयरफोर्स के 4 जवानो की ह्त्या में यासीन का बड़ा हाथ था | उन अधिकारियों की हत्या में स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना भी शामिल थे | लीडर रवि खन्ना की चर्चा पिछले दिनों काफी उथल - पुथल मचाई , जब विवेक अग्निहोत्री की फिल्म "द कश्मीर फाइल्स" रिलीज के दौर में खड़ा था | क्यूंकि इस फिल्म में रवि खन्ना की भूमिका को भी दर्शाया गया था , तब उनकी पत्नी ने इस दृश्य पर आपत्ति जताते हुए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया |
25 जनवरी 1990 को दिल दहला देने वाली इस घटना में एक महिला अधिकारी सहित 40 जवान भी घायल हुए थे |
यासीन पर कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री व गृहमंत्री मुफ़्ती मोहमद सईद की बेटी रुबिया सईद को अगवा करने का आरोप लगा | रुबिया सईद के रिहाई के बदले 5 आतंकियों को रिहा करने की शर्ते रखी गई थी |
1966 में जन्म लिए यासीन मलिक को पूर्व जन्मजात आतंकी का नाम दिया जा सकता है | इसने मूल रूप से कश्मीर घाटी में सशस्त्र उग्रवाद का नेतृत्व किया | स्वतंत्रता संग्राम के तहत आतंकी गतिविधियों को गैर क़ानूनी तरीके से अंजाम देने के लिए दुनियाभर से धन इकठ्ठा करने के लिए साजिश रची जिसमे अंतर्राष्ट्रीय आतंकी आरोपी हाफिज सईद का नाम भी इस फंडिंग में शामिल है |
NIA के अनुसार लश्कर ए तैयबा , जम्मू कश्मीर लेबोरेशन फ्रंट , हिजबुल मुजाहिदीन ,जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठन भी इस फंडिंग में शामिल था |
यासीन एक खूंखार आतंकी है जिसका दामन पाकिस्तान से मिला है | कश्मीर में पंडितो की हुई नरसंहार व पलायन में बहुत बड़ा हाथ रहा | ऐसा इसलिए संभव हुआ क्यूंकि इसकी पहुँच प्रधानमंत्री आवास तक देखा गया |
2006 में भारत के प्रधानमंत्री आवास पर इसे आमंत्रित किया गया था और पूर्व प्रधानमंत्री ने इसे एक मेहमान बनाकर स्वागत किया | एक आतंकी की पहुँच प्रधानमंत्री के आवास पर एक महान कुर्सी के करीब बैठकर बाते करने से सारा देश सोंचने पर मजबूर हुआ | आखिरकार हमारे देश के विकास के लिए वह कौन सा कारण था ? जिसमे पूर्व प्रधानमंत्री और यासीन मलिक आमने - सामने हुए |
कई चैनल पर भी आतंकियों को बोलने , देश के सामने अपने चेहरे को परोसने का भी मौका दिया गया | टीवी पर ये आतंकी हत्या करने की बातो को भी स्वीकारते हुए डटकर एंकर के सवालो का सामना किया | यह एक इतिहास बना जिसमे ऐसी मीडिया जहाँ मुस्कुराते हुए सवाल परोसते रहे और हत्यारे मुस्कुराते हुए जवाब देते रहे और दर्शक चौकन्ना होकर दृष्टि गड़ाए देखती रही कि - यह क्या हो रहा है ?
यह साक्षात्कार ऐसा लगा जैसे कि कोई वीर योद्धा या पुरस्कार लेने के बाद का नजारा टीवी पर परोसा जा रहा हो |
2019 में यासीन मलिक को सेना ने गिरफ्तार किया था | नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला ने उसकी रिहाई की मांग की थी |
यासीन मलिक दिल्ली के तिहर जेल में बंद है |
देश का चौथा स्तम्भ मीडिया को माना गया है | यह महत्वपूर्ण स्तम्भ का कलम अपने शब्दों को जब अंकित करता है तो विश्व की नज़रे इस पर टिकी होती है | ऐसे में पत्रकार अरुंधती राय ने अपनी आवाज और कलम का खूब फायदा उठाते हुए भारत को कम दिखाने की कोशिश की | अरुधंति राय की दोस्ती भी यासीन मलिक से खूब जमती थी | ऐसे में हीं अरुंधती राय यासीन मलिक की आवाज बनकर कहा था कि - कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं हो सकता |
इस छोटी मानसिकता को कौन सा नाम दिया जाए ? जिन्हें यह मालुम नहीं कि धरती का स्वर्ग कहे जानेवाला कश्मीर कल भी हमारा था , आज भी हमारा है और जबतक धरती - आसमान कायम है यह हमारा हीं रहेगा | ......... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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