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जहाँ देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है , वहीं देश को मिला एक महिला राष्ट्रपति जिनका नाम है "द्रोपदी मुर्मू" | इस नाम का शोर कई दिन पूर्व से दुनियाभर में गुंजयमान होता रहा |
आज 25 जुलाई है और 25 जुलाई को ही हमारे देश में राष्ट्रपति शपथ का नियम बना | द्रोपदी मुर्मू भारत की 15 वीं राष्ट्रपति बनी है , इस पद की शपथ चीफ जस्टिस एन वी रमन ने दिलाई |
वैसे माना जाए तो 25 जुलाई को राष्ट्रपति की शपथ लेने वाली ये 10 वीं राष्ट्रपति बनी हैं |
25 जुलाई को राष्ट्रपति पद शपथ का सिलसिला भारत के छठे राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी के शपथ जो की 1977 में 25 जुलाई को हुई तब से यह बरक़रार है |
द्रोपदी मुर्मू देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति बनी और ये संथाल जनजाति से तालुक रखती है | दुनिया की तमाम महिलाओं के साथ - साथ यह आदिवासियों के लिए भी बड़े हीं गर्व की बात है कि - देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर महिला का विराजमान होना देश की उन्नति का जैसे बिगुल बजा रहा हो | यह ख़ुशी का शंखनाद आज भारत को खुशनुमा आलम में पहुंचा दिया |
यह समारोह संसद भवन के सेन्ट्रल हॉल में सुबह 10 बजे किया गया जिसमे इन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई |
हमें याद आ गया 2007 में जब प्रतिभा सिंह पाटिल भी इसी पद के लिए शपथ ग्रहण किया था और उन्हें भी तोपों की सलामी दी गई |
महिलाओं को मौका मिले तो किसी भी उंचाई को छूने से वे वंचित नहीं रहेंगी | मगर दोहरी जिम्मेदारी के बीच तड़पती हुई दर्द को छूने वाले बहुत कम ही होते है जो ये रिस्ते हुए दर्द के जख्म पर मलहम लगा सके |
इन्हें भी इनके पति ने कहा था - राजनीति महिलाओं के लिए नहीं और इस जनजाति के लिए तो और भी नहीं | मगर जानकारी के आधार पर बीजेपी के कार्यकर्ता ने हीं इन्हें इनके पति पर दबाव डालकर इन्हें राजनीति में उतारा | आज का दौर और उस वक्त का आलम दोनों को तराजू पर डाल दिया जाये तो जमीन - आसमान का अंतर दिखाई पड़ेगा | द्रोपदी मुर्मू अगर अपने पति की बात मानी होती तो इस पद पर बनना तो दूर उनके लिए सोंचना भी दुर्लभ होता |
वैसी महिलाओं के लिए यह एक साक्ष्य और सबूत है जो अपने दिमाग का इस्तेमाल नहीं करके अपने जीवन में किसी और के दिमाग का इस्तेमाल करती है | सदैव याद रहे अपने जीवन के लिए खुद से बेहतर कोई दूसरा नहीं सोंच सकता |
आज का सूर्योदय द्रोपदी मुर्मू के लिए अद्भुत चमत्कारी रहा , जब सूर्य की किरण ने इन्हें खुशियों से नहला दिया |
आरंभिक दौर में उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद , उपराष्ट्रपति एम ....नायडू , प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी , लोकसभा स्पीकर श्री ओम बिरला , चीफ जस्टिस एन वी रमन व संसद सदस्यगण व उपस्थित सभी गणमान्य सहित देश वासियों के लिए बहुत ही सुन्दर व वजनदार बातो से सभी के दिलो को मोह लिया |
इनकी विनम्रता , शालीनता , इनकी दायित्वों को पेश करने के गुणों के सबूत को पेश कर रहा था | इनकी शब्दों से तालियों की गड़गराहट भवन में गुंजयमान हुआ | यह एक इक्त्फाक है कि आज हमारा भारत स्वाधीनता के 75 वर्ष कुछ ही दिन में पूरी करने वाला है , वहीं आज से 25 वर्ष पहले जब देश अपने स्वतंत्रता के 50वें साल का पर्व मना रहा था , तब इनके राजनीति जीवन की शुरुआत हुई | जीरो से आरम्भ होकर इन्होने उस पड़ाव पर अपने कदम को रखा जहाँ कदम रखना असंभव सा है |आज की तारीख में राष्ट्रपति पद पाने से ज्यादा सरल तो चाँद पर पहुंचना है|
भवन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खामोश चेहरे के अन्दर की अद्भुत ख़ुशी शबनम की तरह छलक रही थी जो एक विकास और विश्वास का प्रतिक था |
यह उनकी जीत पुरे देश की जीत है |आने वाला कल 26 जुलाई जिसे कारगिल दिवस के लिए समर्पित किया गया है , उन्होंने भारत की सेनागण को सौर्य और सयंम दोनों का प्रतीक बताते हुए देश की सेनाओं व देश की समस्त नागरिको को अग्रिम शुभकामनाएं दी | एकबार फिर इस आवाज पर तालियों की गड़गराहट ने शोर किया |
एक बार फिर हमारे देश को महिला राष्ट्रपति मिली है , यह देश की करोड़ो महिलाओं व बेटियों के सपनों को साकार करने की वह आईना है जिसमे महिलायें स्वयं के चेहरे की झलक पा सकती है |
हमें गर्व है कि आजादी के बाद से अभी तक के सफ़र में 15 राष्ट्रपति हमारे देश को मिला | डॉ० राजेंद्र प्रसाद जो कि देश के प्रथम राष्ट्रपति बने और आज द्रोपदी मुर्मू जो देश की 15 वीं राष्ट्रपति बनकर हमें गौरवान्वित किया |
एक बात इनका अद्भुत लगा जिसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जाता है | कोरोना काल के दौरान भारत ने सिर्फ अपनी नहीं पूरी दुनिया का ख्याल करते हुए जरुरतमंद देशो को सहयोग किया जिससे आज दुनियां भारत को नई विश्वास से देख रही है और आने वाले कुछ हीं दिनों में G20 में मेजबानी करने वाला है जिसमे 30 बड़े देश भारत के साथ वैश्विक विषयो पर मंथन करेंगे ,|75 वर्षो में ऐसा पहली बार हुआ जिसका श्रेय आज पूरा भारतवर्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को हीं दे रहा है |
एक बार फिर मन यहीं बोल उठा - आज कहाँ से कहाँ आ गए हम ! ......... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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