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14 फ़रवरी वैलेंटाइन डे की बाते हो और वर्षो पूर्व लव गुरु के नाम से मशहूर हुए प्रोफ़ेसर साहब की चर्चा न हो तो वैलेंटाइन डे अधुरा रह जाएगा |
बिहार के लव गुरु प्रोफ़ेसर मटुकनाथ और प्रेमिका जूली जिसे वे राधा संबोधित करते है , वर्षो पहले इनकी प्रेम गाथा सर चढ़ कर बोला , जहाँ हर दिन इनके समाचार से अखबार रंगता रहा |
पटना यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर मटुकनाथ को एक शिष्या जिसका नाम जूली है ने अपना दिल दे दिया और अन्तोगतवा जूली के स्नेह के बंधन में मटुकनाथ जी बंधते चले गए | यह 2004 की बात है जब इनदोनो की चर्चा इंटरनेशनल मीडिया की सुर्खियाँ बन कई करवटे व हिलौरे भरते हुए गहरे समुन्द्र की खाई में डूबकी लगाते हुए प्रथा की सरहद पार कर विवाह बंधन में बंधकर इस पवित्र प्रेम को एक नाम देकर खड़ा किया |
यह अलग बात थी कि मटुकनाथ जी शादीशुदा और कई बच्चो के पिता थे | जूली यह जानती थी बावजूद वह पीछे नही हटी और आगे बढ़ती हीं चली गई | प्यार अँधा होता है , जिसे भी यह रोग लगा उसे कुछ दिखाई नहीं पड़ा | इतिहास गवाह है - लैला ने किया मजनू से , सोनी ने किया महिवाल से , हीर ने किया रांझा से और सलीम - अनारकली की कहानी से भी कोई वंचित नहीं |
ऐसे हीं इनदोनो की प्रेम कहानी इन्द्रधनुषी रंगों में भरकर अपनी तरफ पूरी दुनियां को आकर्षित कर गया |
मटुकनाथ जी को पत्नी और बच्चो के द्वारा कटाक्ष किये जाने और मन पर वार और दिल पर चोट दिया जाने लगा | सब कुछ सहते हुए इन्होने अपने रिश्तो को आगे बढ़ाया और बढ़ते हीं चले गए | यहाँ तक की इनकी पत्नी ने जूली को सरेआम कॉलोनी में बाल पकड़कर पिटा , वहीं प्रोफ़ेसर साहब को मुंह में कालिख लगाकर भी घुमाया गया |
कहा जाता है - आग में जितना घी डालेंगे आग उतना हीं धधकेगा और सब कुछ जलकर स्वाहा हो जाएगा | यह जानते हुए भी इस रिश्ते को ऐसे ममोरा गया कि प्रोफ़ेसर साहब का दिल परिवार से अलग होता चला गया | रिश्ते में जब करवाहट आती है और सम्मान अलग खड़ा आँखे पसारकर देखता हो तो नजदीकियां दूरियां बनते देर नहीं लगती |
मटुकनाथ जी की जिंदगी में यह ऐसा पतझड़ भरा दौर था , जहाँ जूली करीब आती चली गई और परिवार छटता चला गया | परिवार भी कहाँ हार मानने वाला था - बदनामी दूर तक फैलाई गई और मटुकनाथ जी को कॉलेज से सस्पेंड कर दिया गया और उसके बाद वे निष्कासित कर दिए गए | बावजूद ये डटे रहे , क्यूंकि इनके पास कलम की बहुत बड़ी ताकत थी |
दोनों ने शादी रचा लिया और किराया के मकान में रहने लग गए | इधर जूली के परिवार वालो ने भी अपना हाथ जूली के सर से हटा लिया |
इस कड़ी वेदना के साथ भी उन्होंने जूली का साथ नहीं छोड़ा , वहीं उनकी पत्नी ने अपने पति पर अधिकार मानते हुए इन दोनों को जेल का रास्ता भी दिखला दिया | जेल यात्रा भी इनदोनो ने मुस्कुराते हुए स्वीकार किया |
बस यहीं से आरम्भ हुई इनकी जिंदगी का एक और रास्ता जहाँ फिल्म का यह गीत - "तुम मिले दिल खिले और जीने को क्या चाहिए" आरम्भ हुआ | परन्तु दामन में उतना धन नहीं था , क्यूंकि मटुकनाथ जी अपने घर में सबकुछ हार गए थे और जूली की आँखे यह सहन नहीं कर सका | क्यूंकि जूली ने सिर्फ प्रोफेसर साहब से हीं प्यार नहीं किया था बल्कि उनकी धन - सम्पति और ओहदा से भी प्यार किया था |
हम ऐसा इसलिए लिख रहे है - क्यूंकि प्रोफ़ेसर साहब ने जूली को नहीं छोड़ा | हर जख्म और हर कष्ट सहते हुए वे दामन थामे रहे , मगर एक दौर ऐसा आया जब जूली आर्थिक कष्ट को झेल नहीं पाई और वह भटकते भटकते सात समुन्द्र पार त्रिनाद एंड टोबैगो पहुँच गई |
इस बीच बाते धीरे - धीरे ठंढी पड़ती चली गई | अचानक 2020 में कोरोना काल के दौरान जूली की सहेली "देवी" ने मीडिया को बताया कि मटुकनाथ जी बेवफा निकल गए और उन्होंने जूली को छोड़ दिया | जूली अभी बीमार है और त्रिनाद एंड टोबैगो में है | साथ हीं देवी जूली के परिवार के पास भी गई , जूली के भाई ने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि - अब जूली से हमारा कोई रिश्ता नहीं |
स्वाभाविक है घर की दहलीज को बदनामी की जंजीर से बांधकर छलांग लगाईं जाए तो परिवार वाले साथ नहीं देते | देवी यहाँ से मुड़कर मटुकनाथ जी के पास पहुंची और उनसे कहा जूली को भारत लाने के लिए | मटुकनाथ जी यह कहते हुए इंकार कर गए कि मेरे पास उतना धन नहीं और यह सच है कि मटुकनाथ जी का हर कुछ बिखर चूका था तो उनके पास कहाँ से आ पाता धन सम्पति ? देवी ने मटुकनाथ जी के इंकार वाली बात भी मीडिया तक पहुंचाकर कहा था कि - इसके लिए मुख्यमंत्री के पास भी मदद के लिए हाथ बढ़ाएंगे ताकि सरकार उन्हें भारत वापस बुला ले |
अब मटुकनाथ जी के यहाँ पत्रकारों का आना जाना आरम्भ हुआ | दिल है की मानता नहीं और मटुकनाथ जी का भी दिल बेक़रार हो गया , क्यूंकि उन्होंने तो जूली से सच्चा प्यार किया था |आज भी उनके घर में जूली की तस्वीर लगी है और यह साक्ष्य और सबूत दोनों हीं प्यार की निशानी लेकर वह जी रहे है | वे सात समुन्द्र जाने के लिए तैयार हो गए , मगर जाने से पहले मीडिया को यह भी बताया कि - 2014 से हीं जूली के भाव में बैराग्य दिखने लगा | वह भजन में मग्न होकर नृत्य भी किया करती थी और उतना हीं चिंतन मनन | अचानक जूली का फोन आना मेरे पास बंद हो गया | पता चला कि वह किसी को जीवित बुद्ध मानने लगी थी | अब जाकर पता चला है कि वह त्रिनाद एंड टोबैगो पहुँच गई है |साथ हीं एक बात और उन्होंने कहा - देवी को इतनी हीं चिंता है तो उसके पास किसी चीज की कमी नहीं , तो वह स्वयं क्यूँ नहीं ले आती जो दूसरे से सहयोग मांग रही है | दोस्त है इतना तो कर हीं सकती है |
लव गुरु मटुकनाथ जी सात समुन्द्र पार पहुंचकर मीडिया को बताया था - जूली स्वस्थ है और बहुत जल्द हम दोनों भारत पहुँच रहे है |
प्रेम का कुछ पन्ना अधुरा है जहाँ फूल खिल न सका प्यार का | दो प्यार करने वाले के बीच की सारी बातो से हम वाकिफ नहीं है , यह दोनों के दिल और जिंदगी जीने के सलीके के अंदाज और जानकारी के आधार पर आप तक पहुंचाया जा रहा है |
यूँ तो प्यार किया नहीं जाता किसी से , प्यार तो हो जाने की चीज है , जहाँ न उम्र की सीमा न जन्म का बंधन होता है | प्यार तो बस हर दिन एक परिवर्तन होता है | इनदोनो की जिंदगी का जो पन्ना अधुरा है उन्हें बहुत जल्द हम भरकर आप तक पहुंचाएंगे और आपको जानकारी मिल पायेगा कि आखिरकार ये दोनों अभी भारत में है या फिर सात समुन्द्र पार |
अब एक बात और अपनी तरफ से - पति पत्नी के बीच जब "वो" का दस्तक होता है तो परिवार बिखरता चला जाता है | ऐसे में खासकर पत्नी और बच्चो को समझदारी से काम लेना चाहिए और उनका तिरष्कार न करते हुए उनके हर समय को पिकनिक में बाँध दीजिये और इतना प्यार , सम्मान लुटाइए कि आपके दामन से उनका हाथ सरके नहीं | यह दौर बहुत हीं नाजुक होता है इस दौर को जकड़ेंगे तो वह दबाव पड़कर टूट जाएगा और विखर जाएगा कई टुकड़ो में जिसे जोड़ पाना बड़ा हीं मुश्किल होगा दोनों के लिए |
प्यार की परिभाषा पति - पत्नी और "वो" तीनो के लिए है | ढाई आखर का यह शब्द बड़ा हीं पवित्र व निर्मल है और ऐसे प्यार में किसी का दिल टूटे नहीं कोशिश होनी चाहिए | खासकर "वो" को सोंचना बहुत जरुरी है , क्यूंकि उनके लिए बहुत सारे मंजिल है | जैसे की अभी जूली सात समुन्द्र अकेले चली गई और मटुकनाथ जी अकेले रह गए | जूली कई जिंदगी से खिलवाड़ कर बैठी , भारत की कोई और जूली ऐसा न करे , यह सबक और सीख दोनों हीं है |
14 फ़रवरी वैलेंटाइन डे संत वैलेंटाइन की पुण्यतिथि पर मनाये जाने वाला प्रेम दिवस है , इसी दिन फांसी पर चढ़ने से पहले उन्होंने अपनी दृष्टि को दान किया था |........ ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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