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रुपाली दीक्षित एक जाना पहचाना सा नाम , खुबसूरत व्यक्तित्व की धनी , शिक्षा से परिपूर्ण , भारत की बेटी जिन्होंने लंदन से MBA किया , दुबई में सर्विस की , भारत लौटी तो आगरा विश्वविद्यालय में कानून की डिग्री लेने के लिए दाखिला ले लिया | लॉ ग्रेजुएट के बाद आगे की पढ़ाई अभी जारी है | फिलहाल अपनी क्षमता व दक्षता के बल पर मात्र 3 मिनट के अन्दर सपा के मन के दरवाजे पर दस्तक देते हुए विधानसभा की सीट हासिल की |
यह क्षेत्र है आगरा के फतेहाबाद विधानसभा सीट जो अक्सर चर्चा में जाना जाता है | अब कहा जा रहा है फतेहाबाद विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार रुपाली दीक्षित मैदान में खड़ी है | इनदिनों काफी सुर्खियाँ भी बटोर रही है रुपाली | वैसे हम रुपाली के बैकग्राउंड के विषय में तो बात बाद में करेंगे | उससे पहले यह बता दे कि रुपाली एक होनहार , पढ़ी लिखी और अपने बल पर चुनाव लड़ने मैदान में उतरी है | राजनीति के ज्ञान से ये परिपूर्ण है |
इनपर किसी भी तरह का कटाक्ष करना या उन्हें उनके पिता से जोड़ देना सरासर बईमानी होगा | सर्वप्रथम देखना यह होगा कि आपका नेता या नेत्री कैसी है ? पढ़ी लिखी है या नहीं , कहीं ऐसा तो नहीं कि रिमोट किसी और हाथ में है |
फतेहाबाद से समाजवादी पार्टी का टिकट राजेश कुमार शर्मा को दिया गया था | परन्तु 36 घंटे के बाद हीं उनसे टिकट वापस लेते हुए रुपाली दीक्षित को दे दिया गया | सूचना के आधार पर रुपाली दीक्षित महज 3 मिनट में हीं अखिलेश यादव को कनविंस किया था , क्यूंकि अखिलेश जी ने समय अभाव के कारण उन्हें 3 मिनट हीं दिया अपनी बात को सामने रखने के लिए और इसी 3 मिनट में वे टिकट की हकदार बन गई |पढ़े लिखे लोग की दृष्टि पैनी होती है | उन्हें लगा रुपाली को टिकट देने से पार्टी में मजबूती आएगी |
अब हम स्पष्ट कर दे कि रुपाली दीक्षित अशोक दीक्षित की पुत्री है | इन्ही के परिवार के 4 सदस्य उम्र कैद की सजा जेल में काट रहे है | 2007 में सरकारी स्कूल टीचर सुमन यादव की हत्या काफी जोड़ पकड़ा और उछाल इतना लिया जिसकी बुँदे बहुत दूर तलक गिरी और 2015 में 75 वर्षीय अशोक दीक्षित को इस हत्या का दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुना दी गई थी |
रुपाली जो दुबई में अच्छी सर्विस सीनियर एग्जीक्यूटिव पद पर विराजमान थी उसे छोड़कर भारत लौट आई | 2016 में एकबार फिर अपनी मिट्टी , अपने लोग के बीच सफ़र तय करना आरभ किया जिसमे कड़ी मेहनत करनी पड़ी | इससे पूर्व इनके पिता को जब सजा सुनाई गई तो रुपाली के पिता ने कहा था - परिवार को तुम्हारी जरुरत है | रुपाली ने सबकुछ पिता के बदौलत हीं हासिल किया था , ऐसे में वो अपने पिता को तन्हा छोड़कर कैसे दुबई रुक जाती | इसलिए सर्विस हीं छोड़ दिया और आज अपने पिता का सहारा बनकर खड़ी है |
राजनीति के सफ़र में उन्होंने बीजेपी का हाथ पकड़ा था | मगर 2017 के चुनाव के समय उन्हें भाजपा ने टिकट नहीं दिया फिर तो चुनाव लड़ना बड़ा हीं मुश्किल हुआ | लेकिन हार नहीं मानते हुए खुद को टूटने नहीं दिया और अपनी क्षमता को निखारने सवांरने में लगकर जनसंपर्क अभियान तेज किया |
इसबार रुपाली की मेहनत और लगन ने अद्भुत रंग दिखाया जिसमे अपनी क्षमता को दर्शाने के लिए सिर्फ 3 मिनट का समय मिला | 3 मिनट में रुपाली ने जीत जाने के बाद 5 वर्षो की रूप रेखा से अखिलेश यादव को अवगत कराया और हासिल कर लिया टिकट वह भी राजेश कुमार मिश्रा को दी गई टिकट को वापस लेकर | ऐसी महिला कदापि मामूली नहीं हो सकती | कुछ तो असर है इनकी दक्षता में |
और एक बात - इस क्षेत्र से मात्र एक हीं महिला उम्मीदवार खड़ी है रुपाली दीक्षित जो अपनी भरपूर शिक्षा को हथेली में सजाकर लोगो को नूर से भर देने की कोशिश में लगी है |
अब भले हीं लोग इन्हें बाहुबली अशोक दीक्षित की बेटी होने की नजर से देखते है | यहाँ तो कई सारे नेता है जो बाहुबली है और थे | यह तो बाहुबली की बेटी है | ऐसे में पिता के नाम पर इनका नाम जोड़कर किसी व्यक्तित्व की छवि पर कलम उठा देना शायद उचित नहीं !
अपनी अपनी क्षमता बाजुओं में भरकर क्षेत्र में उतर गए है नेतागण | अब देखना है कि इस विधानसभा चुनाव में बिना काटे जहर कैसे चढ़ता है | ...... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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