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150 रुपये में हुई बॉलीवुड अभिनेता की शादी , न बैंड बजा ना हीं बाराती और बन गयी यादगार शादी |
सीरियल नामकरण के अभिनेता विराफ पटेल और अभिनेत्री सलोनी खन्ना , ये दोनों एक दूसरे को जीवन की डोर से बाँध लिया है और सात फेरो के बंधन से अब पति - पत्नी के रिश्तों में कैद हो चुके हैं |
शादी में कोई जश्न नहीं , विराफ के दोस्त आरती और नितिन मिरारी शामिल हुए | यह शादी मात्र 150 रुपये की खर्च पर एक मिसाल बना | सूचना के आधार पर इन्होने अपनी शादी के लिए जीतनी राशि जमा की थी , वे Covid-19 वाले मरीजों पर खर्च करने का निर्णय लिया है | वैसे भी शादी की कीमत तो बस एक चुटकी सिंदूर है , तभी एक चुटकी सिंदूर की कीमत पर एक धांसू डायलॉग अक्सर बोला और सुना जाता है :- "एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो रमेश बाबु" तो शादी में सिर्फ सिंदूर का हीं महत्व होता है और जबतक जिंदगी रहती है तबतक मांग में सिर्फ सिंदूर हीं भरा जाता है | सिर्फ सिंदूर से हीं तो पता चलता है कि कोई महिला शादी - शुदा है |
अपनी शादी में इन्होने खर्च किया 150 रुपये |100 रुपये मैरेज रजिस्ट्री फ़ीस और 50 रुपये फोटोकॉपी को दिया | इस महामारी की घड़ी में सलोनी और विराफ धूम - धाम वाली शादी नहीं चाहते थे | एक तरफ आपदा से गमगीन लोग , व अपना देश या पुरे विश्व की बात करे , तो बहुत सारे देशों में आज कोरोना महामारी की चीखें दुनियां में गुजंती है | ऐसे में उल्लासपूर्ण शादी , दर्दनाक चीखों के बीच वो खुशियाँ नहीं दे पाती और शादी भी जरुरी थी , इसलिए हम दोनों ने ऐसा निर्णय लिया की हम दोनों का धन एक दूसरे के सुख - दुःख में काम आ सके , इससे मजबूती मिलती है |
इन्होने स्वयं कहा कि - हमने शादी के लिए जो बचत की थी , हम उसका इस्तेमाल कोरोना से लड़ने वालों के मदद में खर्च करने वाले हैं | इससे हमें उम्मीद है की , हमारी शादी और हमारे साथ को और ज्यादा अर्थ मिलेगा | इन दोनों के इस फैसले से परिवार वाले थोड़ा नाराज हुए , मगर ये लोग बच्चे नहीं | इस अहम घड़ी में अपने कदम को किस तरफ मोड़ना है , ये बखूबी जानते हैं | विराफ ने मुस्कुराते हुए कहा की - सेरोमनी से कोई फर्क नहीं पड़ता | बस इंसान का बंधन में साथ होना जरुरी है |
शादी इतना सरल तरीके से हुआ की द्रव्य की अंगूठी की जगह रबर बैंड हीं पहना दिया | सुना जा रहा है की विराफ उस वक्त रिंग लेकर नहीं आये थे , क्यूंकि रिंग मिला हीं नहीं | तो उसकी जगह रबर बैंड पहना दिया |
वहीं पत्नी बनी सलोनी ने कहा - मै थोड़ी नर्भस हूँ , अच्छे दिन आने की उम्मीद कर रही हूँ और उत्साहित भी हूँ | जितना मैंने सोंचा था उससे कहीं ज्यादा यादगार शादी बन गई |
शादी का बंधन में तो सिर्फ सिंदूर का महत्व है | शायद ! इस शादी से लोगों को भी प्रेरणा मिले | आज इन दोनों को बधाई देने वालो की कमी नहीं , क्यूंकि इन्होने एक अच्छा कार्य के लिए पैसों की बचत की है और वैसे भी अपनी व्यवस्था के लिए भी पैसे बचाए जाए तो कोई बुरा नहीं | मगर अभी तो कोरोना काल के लिए ऐसा किया गया है | इसी का दूसरा रूप दहेज़ होता है , जिसमे प्रेम नहीं होता , सिर्फ पैसे की गिनती होती | थोड़ा कम नहीं , ज्यादा हो चलेगा और बेटियां बेहाल होती है | इससे अच्छा की ऐसी सादगी वाली शादी एक यादगार शादी बनी और एक इतिहास रच गया | ..... ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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