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बागेश्वरधाम के महाराज पंडित धीरेन्द्र शास्त्री 3 दिन के बाद छतरपुर लौटे | उनके दर्शन के लिए हजारों की संख्या में भीड़ उमड़ पड़ी | अगर हम ऐसा कह दे कि - कड़ी मेहनत के बाद किसी को ऐसा दिन नसीब होता है तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगा और शायद ! ऐसा माना भी जाता है कि - ऊपर वाले पॉवर की इजाजत के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता तो क्या अब माना जा सकता है कि - पं० धीरेन्द्र शास्त्री के जीवन में रौशनी बिखेरने का पत्ता ऊपर वाले ने हिला दिया |
YouTube पर तो इनका काफी विडियो देखा जा रहा है जिससे लोग आश्चर्य में डूबे रहें अब तो और भी गहरी नींद में लोगों का चैन बेचैनी को गले लगा रहा है | आखिरकार ऐसा चमत्कार एक इंसान के हाथ में कैसे ? बागेश्वरधाम में महाराज के नाम से तो वे मशहूर थे हीं , आज की तारीख में वे विश्व विख्यात भी हुए |
3 दिन के बाद छतरपुर लौटने का कारण भी बताया - फ़रवरी माह में बागेश्वरधाम में विशाल महायज्ञ कराने की तैयारी की जा रही है जिसमे देशभर के साधू संत शामिल होने वाले है | यह 3 दिन उन्होंने साधू संतो को आमंत्रण देने में खर्च किया और उसी में वे व्यस्त थे |
फ़रवरी के दूसरे सप्ताह यानी 13 से 19 फ़रवरी तक किये जानेवाले विशाल महायज्ञ के आयोजन में अन्नपूर्णा महायज्ञ भी शामिल है | बागेश्वरधाम के बढ़ते कदम अब और भी तेजी से दौड़ते हुए नजर आयेंगे जो राहत देनेवाला होगा | ऐसे समाजसेवी साधू संत , जादूगर या आज इन्हें जो भी नाम दे दे , देश को शायद मंजूर होगा और इसी दौर में इनका कदम और सोंच इस महायज्ञ में हीं 121 अनाथ बेटियों की शादी संपन्न कराने की योजना / कृपा भी शामिल की |
इस बात से इनकी लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है कि - सिर्फ भारत ही नहीं पाकिस्तान के अलावा भी कुछ और देश में लोग इनके मुरीद हुए | इस बात पर पं० धीरेन्द्र शास्त्री की सोंच है कि - यह बागेश्वर बालाजी की कृपा है और वाकई यह सच भी है |
पं० धीरेन्द्र शास्त्री का भोलाभाला निर्मल मन , कोमल चेहरा देखकर दिल को बड़ा हीं सकूँ मिलता है | ऐसे ही नहीं उमड़ पड़ती है भीड़ किसी दरवाजे या चौराहे पर | चेहरे पर शांति का झलक ऊपर वाले के पॉवर और आशीर्वाद का नतीजा है मगर इसके पीछे गुजरा हुआ वह दर्द जिसे उन्होंने तन्हा झेला वह दर्द अब रहस्य नहीं पूरी दुनियां के सामने उन्होंने व्यक्त किया |
एक वो भी दिन था और एक आज का भी दिन है जब शास्त्री दुनिया के लिए वह नाम बन गए जो किसी परिचय के मोहताज नहीं | उछलता है बॉल , उछालने वाला चाहिए और सजता है माथे पर ताज जैसे कि इनके सर पर सजी पगड़ी या साधू की भाषा में ताज कहे , यह केसरी रंग और भी ज्यादा फब रही क्यूंकि पिछले दिनों ये लगातार विवादित सुर्खियों में खड़े रहें और हर सवाल का सामना डटकर दिया और खुद पर लगे कलंक को उन्होंने आत्मविश्वास से धो डाला |
नागपुर पुलिस ने उनके खिलाफ लगाये गए आरोपों को निराधार बताते हुए उनके खिलाफ करवाई की मांग को ख़ारिज कर क्लीन चीट दे दिया | करवाई करने वाले रौशनी में तो नहीं आ सके मगर इसी डिमोशन ने इनका इतना प्रमोशन किया कि पल में उन्हें विश्व विख्यात बना दिया | शायद यह भी ऊपर वाले का हीं एक आशीर्वाद हो क्यूंकि यह सच है कि हार में भी एक कारण सजता है और जीत में भी | यहीं कारण उन्हें इंद्रधनुषी रंगों में श्रद्धालुओं के मन में विश्वास सजा दिया और अब वह विश्वास का रंग इनके भक्तों के मन से निकलने वाला नहीं |
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