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सुना था , जिंदगी फिल्म बनती है | परंतु इन दिनों फिल्म ही जिंदगी बनती जा रही है | इसलिए किसी शायर ने लिखा है - जिंदगी मौत ना बन जाए संभालो यारो | आज लोगों के मन में इतना आक्रोश क्यों भरा पड़ा है ? जिसे वह जुबानी नहीं संभाल कर हिंसा का सहारा लेने पर मजबूर हो रहे हैं | वह किसी दूसरे पर हिंसा करने की बात हो या फिर स्वयं पर |
बात , मन में हिंसा उत्पन्न करने की है कि , आदमी इतना हिंसात्मक प्रवृत्ति का क्यों होता जा रहा है ? रविवार को बिहार के मुजफ्फरपुर - समस्तीपुर जिले के एनएच 28 के मनियारी टोल प्लाजा के पास , सुबह में , बेला स्थित फूड फैक्ट्री के मैनेजर आशुतोष शर्मा ने अपनी कार में स्वयं को ही गोली मार ली | वे कार से अपने ससुराल से लौट रहे थे | उनका घर मुजफ्फरपुर के सिकंदरपुर में है , जबकि ससुराल सकरा में है |
सूचना के आधार पर आशुतोष शर्मा की पत्नी , करीब 45 दिन से अपने मायके में है | आशुतोष शर्मा , पत्नी से मिलने ससुराल गए थे | परंतु ससुराल पहुंचने कि निर्धारित समय से वे कुछ देर बाद पहुंचे | क्योंकि उन्हें अपने मित्र के साथ पार्टी करने में देर हो गई थी | कहा जा रहा है कि - इसी बात पर पत्नी से विवाद हो गया और बातों का बढ़ना जारी रहा और सुबह होते ही आशुतोष शर्मा , ससुराल वालो से बिना इजाजत लिए , गाड़ी से निकल गए अपने घर आने के लिए | परन्तु पत्नी के साथ हुए विवाद से वे आक्रोश में थे |
टोल प्लाजा के कर्मचारी ने बताया कि - वे ईयर फोन लगाकर किसी से बहुत ऊंची आवाज में बात कर रहे थे , जिससे गाड़ी के बाहर आवाज पहुंच रही थी | फिर टोल प्लाजा पार करने के बाद , कुछ मिनट वहां रुके और एक निजी स्कूल के पास जाकर स्वयं को गोली मार ली | गोली चलने की आवाज से आसपास वाले जुट गए और गाड़ी के पास जब पहुंचे , तो आशुतोष शर्मा गाड़ी के अन्दर छटपटा रहे थे | फिर सीसे को तोड़कर उन्हें बाहर निकाला गया और पुलिस को सूचना दी गई | फिर बैरिया स्थित एक निजी अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया , जहां हालत गंभीर होने की वजह से डॉक्टर ने उन्हें पटना रेफर कर दिया | उन्होंने गोली चलाने से पूर्व अपनी पत्नी से वीडियो कॉलिंग के जरिए बात की थी , जिसके आखरी लाइन थे - तेरी बेवफाई का शिकवा करूं तो ...... और स्वयं पर गोली चला ली |
आखिरकार आशुतोष को पिस्टल किसने उपलब्ध कराई , इसके बारे में अभी पुलिस की तरफ से कुछ भी जानकारी नहीं प्राप्त हुई है | जबकि पुलिस को , उनके असामाजिक तत्वों के खिलाफ की जानकारी लेनी है , अब अपराधिक रिकॉर्ड की खोजबीन की जा रही है | इस विषय पर SSP जयंत कांत ने कहा है कि - मनियारी थाना क्षेत्र में , एक युवक ने अवैध पिस्टल से खुद को गोली मार ली है , उसकी हालत नाजुक बनी हुई है |
पत्नी अपने मायके में है , इसका साफ मतलब निकलता है कि पत्नी , पति से झगड़ा करके बैठी है | कोई पत्नी , अपने इस तरह के सरफिरे पति को कैसे पसंद करेगी ? और इन दिनों पार्टी में क्या कुछ नहीं होता , यह एक पत्नी से भला कैसे छुपा रह सकता है और उस हालत में कोई पति , पत्नी के मायका पहुंचता है तो पत्नी तो खफा होगी हीं और पति के साथ वापस न जाने पर अड़ेगी भी |
लोग पत्नी को पत्नी समझेंगे , तब तो पत्नी साथ रहेगी | आज के दौर में अधिकांशतः लोग पत्नी को सिर्फ अपनी आवश्यकता की मशीन और परिवार का केयर टेकर समझते हैं | तो उसे क्यूँ नहीं मायके में हीं सुरक्षित रहना चाहिए | जिस पति की मानसिक हालत , ऐसी घटना को अंजाम पर पहुंचाने की हिम्मत जुटा सकती है , तो वो पत्नी के अकेलेपन में रहने पर पति के लिए हाथ उठाना आम बात होगा | यहीं तो चूक कर जाते है पति , अपनी हिम्मत और ताकत सिर्फ घर की महिलाओं पर हीं इस्तेमाल करते है | पत्नी को दोस्त / सहपाठी समझे , तो इस तरह का विवाद कभी बढ़ेगा नहीं और घर भी सुव्यस्थित तरीके से चलेगा |
आज कहीं भी , किसी की भी पत्नी वगैर कारण अपने मायके में महीनों नहीं रह सकती | इसके पीछे एक बहुत बड़ा कारण छुपा होता है , जिसमे तहकीकात की आवश्यकता है | दूसरी बात राक्षसी भोजन खाकर लोगों की प्रवृति भी राक्षसी बनती जा रही है , जिससे हिंसा बढ़ता है , वह स्वयं पर क्यूँ न हो ! सात्विक भोजन करेंगे तो मन शांत रहेगा और मन में अहिंसा की प्रवृति आयेगी , हिंसा की नहीं |
जिंदगी और जीवन साथी समझने की चीज है , इसे बहुत प्यार से संभालकर रखी जानी चाहिए | अगर ये बिखर गई , तो दूबारा बहुत मुश्किल है पहले की तरह जोड़ पाना | इसलिए जिंदगी में दूर दृष्टि बहुत जरुरी है , जो अपने हाथ की चीज है | आदमी चाहे तो सरल तरीके से , जिंदगी को सफल बना सकता हैं |
फिलहाल आशुतोष शर्मा पटना के अस्पताल में भर्ती है और नाजुक अवस्था से जूझ रहे हैं | इन दोनों में गलती किसकी है , अभी कुछ कहा नहीं जा सकता | मगर क्षति दो परिवार का हो गया | पति - पत्नीं , दोनों में किसी एक को तो , समय की नजाकत को पहचानना जरुरी था | फिर आशुतोष शर्मा की नाराजगी या आक्रोश का यह अंजाम भयावह न होता | ....... ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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