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जीने के लिए सर्वप्रथम इंसान को चाहिए रोटी , कपड़ा और मकान और यह तभी संभव है , जब उनके पास शिक्षा और अतिरिक्त हुनर हो | यानि कि उनकी जिंदगी में बेरोजगारी का नामोनिशान न हो |
कुछ दसक पूर्व बॉलीवुड की एक फिल्म आई थी "रोटी कपड़ा और मकान" | यह फिल्म और फिल्म के गीत ने काफी सुर्खिया बटोरी | आज भी यह गीत लोग गुनगुना देते है और मंहगाई बढ़ने पर उदाहरण दे बैठते है - "पहले मुठ्ठी में पैसे लेकर थैला भर शक्कर लाते थे | अब थैले में पैसे जाते है , मुठ्ठी में शक्कर आती है" हाय मंहगाई ! मंहगाई मंहगाई तू कहाँ से आई ? तुझे क्यूँ मौत न आई ....... |
दुनियाभर में 55% से ज्यादा युवक लगभग बेरोजगार है | अपने परिवार के साथ रहना उन्हें इसलिए पसंद है , क्यूंकि उन्हें खर्च का भार कम पड़ जाता है | फिलहाल हम आपको स्पेन का एक आंकड़ा बताने जा रहे है - जिसमे वहां की सरकार ने कम धन कमाने वाले 35 वर्ष से कम उम्र के नागरिक के लिए सुविधा उपलब्ध कराने की बात कही है |
स्पेन में 25 वर्ष की युवक जिसकी संख्या 29% है , ये हैं बेरोजगार | बेरोजगार युवक का ध्यान घर बसाने की तरफ बिल्कुल नहीं है | उनकी सोंच कि - वे इस महंगाई भरे आलम में परिवार बढ़ाकर क्या करेंगे ? कैसे जियेंगे जिंदगी ? कहाँ से लायेंगे घर का खर्च व मकान का किराया ! इसलिए वे माँ - पिता के घर में रहना पसंद करते है | यह बात सिर्फ स्पेन की ही नहीं दुनियां के सभी बेरोजगार युवक की है |
यह बात अलग है कि - भारत के कई स्टेट में आज भी संयुक्त परिवार में लोग जिंदगी जीना पसंद करते है | न बच्चे अपने माँ - पिता को छोड़ना पसंद करते है न माँ - पिता बच्चे से अलग रहना पसंद करते है | भारतीय संस्कृति का यह रूप बड़ा हीं अनोखा है , जहाँ परिवार एक - दूसरे का सहारा बनकर आगे बढ़ जाते है | आखिरकार शादी के बाद क्यूँ बच्चे अलग हो जाए माँ - बाप से ! यह सोंच का विषय है कि - बच्चे जितने बड़े होते है माँ - पिता उतने हीं बुजुर्ग बनाते चले जाते है और इसी अवस्था में उन्हें सहारे की जरुरत पड़ती है और बच्चे सहारा बनकर उनके साथ खड़े रहते है |
मगर कुछ दसक से भारत में भी इसका प्रभाव गहराता जा रहा है | जब से लोग दुनिया से वाकिफ हुए है भारतीय बच्चे भी अलग रहना पसंद कर रहे है , जो शायद हमारी दृष्टि में गलत है सही नहीं !
खैर ........ स्पेन के आवास मंत्री राकेल सांचेज ने अपने देश में एक बहुत हीं सरल तरीका अपनाकर समस्या का समाधान करने की तरफ कदम बढ़ाया है | जिसमे वे 35 वर्ष से कम उम्र के ऐसे नागरिक जिसकी आमदनी सालाना 24 , 318 यूरो है ( यानी 20.5 लाख रुपये से कम ) तो उन्हें 2 वर्ष तक किसी भी अपार्टमेंट का किराया देने के लिए सरकार हर महीने 20 हजार रूपये की सब्सिडी देने का प्रावधान निकाला है |
यह सब्सिडी आवास मंत्री राकेल सांचेज ने इसलिए आरम्भ किया है ताकि किराये पर फ्लैट न ले पाने के अभाव में उनकी जिंदगी खराब न हो |वो समय पर अपनी जिंदगी को निखार सके | दो साल यानि की 24 महिना सरकार उन्हें मकान के किराए की सोंच से अलग कर जिंदगी को निखारने के लिए , सवारने और बनाने के लिए योगदान दे रही है | यह योगदान स्पेन के नागरिक के लिए बहुत हीं सुविधा भरा होगा , जिसमे वो निफिक्र होकर सोंच सकेंगे अपने जीवन को एक आधार देना |
लेकिन इससे भी आवश्यक था बेरोजगारी को हीं जड़ से दूर भगा देना | अपार्टमेंट के किराए से बेहतर ( यानि की प्रतिमाह 20 हजार रुपये सब्सिडी जो 2 साल में 4 लाख 80 हजार होगा ) अगर ये राशि इन्हें एकबार दिया जाता तो ये इस धन से ये अपना एक छोटा सा बिजनेस खड़ा कर पाते और तमाम उम्र बेरोजगारी दूर भगाकर तमाम उम्र सुखद जिंदगी की बुनाई कर पाते |सरकार द्वारा दिए जाने वाली सब्सिडी हर महीने 20 हजार यूँ हीं मकान पर खर्च हो जाएगा और अफ़सोस कि - लोग फिर दो साल के बाद खाली हाथ हीं रह जायेंगे | ..... ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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