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भोजपुरी स्टार दिनेशलाल यादव "निरहुआ" आजमगढ़ से उपचुनाव में विजयी हुए | 2019 की लोकसभा सीट से अखिलेश यादव के प्रतिद्वंदी के रूप में खड़े हुए थे जहाँ से इन्हें हार का सामना करना पड़ा था |
इस उपचुनाव में ईश्वर का हाथ उनके सर पर पड़ा और वे भारी मत से चुनाव जीतकर सांसद पद के दावेदार बन गए | वक्त ने कुछ समय के लिए इन्हें ठहरा दिया था , परन्तु चाहत जागी हो तो समय बलवान बनकर मंजिल तक जरुर पहुंचाता है |
दिनेश जी का मुस्कुराता हुआ चेहरा परचम लहराने की ख़ुशी में ख़ुशी से मालामाल हो गया |
उन्होंने जनता के लिए ट्विट किया जिसमे वे हाथ जोड़कर खड़े है , इनके पीछे - ऊपर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर नजर आ रही है |
इन्होने अपनी जीत को जनता की जीत बताते हुए कहा है कि - आजमगढ़ वासियों आपने कमाल कर दिया है , यह आपकी जीत है | उपचुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ जिस तरीके से आप सबने भाजपा को प्यार / समर्थन और आशीर्वाद दिया , यह उसकी जीत है | यह जीत देवतुल्य कार्यकर्ताओं की मेहनत और आपके भरोसे को समर्पित है | साथ हीं एक बॉक्स में कोटेशन भी लिखा - आप सबने दिखा दिया है विरासत में मिली सियासत के दंभ का अंत निश्चित होता है |
निरहुआ जी ने वहां कदम रखा है जहाँ पर सपा की गढ़ रही है और यहाँ से अखिलेश यादव हीं चुनाव जीतते रहे हैं | बीते विधानसभा चुनाव में जीत मिलने के बाद वे प्रदेश के राजनीति में दिलचस्पी लेने लगे और यह सीट छोड़ दी | उन्होंने अपनी पत्नी डिम्पल यादव या धर्मेन्द्र यादव को मैदान में उतारने की सोंची |
धर्मेन्द्र यादव अखिलेश यादव के चचेरे भाई है | यानी की मुलायम सिंह यादव के भाई अभय राम यादव के पुत्र और अखिलेश यादव ने धर्मेन्द्र को इस क्षेत्र में उतारा | वैसे धर्मेन्द्र मैनपुरी और बदायूं से सांसद रह चुके हैं , इसलिए उनकी जनता में पकड़ अच्छी थी | यह सोचते हुए धर्मेन्द्र यादव को इस क्षेत्र से उतार दिया , परन्तु धर्मेन्द्र यादव का वोट बैंक गुड्डू जमाली ने काट लिया |
गुड्डू जमाली बासपा प्रत्याशी जिनका पूरा नाम साह आलम है , ये मैदान में उतरे और लाखो वोट मिली जिस वोट के हकदार अखिलेश यादव थे | अखिलेश यादव मैदान से अलग हुए और विकेट गिर गया |
साह जमाल को अपने हारने का कोई अफ़सोस नहीं , परन्तु धर्मेन्द्र यादव के हार से अखिलेश यादव के पाँव तले जमीन फिसल गई , ऐसा माना जा सकता है | क्यूंकि आजमगढ़ सपा की गढ़ रही है और आज वह वोट भाजपा की झोली में गिर गया और भाजपा से खड़े हुए निरहुआ जी सांसद सीट के दावेदार बन गए |
यह बात किसी से छुपी नहीं है कि मायावती ने जानबूझकर ऐसा किया और साह जमाल को वोट काटने का अच्छा मौका मिला |
निरहुआ जी की शिक्षा के विषय में कुछ कहा नहीं जा सकता , परन्तु धर्मेन्द्र यादव की शिक्षा का जोर नहीं | उन्होंने इलाहाबाद से पोलटिकल साइंस में MA किया और फिर LLB की उपाधि भी प्राप्त की जो देश सेवा के लिए पूर्ण माना जा सकता है |
मगर देश चलाने के लिए पढ़ाई की जरुरत नहीं पड़ती , यहाँ तो सिर्फ दिल से दिल का रिश्ता देखा जाता है और भावनाएं पढ़ी जाती है जो जनता ने पढ़ा और नेतागण जमाने से जनता को पढ़ाते आ रहे हैं |
हमें याद आ रहा है वह दौर जब पहली बार स्मृति ईरानी को अमेठी से हार का सामना करना पड़ा था , मगर राहुल गाँधी ने ध्यान नहीं दिया और उन्होंने अमेठी को ढीला छोड़ दिया और केरल का चुनाव कर बैठे जिसके बाद राहुल गाँधी यहाँ से हार गए | जबकि इस क्षेत्र में कांग्रेस को कई दसक से प्यार मिलता रहा | संजय गाँधी , राजीव गाँधी , सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी की जीत रही बावजूद उन्होंने अमेठी पर ध्यान नहीं दिया |
एक बार जिसने भी अपने जड़ को उखाड़ा वह वहीं ढीला पड़ा | इसलिए कहा गया है - दूर का ढोल बड़ा सुहाना लगता है सभी को | लोग नजरअंदाज कर देते है पुराने चेहरे और नए चेहरे की तरफ आकर्षित होते है जिससे पुराने चेहरे किसी और की पसंद बन जाते है और वहीं हुआ भी दूसरी बार स्मृति ईरानी वहां से सांसद बन गई | अब काफी दसक तक इन्हें कोई उखाड़ नहीं पायेगा , क्यूंकि इन्होने मिट्टी में खाद डालना सिखा है बहुत करीब से , खैर ....... |
फिसल गया आजमगढ़ अखिलेश यादव के हाथ से और दिनेशलाल यादव भाजपा की सीट से उम्मीदवार बनकर छक्का मार दिए और सीधा विकेट गिरा और जीत की ट्रॉफी भाजपा की झोली में |
मुबारक दिनेशलाल यादव को यह जीत | तपते दिल पर खुशियों का आलम जैसा खुशनुमा फूलो की बारिश बहार बनकर इनके जीवन में बरस गया हो | सावन के इस महीने ने निरहुआ जी को खुशियों से मालामाल कर दिया | जिसकी चाहत थी वर्षो से , अब दूर नहीं चाहत की वह घड़ी जब वह इस पद का शपथ ग्रहण करेंगे और संसद में हक़ की कुर्सी पर बैठकर जनता का कष्ट हरेंगे | .............. ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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