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आज 15 अगस्त है , स्वतंत्रता दिवस , खुशियों से भरा गूंज | जब अंजूरी में अधिकार मिल गए हो आजाद होने का , तब मन और दिल से आवाज निकलती है - अपनी आजादी को हम हरगिज भुला सकते नहीं , सर कटा सकते है लेकिन सर झुका सकते नहीं |
यह लाइन सिर्फ गीत के बोल नहीं , हर शब्दों को जिंदगी में उतारने का लाइन है | जहाँ त्याग है वहीं कुछ पाया जा सकता है | जब 14 वर्ष के खुदीराम बोस देश के लिए शहीद हो सकते तो फिर क्यूँ नहीं देश की बेटियां फ़कीर हो सकती हैं , आने वाले कल के लिए ,गुलाबी भोर के लिए |
15 वर्षीय माही ने उठाये ऐसे हीं नशीले कदम कि अब देशभक्ति का नशा सर चढ़कर बोलेगा | एक तरफ आजादी का अमृत महोत्सव का जश्न मनाया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ नन्हीं सी माही ने एक और जश्न का एलान करने में स्वयं को उतार दिया | आखिर कब बुने ख्वाब उन्होंने ?
यह सच है कि हर किसी के मन में चाहत / उमंग और कुछ पाने की ललक भरा परा होता है , बस उसे छलकाने भर की देर है | इस मासूम मन को इस दौर में शामिल करने के लिए "लेडीएंस फैशन" ने उठाये कदम और लिख दिया कलम से - माही एक कल्पना नही , चाहत नहीं , सपना नहीं एक हकीकत है आने वाले कल के लिए उमंगो / तरंगो और इंद्रधनुषी रंगों से भरपूर एक भोर है |
आँखों में अक्सर कुछ पाने की ललक देखा है और उन्हीं ललक को आज धरती पर उतारने के लिए माही को मजबूत बनाकर सारी दुनियां के सामने जीत हासिल करवाने हेतु "लेडीएंस फैशन" ने सहयोग देने की ठान ली | अब बेटी बोझ नहीं बनेगी , ठान लिया माही ने |
आरंभिक दौर से 16 वर्ष को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है और लोग इस वर्ष को सलाम करते हैं मगर हमने 15 वर्ष में दस्तक दिया बेटी के दिलो पर और 15 साल में 15 अगस्त को 15 बेटियों का एक काफिला बनाकर स्वयं में जोश से भरपूर होती हुई अपनी लक्ष्य की तरफ बढ़ने की मजबूत कदम उठाया |
बालिकाओं के लिए जिस जमीन को तैयार किया गया है , उस जमीन में अब फूल खिलेंगे | ये 15 बेटियां ऐसी है जो खेत में काम करने को बेवस है | अब बेटियां बेवस नहीं रहेगी , हुनर से भरपूर होकर चमकेगी आसमान में सितारे बनकर क्यूंकि भोर का तारा माही है | माही ने उनके मन में लगन को परोसा |
अपनी एजेंडा में सबसे पहले दहेज़ प्रथा से बेटी को मुक्त कराना , पहल को आगे बढ़ाने की ठान ली | शुरू हो चूका है इन बेटियों का प्रशिक्षण जिसमे ये सभी बेटी अपने हौसलें को बुलंद करके आँधियों में चिराग जलाएँगी और अपनी हुनर को बुनती हुई आगे बढेंगी जिसमे पूरा देश बेटियों का साथ देगा , यह भरोषा है | अब बेटियां जो देश की आधी आबादी है , चट्टान की तरह मजबूत बनेगी और अपनी सरल / सुलभ / कोमल / निर्मल और सफलता के तरफ बढ़ने वाले सिद्धांत पर अटल रहेगी | हाँ ये तय है - अपने मातृत्व और संस्कृति पर कभी आंच नहीं आने देगी | लाख कठिनाइयों के बीच भी डटे रहना , आनेवाले सुनहरे कल का एक सबूत है |
माही , बेटियों को पंख देगी जब वह आसमान में इन्द्रधनुषी रंगों के बीच बिचरेगी क्यूंकि यह भारत है और भारत में सबकुछ संभव है | यह ऐसा देश है जहाँ बेटा और बेटी को कानूनन समान अधिकार दिया गया | हाँ ये अलग बात है कि आज भी सामाजिक सिद्धांत में थोड़ी रुकावट है जो धीरे - धीरे धूमिल होगा |
वो दिन दूर नहीं जब गूंजेगी सुर बेटियों के जुबान से कि हम स्वतंत्र है , स्वतंत्र भारत की बेटी है | आज भी हमारे भारत में बेटियों को एक बोझ माना जाता है क्यूंकि उनकी मुट्ठी खाली है | जिस दिन मुट्ठी भर गया बेटियों की मजबूती उसी दिन रंग लाएगी क्यूंकि सदियों से इसी सच का सामना करती आ रही है हमारी बेटी और इतिहास लिखी जा रही है | इसी इतिहास में एक नाम माही का भी शामिल होगा जिसमे आपका साथ जरुरी है | ......... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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