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दर्द जब हद से गुजर जाए , तो फिर उसकी दवा क्या है ? लेकिन जहाँ जन्नत हीं कदमों से फिसल जाए , तो उस जिंदगी को क्या नाम दे हम ?
छतीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में बीते सोमवार को ऐसा हीं दर्दनाक हादसा सामने से गुजर गया | जब तालाब में एक ट्रेक्टर ट्रोली के पलट जाने से 4 लोगों की मृत्यु हो गई | आये दिन हम इस तरह की घटना पढ़ते / देखते रहते है और दुखी होने के बाद फिर संभल जाते हैं | हमें संभलने में ज्यादा वक्त नहीं लगता , यह सत्य है | परन्तु वो अनहोनी जहाँ तक इंसान का दिमाग सपनों में भी न सोंचा हो ! और अगर वह हकीकत बन जाए तो फिर उसका दृश्य / नजारा क्या होगा ?
DRG ( डिस्ट्रिक्ट रिजर्व ग्रुप ) के जवान तेलम टेटम इलाके में सर्चिंग पर निकले थे | तभी उन्हें लोगों के चीखने - चिल्लाने की आवाजें सुनाई पड़ी , तो वे जवान मौके पर पहुंचे जहाँ उन्हें ट्रेक्टर ट्रोली तालाब में डूबा हुआ नजर आया | फिर देखते हीं देखते वे सभी जवान बचाव कार्य के लिए तालाब में कूद पड़े | उन जवानों में एक वसू कवासी नामक जवान भी शामिल थे | डूबे हुए लोगों को एक - एक कर बाहर निकला गया और उनकी जान बचाई गई | बाद में उनकी नजर पानी में उल्टी हुई ट्रोली पर पड़ी , उसके नीचे भी उनकी दृष्टि लोगों की तलाश की | इसी क्रम में कुछ लाशें उनके हाथ लगी , एक - एक कर लाशे निकाली गई |
तभी एक महिला की लाश , वसू कवासी के हाथ में आया | उसकी नजर जैसे हीं उनके चेहरे पर पड़ी कि वसू के होश हीं उड़ गए और वे फूट - फूटकर रोने लगे | वह महिला शरीर किसी और का नहीं बल्कि वसू कवासी की माँ फुके कवासी का था | वसू के साथीगण वसू को संभालते हुए बाहर लाये और कवासी को सांत्वना दी | मगर ये सांत्वना दवा का काम भी करने योग्य नहीं कहा जा सकता और ये दृश्य बड़ा हीं दर्दनाक / भयावह दौर से गुजरता हुआ सभी को नजर आया | मगर वक्त के हाथ सभी मजबूर हुए और इंसानी प्रवृति को अपने हीं हाथ संभालना पड़ता है , परिस्थिति को | यहीं पर इंसान चूक जाता है , जहाँ अपने हाथ में कुछ नहीं होता | वसू जानते भी नहीं थे कि इस ट्रोली में उनकी माँ भी हो सकती है | दर्जनों को बचाने वाले जवान के हाथ , अपनी माँ को जीवित नहीं निकाल सके |
इस हादसे में फुके कवासी के अतिरिक्त 35 वर्षीय कोसा माड़वी की मौत हो गई , साथ हीं 9 वर्ष का एक बच्चा भी जिसका नाम दिनेश मरकाम था और उसमे एक 16 वर्ष की दसई कवासी नामक बिटिया की जिंदगी भी समाप्त हो गई |
आसपास वाले ने बताया कि - सड़क किनारे एक गढ्ढा था और दूसरी तरफ तालाब | गति धीमी करने के बावजूद ड्राईवर उस स्थिति को कंट्रोल नहीं कर सका और स्थिति हाथ से फिंसल गया , जिससे ट्रोली तालाब में गिर पड़ा | हादसे के बाद जितने लोग सुरक्षित बचे थे , वे निकल पड़े | बाकी लोग अभी जख्मी हालत में हैं , जिसमे 19 लोग घायल है और 5 लोगों की हालत नाजुक बनी हुई है |
फोटो :- पोस्ट x न्यूज़ के सौजन्य से
यह दुखदाई हादसा में सड़क निर्माण कार्य न होना एक बहुत बड़ा कारण बन गया | बहुत हीं दुःख की बात है कि - हमारे भारत में आज ऐसी सड़के भी है , जहाँ एक ट्रोली भी ढंग से पार नहीं हो सकता | दूर का चमक हमें दिखाई पड़ता है , मगर अफ़सोस की पास का गढ्ढा नजर नहीं आता | कहने को तो - हम चाँद पर भी पहुँच चूके हैं और घर बनाने की सोंच रखते है | परन्तु धरती पर आज भी जरुरत की सुविधाएं उपलब्ध नहीं , ये कहा जा सकता है |
इस हादसे में 4 लोगों की जान चली गई | जिससे उस परिवार को बहुत हीं ज्यादा फर्क पड़ गया , जिसमे करोड़ों - अरबों भी उस क्षति का पूर्ति नहीं कर सकता है | क्यूंकि किसी की माँ , किसी के बच्चे हादसे में चले गए | इस परिवार के अलावा किसी को फर्क नहीं पड़ेगा , दुनियां चल रही है चलती रहेगी | मगर वह दृश्य - जब एक जवान वसू कवासी के हाथों में उनकी हीं माँ का लाश आ जाना , ये तमाम उम्र भूलने वाली बात नहीं है |
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दुःख जताते हुए मृतकों के परिजनों को चार - चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता राशि देने की घोषणा की है | यह राशि शासन की तरफ से सड़क दुर्घटना में दी जाने वाली सहायता राशि के अतिरिक्त राशि होगी |
मृतिका फुके कवासी कटे कल्याण ब्लॉक की रहने वाली थी | ये सभी जन , ट्रेक्टर ट्रोली से विश्व आदिवासी दिवस पर कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए हीरानार जा रही थी | इस ट्रोली में लोगों की संख्या 30 के करीब थी | ........ ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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